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Thursday, 21 November, 2024
होमडिफेंस1971 युद्ध पर ‘रहस्यमयी’ ब्रोशर की तस्वीरों से इंदिरा गांधी और जगजीवन राम को क्रॉप करने पर विवाद

1971 युद्ध पर ‘रहस्यमयी’ ब्रोशर की तस्वीरों से इंदिरा गांधी और जगजीवन राम को क्रॉप करने पर विवाद

दोनों तस्वीरों में तब के सेवा प्रमुखों को दिखाया गया है लेकिन उनमें से पूर्व पीएम और रक्षा मंत्री को हटा दिया गया है.

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नई दिल्ली: एक ब्रोशर ने जिसे ज़ाहिरी तौर पर पिछले साल अक्टूबर में 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के 50 वर्ष पूरे होने की याद में आधिकारिक रूप से जारी किया गया था, एक विवाद को जन्म दे दिया है.

विवाद बुनियादी तौर पर उसमें मौजूद कुछ फोटोग्राफ्स को लेकर है- जिन्हें कुछ इस तरह से काटा गया है कि उनसे पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और तब के रक्षा मंत्री जगजीवन राम को हटा दिया गया है.

ब्रोशर में 1960 के दशक के अंत की एक प्रसिद्ध तस्वीर है, जिसमें पाकिस्तानी सैबर जेट लड़ाकू विमानों को वायु शक्ति प्रदर्शन के तौर पर, एक बम गिराते हुए दिखाया गया है, जिसमें आग लगाने वाला केमिकल नेपाम था.

सोमवार को लोकप्रिय सैन्य इतिहास वेबसाइट भारत-रक्षक.कॉम ने ट्विटर पर दावा किया कि ब्रोशर बनाने वालों ने राजनेताओं को तस्वीरों से निकाल दिया है.

पहले फोटोग्राफ में तीन तत्कालीन सेवा प्रमुखों को दिखाया गया है- जनरल सैम मानेकशा, एडमिरल एसएम नंदा और एयर चीफ मार्शल पीसी लाल.

लेकिन, मूल तस्वीर में एसीएम लाल को गांधी से हाथ मिलाते दिखाया गया है और बाकी दोनों मुस्कुराते हुए देख रहे हैं.

काटी गई दूसरी तस्वीर तीन सेवा प्रमुखों की है, जो एक मीटिंग कक्ष में बैठे हैं और हल्के-फुल्के तरीके से हंस रहे हैं. मूल फोटोग्राफ में इस तिकड़ी के साथ जगजीवन राम भी शामिल थे.


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‘आधिकारिक रूप से जारी किया हुआ लगता है’

तत्काल ये स्पष्ट नहीं हो पाया कि ब्रोशर किसने जारी किया था लेकिन भारत रक्षक ने एक ट्वीट जारी किया, जिसमें अक्टूबर में बेंगलुरू में हुई वायुसेना की एक कांफ्रेंस की एक तस्वीर का लिंक दिया गया था और कहा गया था कि ‘ऐसा लगता है कि इस ब्रोशर को आधिकारिक रूप से जारी किया गया था’.

https://twitter.com/hashtag/1971war?src=hashtag_click

दिप्रिंट के संपर्क करने पर, रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने ऐसा कोई डॉक्युमेंट प्रकाशित नहीं किया है, और इसलिए वो किसी विसंगति या काटी गई तस्वीरों के लिए ज़िम्मेवार नहीं हैं.

इस बीच, वायुसेना सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि उसने अक्टूबर में एक सेमिनार आयोजित किया था, जिसमें 1971 युद्ध पर एक ब्रोशर जारी किया गया था. लेकिन, इसका तुरंत पता नहीं चल सका कि क्या वो यही ब्रोशर था.

20 पन्नों के ब्रोशर में युद्ध की कई तस्वीरें दी गई हैं, जिनके साथ सशस्त्र बलों का निशान बना हुआ है और अंतिम पेज पर नीचे की ओर एक क्यूआर कोड भी दिया गया है.

ये कोड डेल्ही अनप्लग्ड नाम की एक वेबसाइट पर 1971 युद्ध की स्वर्ण जयंती के बारे में एक पोस्ट पर ले जाता है, जिसे बाद में हटा दिया गया है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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