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Saturday, 2 November, 2024
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पूर्वी लद्दाख में भारत और चीनी सैनिकों के बीच कोई ताज़ा टकराव नहीं : भारतीय सेना

सेना का कहना है कि भारत और चीन पूर्वी लद्दाख़ में, मौजूदा मसलों के समाधान के लिए बातचीत जारी रखे हुए हैं, जबकि एलएसी के साथ संबंधित इलाक़ों में नियमित गश्त बरक़रार है.

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नई दिल्ली: सेना ने पूर्वी लद्दाख़ में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच ताज़ा टकराव की ख़बरों का खंडन किया है, और कहा है कि किसी भी पक्ष ने उन क्षेत्रों पर कब्ज़ा करने का प्रयास नहीं किया है, जहां से इस साल फरवरी में समझौता होने के बाद, दोनों बल पीछे हटे थे.

ये बयान उन ख़बरों के बीच आया है, जिनमें सूत्रों का हवाला देते हुए कहा गया था कि चीनी सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख़ में कई स्थानों पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को पार किया है, और दोनों पक्षों के बीच कम से कम एक झड़प हुई है.

सेना ने कहा कि भारत और चीन दोनों पूर्वी लद्दाख़ में मौजूदा मसलों के समाधान के लिए बातचीत जारी रखे हुए हैं, जबकि एलएसी के साथ संबंधित इलाक़ों में नियमित गश्त बरक़रार है. उसने ये भी कहा है कि जून 2020 के बाद से गलवान या किसी भी दूसरे इलाक़े में कोई झड़प नहीं हुई है.

बुधवार को जारी अपने बयान में सेना ने कहा, ‘पीएलए की गतिविधियों पर, जिनमें सैनिक टुकड़ियों का फेरबदल भी शामिल है, भारतीय सेना लगातार नज़र बनाए हुए है’.

दोनों देश पिछले साल मई से लगातार एक सैन्य गतिरोध में उलझे हुए हैं.


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चीनी सैनिकों की संख्या में वृद्धि

सैन्य और राजनयिक स्तरों पर कई दौर की बातचीत के बाद, भारत और चीन मार्च में विवादास्पद पैंगोंग त्सो इलाक़े से पीछे हट गए, लेकिन उसके बाद से कोई और प्रगति नहीं हुई है, चूंकि चीन हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा पोस्ट और देपसांग मैदानों से अपने सैनिकों को पीछे हटाने से इनकार कर रहा है.

रक्षा सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि सैनिक टुकड़ियों के पैंगोंग त्सो इलाक़े से पीछे हटने के बावजूद, इलाक़े में तीव्रता में कोई कमी नहीं आई है.

एक सूत्र ने कहा, ‘एलएसी के उस ओर चीनी सैनिकों और उपकरणों की तैनाती में धीरे-धीरे बढ़ोत्तरी हुई है. उसी अनुपात में भारत ने भी उस क्षेत्र में हज़ारों की संख्या में सैनिक और अतिरिक्त साज़ो-सामान तैनात कर दिए हैं’.

एक दूसरे रक्षा सूत्र ने समझाया कि सैनिकों के बीच छोटी-मोटी झड़पें हो जाती हैं, जब वो एक दूसरे के ज़्यादा क़रीब हों जाएं या एलएसी पर अपने अपने दावों की लाइनों पर गश्त लगाते हुए, उनका दूसरे पक्ष से सामना हो जाए.

सूत्र ने कहा, ‘लेकिन ऐसी घटनाएं बहुत कम और यदा-कदा ही होती हैं, और वो बेहद स्थानीय नेचर की होती हैं. स्थानीय स्तर पर ही मातहत कमांडर्स उन्हें तुरंत नियंत्रण में ले आते हैं और उनसे कुल स्थिति पर कोई फर्क नहीं पड़ता’.

दि हिंदू की एक रिपोर्ट के अनुसार, इसी हफ्ते चीनी नागरिकों ने पूर्वी लद्दाख़ के डेमचोक में, भारतीय ग्रामीणों द्वारा दलाई लामा के जन्मदिन का जश्न मनाने के खिलाफ प्रदर्शन किया था और सिंधु नदी के उस पार से झंडे दिखाए थे.

अगले दौर की बातचीत का इंतज़ार

पिछले महीने वर्किंग मैकेनिज्‍म फॉर कंसल्टेशन एंड कोऑर्डिनेशन की एक वर्चुअल बैठक में भारत और चीन जल्द ही अगले दौर की सैन्य वार्ता करने पर सहमत हो गए, जिससे कि बाक़ी बचे टकराव बिंदुओं पर, पूरी तरह पीछे हटने का लक्ष्य हासिल किया जा सके.

बैठक में ये भी तय किया गया कि सैन्य कोर कमांडर स्तर की 12वें दौर की वार्ता आयोजित की जाए, जिसमें एलएसी पर तमाम टकराव बिंदुओं पर पूरी तरह पीछे हटने पर चर्चा की जाए.

सैन्य वार्ता के अगले दौर की बातचीत की, अभी अंतिम रूप से कोई तारीख़ तय नहीं की गई है.

पिछले महीने, केंद्र-शासित क्षेत्र के अपने तीन-दिवसीय दौरे पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को, पूर्वी लद्दाख़ में भारत की सैन्य तैयारियों से अवगत कराया गया.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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