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Wednesday, 6 November, 2024
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भारत-अमेरिका ‘युद्धाभ्यास’ इस साल उत्तराखंड में LAC के नज़दीक ज्यादा ऊंचाई वाले क्षेत्रों में होगा

औली में जारी युद्धाभ्यास में अमेरिका की 11वीं एयरबोर्न डिवीजन की दूसरी ब्रिगेड के सैनिक और असम रेजीमेंट के जवान खासकर अत्यधिक ऊंचाई वाले और बेहद ठंडे इलाकों में प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.

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नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा पर जारी गतिरोध के बीच भारत और अमेरिका ने उत्तराखंड के औली में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास एक संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण युद्धाभ्यास शुरू किया है.

16 नवंबर को शुरू हुआ यह 15 दिवसीय युद्धाभ्यास खासकर अत्यधिक ऊंचाई वाले और बेहद ठंडे क्षेत्र में प्रशिक्षण पर केंद्रित है.

रक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े सूत्रों ने बताया कि कई सालों से ऐसे अभ्यासों के जरिये दोनों देशों की सेनाएं एक-दूसरे के सर्वोत्तम तरीकों, प्रक्रियाओं के साथ-साथ आइडिया, टैक्टिस, टेक्नीक आदि साझा करती आई हैं.

गौरतलब है कि औली एलएसी से महज 95 किलोमीटर दूर स्थित है. ऐसे में इस तरह का युद्धाभ्यास पिछले दो सालों से एलएसी के पश्चिमी क्षेत्र लद्दाख में चीन की आक्रामकता के खिलाफ एक संयुक्त प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं.

सूत्रों ने बताया कि भारत-अमेरिका सैन्य अभ्यास के 18वें संस्करण में हिस्सा अमेरिकी सेना की 11वीं एयरबोर्न डिवीजन की दूसरी ब्रिगेड के सैनिक और असम रेजीमेंट के जवान हिस्सा ले रहे हैं.

रक्षा मंत्रालय की तरफ से जारी एक विज्ञप्ति के मुताबिक, ‘इस दौरान पीसकीपिंक और पीस इन्फोर्समेंट से जुड़े सभी अभियानों का अभ्यास किया जाएगा. दोनों देशों के सैनिक समान उद्देश्यों को हासिल करने के लिए मिलकर काम करेंगे. संयुक्त अभ्यास के दौरान ‘मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर)’ अभियानों को अंजाम देने पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा. दोनों देशों के सैनिक किसी प्राकृतिक आपदा की स्थिति में त्वरित और समन्वित राहत अभियान चलाने का अभ्यास करेंगे.’

इस द्विपक्षीय अभ्यास का पिछला संस्करण अक्टूबर 2021 में अलास्का में ज्वाइंट बेस एल्मडॉर्फ रिचर्डसन में आयोजित किया गया था. 16वां संस्करण फरवरी 2021 में राजस्थान स्थित महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में आयोजित किया गया था.

विज्ञप्ति में बताया गया है, ‘दोनों सेनाएं एक-दूसरे के पेशेवर कौशल और अनुभवों का पूरा लाभ उठा सकें, इसलिए एक कमांड पोस्ट एक्ससाइज के अलावा काफी सोच-समझकर चुने गए विषयों पर एक्सपर्ट एकेडमिक डिस्कशन (ईएडी) भी कराया जाएगा.’

दिप्रिंट ने जून में रिपोर्ट दी थी कि क्षेत्र में चीन के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के निर्माण को लेकर बढ़ी चिंताओं के बीच भारत दौरे पर आए एक अमेरिकी सैन्य अधिकारी ने कहा था कि भारतीय और अमेरिकी सेनाएं खुद को ऊंचाई वाले युद्धक्षेत्रों की अभ्यस्त बनाने के लिए 9,000-10,000 फीट की ऊंचाई पर एक साथ प्रशिक्षण करेंगे.

दोनों सेनाओं के व्यापक अभ्यास में एकीकृत बैटल ग्रुप गठित करना, फोर्स मल्टीप्लायर्स, सर्विलांस ग्रिड की स्थापना और कामकाज, ऑपरेशनल लॉजिस्टिक का इंतजाम करना, पर्वतीय युद्ध कौशल, हताहतों को निकालना, और दुर्गम इलाकों तथा प्रतिकूल मौसम वाली स्थितियों में चिकित्सा सहायता पहुंचाना आदि शामिल है.

भारती और अमेरिकी नौसेनाओं ने इस वर्ष मालाबार अभ्यास में भी हिस्सा लिया, जो 15 नवंबर को जापान के समुद्र में संपन्न हुआ. ऑस्ट्रेलिया और जापान के नौसैनिक बल भी बहुपक्षीय अभ्यास का हिस्सा रहे. भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान क्वाड्रीलैटरल सिक्योरिटी डायलॉग (क्वाडा) का हिस्सा हैं.

(अनुवाद- रावी द्विवेदी)

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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