नई दिल्ली : भारत ने 2021 में सैन्य टेस्ट और परीक्षणों की तैयारी कर रखी है, जिसमें बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस (बीएमडी) शील्ड, पनडुब्बियों के लिए एक एयर-इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (एआईपी) प्रणाली और 800 किलोमीटर मारक क्षमता वाली ब्रह्मोस के साथ कई मिसाइलें और ड्रोन भी शामिल हैं.
रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े सूत्रों ने कहा कि आने वाले साल में जिन प्रमुख प्रणालियों का परीक्षण किया जाना है उनमें से एक एआईपी होगी, जिसे फिर से फिट करने के दौरान भारत की छह स्कॉर्पीन पनडुब्बियों में लगाया जाना है.
सूत्रों के मुताबिक, पारंपरिक पनडुब्बियों को ज्यादा लंबे समय तक पानी के अंदर बनाए रखने में सक्षम बना देने वाली स्वदेशी एआईपी के लिए परीक्षण नए साल की पहली तिमाही में शुरू होगा.
एक अन्य महत्वपूर्ण परीक्षण बीएमडी के चरण-2 के लिए होगा, जिसका उद्देश्य बहु-स्तरीय रक्षा प्रणाली के माध्यम से देश को किसी भी तरह की मिसाइलों, जिसमें परमाणु मिसाइलें और हवा में उड़ने में सक्षम उपकरण शामिल हैं, के खतरे से सुरक्षित करना है. इस कार्यक्रम का पहला चरण पिछले साल पूरा हुआ था.
इसके अलावा स्वदेशी रुस्तम-2 मानवरहित एरियल व्हीकल (यूएवी) का पूर्ण परीक्षण भी एजेंडे में है, जो बहुत समय तक टलने के बाद 2021 की पहली छमाही में शुरू होने वाला है.
मिशन के उद्देश्यों के आधार पर सिंथेटिक एपर्चर राडार, इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस सिस्टम और स्थिति के अनुरूप उपयुक्त प्रणालियों को ले जाने में सक्षम यह यूएवी एक मध्यम ऊंचाई वाली दूरगामी प्रणाली है.
पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ मौजूदा गतिरोध ने एक ऐसे देश के मद्देनजर भारत के लिए स्वदेशी ड्रोन सिस्टम की सख्त आवश्यकता को सामने रखा है जो दुनियाभर में सशस्त्र यूएवी के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक बन चुका है.
2021 का शुरुआती हिस्सा स्वदेशी प्रौद्योगिकी वाली क्रूज मिसाइल (आईटीएमसी) निर्भय के नए परीक्षणों का भी गवाह बनेगा, जिसकी मारक क्षमता 800 से 1,000 किलोमीटर के बीच है.
वहीं, 800 किलोमीटर की रेंज वाली ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का पहला परीक्षण 2021 के मध्य में किए जाने की योजना है. इस मिसाइल के 400 किलोमीटर किलोमीटर क्षमता वाले संस्करण का इस वर्ष के शुरू में सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया था.
सूत्रों ने कहा कि विकास के चरण वाले परीक्षणों के बीच सैन्य सेवाएं अपने शस्त्रागार में मौजूद मिसाइलों की क्षमता के सत्यापन के लिए अपना फायरिंग अभ्यास जारी रखेंगी.
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2020 में कोविड के कारण गतिरोध के बीच कई परीक्षण
इस बीत रहे साल में भी कई महत्वपूर्ण परीक्षण हुए हैं.
कोरोनोवायरस महामारी के कारण एक गतिरोध आ गया था लेकिन सितंबर के बाद इसने गति पकड़ी. 2020 के प्रमुख परीक्षणों में एक 7 सितंबर का हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल (एचएसटीडीवी) टेस्ट था.
अमेरिका, चीन और रूस के बाद भारत दुनिया का ऐसा चौथा देश है, जिसके पास यह तकनीक है. सफल टेस्ट ने भारत के लिए ध्वनि की गति से छह गुना तेज गति वाली मिसाइलों को विकसित करने का मार्ग प्रशस्त कर दिया है.
इसके बाद 3 अक्टूबर को परमाणु-सक्षम ‘शौर्य’ मिसाइल की टेस्ट-फायरिंग और 5 अक्टूबर को सुपरसोनिक मिसाइल से लैस टॉरपीडो का परीक्षण किया गया.
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने भी जुलाई में ओडिशा के चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज से स्वदेशी रूप से विकसित एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (एटीजीएम) ध्रुवास्त्र की उड़ान के तीन सफल परीक्षण किए. यह दुनिया के सबसे उन्नत एंटी-टैंक हथियारों में से एक है.
इस बीच, इंडीजीनस एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे (एईएसए) राडार उत्तम ने एयर-टू-एयर मोड और इसके सब-पैरामीटर्स के लिए तेजस विमान पर अतिरिक्त 25 घंटे के साथ 100 घंटे का परीक्षण पूरा किया.
9 अक्टूबर को नई पीढ़ी की एंटी-रेडिएशन मिसाइल (रुद्रम) ने ओडिशा के तट से दूर स्थित विकिरण लक्ष्य को भेदने का लक्ष्य सफलतापूर्वक पूरा किया. मिसाइल को सुखोई 30 लड़ाकू विमान से लॉन्च किया गया था.
वर्ष 2020 क्विक रिएक्शन सरफेस-टू-एयर मिसाइल (क्यूआरएसएएम) द्वारा 13 नवंबर को एक नया मुकाम हासिल किए जाने का गवाह भी बना, जो मध्यम रेंज और मध्यम ऊंचाई पर एक बंशी पायलट रहित विमान पर सीधा लक्ष्य साधने में सफल साबित हुई.
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