नई दिल्ली: भारतीय नौसेना को शुक्रवार को एक नया नौसेना ध्वज (निशान) मिलेगा, जिसका अनावरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत विक्रांत के शुरू होने के दौरान कोच्चि में करेंगे.
प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि नया निशान ‘औपनिवेशिक अतीत से दूर … समृद्ध भारतीय समुद्री विरासत के अनुरूप’ होगा.
नौसेना का वर्तमान ध्वज हॉरिजेंटल और वर्टिकल लाल धारियों वाला एक सफेद झंडा है, उसके ऊपर एक क्रॉस है जो कि सेंट जॉर्ज के क्रॉस प्रतीक के साथ मेल खाता है, उसके ऊपर भारत का प्रतीक चिन्ह जड़ा हुआ है. ऊपरी कैंटन में स्टाफ के बगल में तिरंगा रखा गया है.
रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्र नए डिजाइन के बारे में चुप्पी साधे हुए हैं लेकिन दिप्रिंट को बताया कि क्रॉस हटेगा. इसके अलावा, कुछ रंग परिवर्तनों के अलावा एक लंगर को दर्शाने वाली नौसेना शिखा को भी जोड़ा जाएगा. सूत्रों ने कहा कि सेना और भारतीय वायु सेना के झंडे के साथ एक समानता बनाए रखी जाएगी.
1950 के बाद यह चौथी बार है जब नौसेना के निशान में बदलाव किया जाएगा.
26 जनवरी 1950 को, जब भारत एक गणतंत्र बना, नौसेना की शिखा और झंडों का विधिवत ‘भारतीयकरण’ किया गया था. हालांकि, बाद वाले (एनसाइन एंड डिस्टिंग्विशिंग फ्लैग्स) ने ब्रिटिश विरासत – रेड सेंट जॉर्ज क्रॉस – का एक छाप बरकरार रखी – हालांकि यूनियन के झंडे को तिरंगे से बदल दिया गया था.
दिलचस्प बात यह है कि औपनिवेशिक काल के बाद के समय में, जबकि अन्य पूर्व-औपनिवेशिक नौसेनाओं ने अपने नए झंडे में रेड सेंट जॉर्ज क्रॉस को हटा दिया, भारतीय नौसेना ने इसे 2001 तक बरकरार रखा.
15 अगस्त 2001 से, ध्वज के डिजाइन को बदल दिया गया था और क्रॉस ने भारतीय नौसेना के निशान के शिखर पर जगह बनाई.
नौसेना के ध्वज को बदलने का विचार 1970 के दशक की शुरुआत में वाइस एडमिरल विवियन बारबोज़ा से आया था. एडमिरल बारबोजा भारतीय नौसेना से पश्चिमी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ के रूप में सेवानिवृत्त हुए.
2004 में, हालांकि, मूल निशान फिर से अपनाया गया था. वर्तमान निशान को वापस बदलकर सेंट जॉर्ज क्रॉस कर दिया गया और इसके इंटरजेक्शन पर भारतीय प्रतीक चिन्ह जोड़ दिया गया.
2014 में, देवनागरी लिपि में राष्ट्रीय आदर्श वाक्य ‘सत्यमेव जयते’ को शामिल करने के लिए निशान और साथ ही नौसैनिक शिखा को अपडेट किया गया था.
(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढे़ं: नाइट विजन कैपेबिलिटी, सी-थ्रू आर्मर—भारतीय सेना अपने रूसी युद्धक वाहनों को कैसे अपग्रेड कर रही