नई दिल्ली: 1977 में भारतीय नौसेना में कमीशन किया गया, लंबी दूरी की निगरानी और पनडुब्बी रोधी युद्धक विमान इलुशिन 38 एसडी इस साल के गणतंत्र दिवस पर कर्तव्य पथ पर अपना पहला और आखिरी फ्लाईपास्ट करेगा.
भारतीय इन्वेंट्री में सबसे पुराना समुद्री निगरानी विमान IL 38SDs की जगह बोइंग द्वारा निर्मित अमेरिकी P8is ने ली.
विंग्ड स्टैलियंस के रूप में जाना जाने वाले इस फ्लीट को इस साल के अंत तक सेवामुक्त किया जाएगा.
रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के एक सूत्र ने कहा, ‘विमान के लिए गणतंत्र दिवस समारोह में यह पहली और आखिरी उड़ान है.’
गणतंत्र दिवस फ्लाईपास्ट में भारतीय वायुसेना के 9 राफेल सहित 44 अन्य विमान शामिल होंगे.
आईएन 301, नौसेना के पहले आईएल 38एसडी (सी ड्रैगन्स) विमान को देश की सेवा के 44 साल पूरे करने के बाद पिछले साल 17 जनवरी को सेवामुक्त कर दिया गया था. सेवा के अंतिम दिन तक इसने सेवाएं दी और विदा से पहले सात घंटे की मिशन उड़ान भरी.
यह विमान आईएनएएस 315 स्क्वाड्रन से संबंधित है जिसे 1 अक्टूबर 1977 को रियर एडमिरल एम.के. रॉय द्वारा कमीशन किया गया था और उसके बाद कमांडर बी.के. मलिक ने इसकी कमान संभाली थी.
स्क्वाड्रन शुरू में तीन इल्युशिन 38 से लैस था और बाद में दो और शामिल किए गए. विमान ने नौसेना को आधुनिक समुद्री टोही और फिक्स्ड-विंग एंटी-सबमरीन वारफेयर (एएसडब्ल्यू) क्षमता प्रदान की.
इन विमानों के साथ, नौसेना की लंबी दूरी की एंटी-सबमरीन सर्च और स्ट्राइक, एंटी-शिपिंग स्ट्राइक, इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल इंटेलिजेंस और दूर की खोज और बचाव मिशन के साथ संयुक्त लंबी दूरी की समुद्री टोही क्षमताओं तक पहुंच हो गई.
जनवरी 1978 के ऑपरेशन सहित अन्य कार्यों के लिए विमान का उपयोग किया गया था, जब इसने एयर इंडिया जंबो के मलबे का पता लगाने के लिए मैगनेटिक एनोमली डिटेक्टर (एमएडी) उपकरण का उपयोग किया था. मुंबई तट से उड़ान भरने के तुरंत बाद विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था.
विंग्ड स्टैलियंस ने 1996 में 25,000 घंटे की दुर्घटना रहित उड़ान पूरी की. हालांकि, 2002 में त्रासदी तब हुई जब दो IL-38s की बीच हवा में टक्कर हुई. विडंबना यह थी कि स्क्वाड्रन की रजत जयंती के साथ-साथ 30,000 घंटे से अधिक की दुर्घटना-मुक्त उड़ान का जश्न मनाया जा रहा था.
दुर्घटना में सत्रह कर्मियों की मौत हो गई थी, जिसमें ये विमान भी खोने पड़ गए. जबकि दो साल पहले ही इसे अपग्रेड किया गया था ताकि अगले 15 सालों तक ये सेवाएं दे पाए.
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(संपादन: कृष्ण मुरारी)
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