नई दिल्ली: यूक्रेन की वायु सेना ने ऐलान किया है कि वह जल्द ही पश्चिमी देशों से एयर डिफेंस सिस्टम मिल जाने के साथ रूस की इस्कंदर और अन्य घातक अत्याधुनिक मिसाइलों को मार गिराने में सक्षम हो जाएगी.
यूक्रेनी वायु सेना के प्रवक्ता यूरी इहनत ने शुक्रवार को मीडिया को बताया कि अमेरिका से एनएएसएएमएस और जर्मनी से आईआरआईएस-टी एसएलएम एयर डिफेंस सिस्टम मिलने के बाद यूक्रेन घातक मिसाइलों, ‘यहां तक कि इस्कंदर’ को भी ध्वस्त कर देने की स्थिति में आ जाएगा. गौरतलब है कि रूस अपनी इस्कंदर मिसाइल का ‘निशाना एकदम अचूक’ होने का दावा करता रहा है.
सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (सीएसआईएस) के मुताबिक, इस्कंदर को सोवियत संघ ने पहली बार 1980 के दशक में विकसित किया था और इसे ओटीआर-23 शॉर्ट-रेंज बैलिस्टिक मिसाइल (एसआरबीएम) की जगह लेने के लिए तैयार किया गया था, जिसे ‘ओका’ भी कहा जाता है.
सबसे अहम बात है कि इस्कंदर एक रोड-मोबाइल-सामरिक एसआरबीएम है जो 500 किलोमीटर तक निशाना साध सकती है. यह 700 किलोग्राम तक पेलोड संभालने में सक्षम है और इसे क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइल दोनों से दागा जा सकता है. सीएसआईएस के मुताबिक, इस्कंदर के लिए कॉमन ट्रांसपोर्टर-एरेक्टर-लॉन्चर्स (टीईएल) और मिसाइलों फायरिंग के लिए सपोर्ट व्हीकल का इस्तेमाल किया जाता है.
इस्कंदर नाम का इस्तेमाल लॉन्च सिस्टम और इससे जुड़ी मिसाइलों दोनों के संदर्भ में होता है. समय के साथ रूस ने इस्कंदर के दो वैरिएंट विकसित किए, इस्कंदर-एम और इस्कंदर-ई. इनमें से ई-वैरिएंट केवल निर्यात के लिए है.
विशेषज्ञों की मानें तो अपनी मारक क्षमता के कारण इस्कंदर मिसाइल मास्को से यूरोप पर हमला करने में सक्षम प्रमुख घातक हथियार बन चुकी है.
गौरतलब है कि जुलाई में पेंटागन अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की कि उन्होंने नेशनल (या नॉर्वेजियन) एडवांस्ड सर्फेस टू एयर मिसाइल सिस्टम (एनएएसएएमएस) खरीदना शुरू कर दिया है. एक माह बाद पेंटागन ने घोषणा की कि उन्होंने यूक्रेन को दो एनएएसएएमएस नासाएम की आपूर्ति के लिए रेथियॉन मिसाइल्स एंड डिफेंस के साथ 182 मिलियन डॉलर का सौदा किया है.
वहीं, जर्मनी की सरकार के मुताबिक, यूक्रेन को जर्मन एयर डिफेंस सिस्टम आआरआईएस-टी एसएलएम की आपूर्ति की जा रही है.
आखिरकार, ये दोनों मिसाइल डिफेंस सिस्टम असल में क्या हैं जिन्हें इस्कंदर का दबदबा खत्म करने में कारगर माना जा रहा है?
यह भी पढ़ें: हेडर्स के मामले में न्यूरोलॉजिस्ट्स एकमत, माना कि इससे फुटबॉल खिलाड़ियों को लंबे समय में होता है नुकसान
एनएएसएएमएस— एक मल्टी-लेयर ढाल की तरह
एनएएसएएमएस एक नेटवर्क-केंद्रित, लघु से मध्यम दूरी की और जमीन से इस्तेमाल की जाने वाली वायु रक्षा प्रणाली है. इसके जरिये दृश्य सीमा से परे एक साथ कई लक्ष्यों पर निशाना साधा जा सकता है.
एनएएसएएमएस को 1990 के दशक में अमेरिकी फर्म रेथियॉन और नॉर्वे की रक्षा कंपनी कोंग्सबर्ग डिफेंस एंड एयरोस्पेस ने परस्पर सहयोग के साथ विकसित किया था.
एनएएसएएमएस के प्रमुख हिस्सों में सेंटिनल रडार (जो दुश्मन के विमान या मिसाइलों का पता लगाता है और अग्रिम पंक्ति के डिफेंस वीपन्स को अलर्ट करता है), उन्नत मध्यम दूरी की हवा से हवा में मार करने में सक्षम मिसाइल (एएमआरएएएम), और एक फायर डिस्ट्रीब्यूटर सेंटर होता है जो कि एक एयर डिफेंस और सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल (एसएसएम) बीमसी4आई मॉड्यूल है.
बीमसी4आई का सैन्य भाषा में पूरा नाम बैटल मैनेजमेंट कमांड, कंट्रोल, कम्युनिकेशंस, कंप्यूटर और इंटेलिजेंस होता है.
एनएएसएएमएस की रीयल-टाइम नेटवर्क प्रणाली विभिन्न इकाइयों के बीच स्पष्ट संचार सुनिश्चित करती है, ताकि एएमआरएएएम को लॉन्च करने के दौरान खासकर लंबी दूरी की स्थिति में किसी तरह की देरी की कोई गुंजाइश न बचे.
रेथियॉन के मुताबिक, ‘एनएएसएएमएस इस एयर डिफेंस सिस्टम का इस्तेमाल करने वालों को अपने मनमुताबिक अत्याधुनिक रक्षा प्रणाली प्रदान करता है जो उसकी अपने सामने मौजूद या इधर-उधर चक्कर काट रहे दुश्मन के विमानों, मानव रहित एरियल व्हीकल, और क्रूज मिसाइलों के संभावित खतरों की पहचानने, उनसे टकराने और नष्ट करने की क्षमता को अत्यधिक बढ़ा देती है.’
इसके अलावा, इसके राडार और लांचर को एक दूसरे से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर तैनात किया जा सकता है, जिससे व्यापक कवरेज मिलता है. यह एक अत्यधिक बहुउद्देश्यी प्रणाली भी है जिसका उपयोग वायु सेना और सेना के ठिकानों, बंदरगाहों और नागरिक क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए भी किया जा सकता है.
यह भी पढ़ें: अनुमान से भी अधिक तेजी से पिघल रहा है पश्चिम अंटार्कटिका ग्लेशियर
आईआरआईएस-टी एसएलएम ट्रक पर लगे विध्वंसक
आईआरआईएस-टी एसएलएम एक सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है जिसे पहली बार 2014 में जर्मन हथियार निर्माता डाईहल डिफेंस ने प्रदर्शित किया था. इसे सड़क के रास्ते ले जाया जा सकता है और यह ट्रक पर लगाई जाती है.
जाहिर तौर पर ये हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल आईआरआईएस-टी का एक उन्नत संस्करण है, जिसमें ‘अग्रिम हिस्से को और ज्यादा सुव्यवस्थित’ करने सहित कुछ नई और बेहतर खासियतों से लैस किया गया है. इसमें रेंज और एक ऊंचाई तक मार करने की क्षमता बढ़ाई गई है. आईआरआईएस-टी एसएलएम उन लक्ष्यों पर प्रहार कर सकता है जो 40 किलोमीटर की दूरी पर और 20 किलोमीटर की की ऊंचाई तक हैं.
एनएएसएएमएस की तरह यह एयर डिफेंस सिस्टम भी कई लक्ष्यों पर निशाना साध सकता है और एयर व्हीकल्स और हथियारों को नीचे गिरा सकता है, जिसमें ड्रोन और हेलीकॉप्टर से लेकर गाइडेड बम और मिसाइल तक शामिल हैं.
रिपोर्टों के मुताबिक, एक अन्य प्रमुख खासियत यह है कि आईआरआईएस-टी एसएलएम मिसाइलों में इन्फ्रारेड (आईआर) सीकर हेड होते हैं जो किसी भी तरह के हस्तक्षेप से प्रभावित नहीं होते. यह सिस्टम रेडियो कमांड गाइडेंस, और सेटेलाइट करेक्शन सिस्टम से लैस है, और इसमें डिजिटल सिग्नल प्रोसेसिंग भी होती है जो डिकॉय फ्लेयर्स और दुश्मन के इलेक्ट्रॉनिक हमलों से निपटने में सक्षम है.
मिसाइल को डेटा लिंक के जरिए अपने लक्ष्य पर लॉन्च किया जाता है. आईआरआईएस-टी एसएलएम प्रणाली जब लक्ष्य के पास पहुंचती है तो इन्फ्रारेड सीकर की सक्रियता सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होती है. निकट पहुंचकर इंफ्रारेड सीकर लक्ष्य की पहचान करता है और उस पर सटीक प्रहार सुनिश्चित करता है. यह ‘लक्ष्य पर निशाना साधने के अंतिम चरण’ में होता है जब मिसाइल का पेलोड बाहर आता है.
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: शो रद्द होने पर VHP को लेकर कुणाल कामरा ने कहा- कहीं तुम गोडसे को भगवान तो नहीं मानते?