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Wednesday, 24 April, 2024
होमडिफेंसराफेल, 2 बोइंग, JAS-39 ग्रिपेन और F-21-5 -IAF’s के मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ़्ट सौदे की दौड़ में शामिल 6 विमान

राफेल, 2 बोइंग, JAS-39 ग्रिपेन और F-21-5 -IAF’s के मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ़्ट सौदे की दौड़ में शामिल 6 विमान

लगभग 20 अरब डॉलर के मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ़्ट (एमआरएफए) सौदे में भारतीय वायुसेना द्वारा अपने बेड़े को विकसित करने और आधुनिक बनाने के लिए 114 आधुनिक मल्टी-रोल फाइटर विमानों की खरीद की आवश्यकता है. दिप्रिंट इस सौदे दावेदारों पर डाल रहा है एक नज़र.

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नई दिल्ली: रक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों के अनुसार, तीन अमेरिकी लड़ाकू विमान, एक फ्रांसीसी फाइटर और एक स्वीडिश जेट, 114 बहुउद्देशीय लड़ाकू विमान (मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट -एमआरएफए) की खरीद के लिए एक भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के अधिग्रहण वाले सौदे की दौड़ में हैं.

एमआरएफए सौदे में भारतीय वायुसेना द्वारा अपने बेड़े को विकसित करने और इसे आधुनिक बनाने के लिए 114 आधुनिक मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट की खरीद शामिल है. कुल मिलाकर, यह सौदा लड़ाकू विमानों की सबसे बड़ी खरीद योजनाओं में से एक है, जिसकी कीमत करीब 20 अरब डॉलर है.

हालांकि, यह सौदा 2018 से ही चर्चा में है, पर केंद्र सरकार द्वारा इसके विस्तृत विवरण पर फिर से विचार-विमर्श किया जा रहा है. दिप्रिंट ने पहले खबर दी थी कि सरकार के कम-से-कम दो बैचों में इन लड़ाकू विमानों के ऑर्डर देने की इच्छा के कारण यह सौदा दो भागों में बंटने की ओर बढ़ सकता है.

इसके लिए 18 विमानों ऑफ-द-शेल्फ (बने बनाए रूप में) खरीदा जाएगा, जबकि अन्य 36 का निर्माण भारत में एक संयुक्त उद्यम के माध्यम से किया जाएगा. इसके बाद शेष 60 विमानो के लिए ऑर्डर भी इसी संयुक्त उद्यम को दिया जाएगा.

हालांकि फ्रांसीसी लड़ाकू विमान राफेल इस महा सौदे (मेगा डील) में सफल होने की दौड़ में सबसे आगे है, क्योंकि यह पहले से ही आईएएफ द्वारा उपयोग में है, चार अन्य दावेदार – बोइंग का एफ-15एक्स और एफ/ए-18 ब्लॉक III सुपर हॉर्नेट, साब का जेएएस -39 ग्रिपेन और लॉकहीड मार्टिन का एफ -21 – भी इस चुनौती दे रहे हैं

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इनमें से एफ 21 और ग्रिपेन सिंगल (एकल) इंजन वाले विमान हैं, जबकि बाकी दो इंजन वाले हैं.

हालांकि सिंगल इंजन वाले लड़ाकू विमान सस्ते होते हैं, अभी यह पता नहीं है कि भारतीय वायुसेना के द्वारा इनके अधिग्रहण पर विचार किया जाएगा या नहीं?

दिप्रिंट इस चर्चा में शामिल लड़ाकू विमानों की प्रमुख विशेषताओं पर डाल रहा है एक नज़र.


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राफ़ेल

इसे सौदे के मुख्य दावेदार राफेल लड़ाकू विमान है जिनके प्रति आईएएफ पहले से ही अभ्यस्त है, क्योंकि 2016 में दो सरकारों के बीच हुए सौदे के तहत और 7.8 बिलियन यूरो की लागत से खरीदे गए इनमें से 36 लड़ाकू विमान पहले से ही आईएएफ द्वारा उपयोग किए जा रहे हैं.

इसे एक ऑम्नीरोल फाइटर (हर तरह की भूमिका में काम आने वाले विमान) के रूप में जाना जाता है क्योंकि यह एक सॉर्टी (उड़ान) के दौरान, दृश्य सीमा से परे (बियॉंड विसुअल रेंज -बीवीआर) मार करना, हवा से हवा में युद्ध या दुश्मन के विमानों को रोकने सहित सभी जटिल लड़ाकू कार्य कर सकता है. राफेल फाइटर एक ‘4.5 पीढ़ी का विमान’ है, जिसकी 4.5 मैक की अधिकतम गति ध्वनि की गति से लगभग दोगुनी मानी जाती है.

यह रेंज, रडार और हथियार के मामले में वर्तमान में भारतीय वायुसेना द्वारा उपयोग किया जाने वाला सबसे शक्तिशाली विमान है. राफेल एक दो इंजन, कैनार्ड-डेल्टा विंग वाला मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ़्ट है, जो विभिन्न उद्देश्यों के लिए उपयुक्त है, जैसे कि टोही उड़ान, पैदल सैनिकों को जमीनी समर्थन प्रदान करना, सघन हवाई हमले और जहाज-रोधी हमले करना .

राफेल की फेरी रेंज (अधिकतम तय की जा सकने वाली दूरी) 3,700 किमी है और यह आंतरिक और बाहरी ईंधन टैंक से लैस है.

हथियारों के मामले में, राफेल में विभिन्न प्रकार की मिसाइलों को ले जाने के लिए 14 हार्डपॉइंटस हैं, जिसमें हवा से हवा में मार करने वाली मीटोर मिसाइले शामिल हैं – जो लगभग 150 किलो मीटर की बियॉंड विसुअल रेंज के साथ आती है. साथ ही, इसमें हवा से सतह मार करने वाली स्काल्प मिसाइले भी लगी हैं जिनकी मारक क्षमता 500 किलोमीटर से अधिक है.

राफेल विमानों का इस्तेमाल फ्रांसीसी वायु सेना द्वारा अफगानिस्तान, लीबिया, माली, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, इराक और सीरिया में कई युद्धक अभियानों में किया गया है.

एफ/ए-18 ब्लॉक III सुपर हॉर्नेट

इसे हाल ही में सुपरहिट हॉलीवुड फिल्म ‘टॉप गन: मेवरिक’ में चित्रित किया गया था – जिसमें अभिनेता टॉम क्रूज को एक असंभव से मिशन को पूरा करते हुए दुश्मन की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों से इस विमान को बचाने लिए कमाल की पैंतरेबाज़ी करते हुए दिखाया गया है. एफ/ए-18 ब्लॉक III सुपर हॉर्नेट के बारे में कहा जा रहा है यदि इसे अधिगृहीत किया गया तो यह भारतीय सेना के लिए एक ‘गेम-चेंजर’ साबित होगा.

एफ/ए-18 लगभग चार दशकों से अमेरिकी नौसेना के लिए सेवारत अग्रणी विमान रहा है. इसे लड़ाकू और हमलावर दोनों तरह के विमानों के रूप में डिजाइन किया गया है और ब्लॉक III इसका नवीनतम संस्करण है. वर्तमान में, अमेरिकी नौसेना के पास 700 से अधिक एफ/ए -18 हैं, जो दुनिया भर में परिचालित किए जा रहे हैं. मूल ब्लॉक I हॉर्नेट को 1984 में सेवा में शामिल किया गया था.

आईएएफ द्वारा विचाराधीन संस्करण- एफ/ए-18 ब्लॉक III सुपर हॉर्नेट- एक जुड़वां इंजन वाला, विमानवाहक पोत से उड़ान भर सकने में सक्षम, मल्टीरोल फाइटर है. ब्लॉक III दो संस्करणों में आता है, एफ / ए -18 ई जो एक सिंगल सीटर विमान और डबल सीटर एफ / ए -18 एफ है. इन दोनों संस्करणों को हाइ-लोडिंग और हाइ-स्ट्रेस वाले संचालन के लिए बनाया गया है. ब्लॉक III में पहले के एफ / ए -18 की तुलना में किया गया एक बड़ा अपग्रेड इसका ‘उन्नत कॉकपिट सिस्टम’ है, जो यूज़र एक लिए खास तौर पर बनाए जा सकने योग्य (कस्टमिसेबल) 10जे19-इंच टच स्क्रीन के माध्यम से संचालित होता है. विशेष रूप से, इस प्रणाली ने कॉकपिट के हार्ड डिस्प्ले को आई-फ़ोन जैसी सुविधाओं मे बदल दिया है. यह उड़ान के आसान संचालन और पायलट को आसानी से निर्णय लेने में सक्षम बनाता है, जिससे पायलट को युद्ध के मैदान का आकलन करने के लिए अधिक समय मिलता है.

इसके अलावा, हथियारों को स्टोर करने के लिए, ब्लॉक III में एक ‘संलग्न, बाहर की तरफ लगा हथियारों वाला पॉड’ है जो 2,500-पाउंड तक के हथियारों को ले जाने के लिए तैयार किया गया है.

इस पॉड से, विभिन्न मिसाइलों और बमों को दागा जा सकता है, जिसमें ‘आईं 9जे साइड विनडर हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल, आईं 120 अड्वॅन्स्ड मीडियम-रेंज एयर-टू-एयर मिसाइले (अमराम), एजीएम -154 जॉइंट स्टंडोफ वेपन (एक हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल), छोटे व्यास वाले बम और मार्क -84 बम के साथ- साथ कई अन्य हथियार शामिल हैं.

ब्लॉक III की लाइफ लगभग 10,000 उड़ान घंटे की है. हालांकि, इसका एक बड़ा दोष यह है कि एफ / ए -18 विमानों में स्टील्थ (रेडार से बच निकलने वाली) क्षमताओं की कमी है.

सुपर हॉर्नेट या एफ-15 ई एक्स में से किसकी पेशकश की जाए, यह तय करने से पहले बोइंग आईएएफ द्वारा अपनी तकनीकी आवश्यकताओं के साथ सामने आने का इंतजार कर रहा है.

एफ-15 ई एक्स

एफ -15 ई एक्स, एफ -15सी का उन्नत स्थानापन्न (अपग्रेडेड रिप्लेसमेंट) विमान है. इसे ‘ईगल-II’ के रूप में भी जाना जाता है. एफ -15 ई एक्स भी बोइंग द्वारा विकसित किया गया है और एमआरएफए के लिए उनके तरफ़ से पेश किया जाने वाला एक और दावेदार है.

असली एफ -15 विमानों को पहली बार संयुक्त राज्य अमेरिका की वायु सेना द्वारा 1970 के दशक के मध्य में तैनात किया गया था. आज के संस्करण में कई उन्नयन (अपग्रेड्स) और संवर्द्धन (एनहॅन्स्मेंट्स) शामिल हैं.

विशेष रूप से, एफ -15 ई एक्स में ‘पैंतरेबाज़ी (मनोवव्रबिलिटी), एक्सेलरेशन, स्थायित्व, कंप्यूटिंग पॉवेर और एफ -15सी हथियारों द्वारा ढोने की क्षमता में वृद्धि शामिल है.

बोइंग के अनुसार, एफ -15 ई एक्स में अपनी श्रेणी के हिसाब से सबसे बेहतर पेलोड, रेंज और गति शामिल है’. पेलोड किसी विमान की भार वहन क्षमता को संदर्भित करता है, जिसमें कार्गो (माल), युद्ध सामग्री आदि शामिल हैं.

एयर फोर्स मॅगज़ीन में प्रकाशित एक लेख में दावा किया गया है कि ईगल-II के अड्वॅन्स्ड स्पेक्स में ‘डिजिटल फ्लाई-बाय-वायर उड़ान नियंत्रण प्रणाली, एक बड़ा एरिया डिस्प्ले ग्लास-कॉकपिट, और एक एपीजी -82 एईएसए रडार’ शामिल है.

इसके अलावा, एफ -15 ई एक्स को एक ओपन मिशन सिस्टम सॉफ्टवेयर के साथ बनाया गया है, जो लड़ाकू विमानों के ऑपरेटिंग नेटवर्क को तेजी से उन्नयन और क्षमता वृद्धि की प्रकिया से गुजरने की अनुमति देता है और यह सुनिश्चित करना कि यह उद्योग में शामिल किए जा रहे नवीनतम मानकों की तुलना मे कभी पुराना न पड़े

अमेरिकी कांग्रेस का एक सार्वजनिक नीति अनुसंधान संस्थान, कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस (सी आर एस) का कहना है कि एफ -15 ई एक्स में संयुक्त राज्य वायु सेना द्वारा संचालित किसी भी अन्य लड़ाकू की तुलना में ‘मजबूत एयरफ्रेम, अधिक शक्तिशाली प्रोसेसर और उन्नत उड़ान नियंत्रण प्रणाली’ शामिल है.

एफ -15 ई एक्स अमराम को दागने में भी सक्षम है. यूएस एयर नेशनल गार्ड ने फरवरी 2022 में मैक्सिको की खाड़ी के ऊपर एफ -15 ई एक्स से आईं-120 डी अमराम को सफलतापूर्वक दागा था.

एफ -15 ई एक्स में 20,000 घंटे की फ्लाइयिंग लाइफ (उड़ने की उम्र) भी है, जो लड़ाकू विमानों के औसत उड़ान आयु – जो 6,000 से 8,000 घंटे के बीच होती है – से काफी अधिक है.


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एफ-21

एफ -21 अमेरिकी रक्षा समूह लॉकहीड मार्टिन का एक उत्पाद है.

एफ -21, एफ -16 का एक अनुकूलित और उन्नत संस्करण है और इसे इसके निर्माता द्वारा विशेष रूप से आईएएफ की जरूरतों को पूरा करने के लिए बनाया गया है. एफ -16 को आमतौर पर ‘फाइटिंग फाल्कन’ कहा जाता है. हालांकि, एफ -21 लड़ाकू विमान अभी कागज पर ही है और अभी तक इसका निर्माण नहीं किया गया है.

एफ -21 को मल्टी-रोल फाइटर के रूप में पेश किया जाता है. एफ-21 में इसके मूल संस्करण वाले नाक पर लगे रडार फिट, वाइड-व्यू कैनोपी और सिंगल-इंजन इंस्टॉलेशन को बरकरार रखा गया है.

एफ -21 में सिंगल-सीटर और डबल-सीटर दोनों तरह से संस्करण शामिल हैं. इसमें तीन अंडरविंग (डैनों के नीचे लगे) हार्डपॉइंट (एयरफ्रेम पर लगा क्षेत्र जो बाहरी और आंतरिक रूप से भार ले जाने के लिए उपयोग किया जाता है) शामिल हैं. इनमें से दो हार्डपॉइंट रिजर्व फ्यूल टैंक के लिए हैं, जिनका इस्तेमाल ट्रैवल रेंज (आने जाने की दूरी) के बढ़ने की स्थिति में किया जा सकता है.

इसके अलावा, एफ -21 विंगटिप मिसाइल हार्डपॉइंट के साथ भी आती है, जो एफ -15एक्स की तरह आईं-20 डी अमराम को समर्थन प्रदान करता है. इन अमराम मिसाइलों को दागने के लिए ट्रिपल लॉन्चर की भी जरूरत है.

एफ -21 एक वापस लिए जा सकने योग्य (रिट्रॅकटबल) ईंधन प्रोब से लैस है, जो आईएएफ फाइटर्स के लिए उनके ठिकानों पर सुचारू रूप से ईंधन का भराव सुनिश्चित करने के लिए एक आवश्यक तत्व है.

साब जेएएस -39 ग्रिपेन

साब जेएएस -39 ग्रिपेन स्वीडिश एयरोस्पेस और रक्षा कंपनी साब एबी द्वारा निर्मित एक हल्का, एकल-इंजन, मल्टीरोल लड़ाकू विमान है.

इसे 1996 में स्वीडिश वायु सेना में शामिल किया गया था और इसे ‘किफायती नांन स्टील्थ विमान’ के रूप में वर्णित किया जाता है. द एक्सप्रेस, यूके में प्रकाशित एक लेख के अनुसार, स्वीडिश वायु सेना फिलहाल इन लड़ाकू विमानों का 1000 से 2000 के बीच की संख्या में संचालन करती है.

जेएएस -39 पहला ऐसा लड़ाकू ईमान था जो 150 किलोमीटर तक लक्ष्य को भेदने में सक्षम, एक दृश्य सीमा से परे (बीवीआर) हथियार, हवा से हवा में मार करने वाली मीटोर मिसाइल को लोड करने और इसे दागने में सक्षम था.

ग्रिपेन के विभिन्न प्रकार मीटोर मिसाइलों के विभिन्न भार (लोड्स) को ले जा सकते हैं. ग्रिपेन-सी ऐसी चार मिसाइलों को ले जा सकता है, जबकि ग्रिपेन-ई सात मिसाइलों को ले जा सकता है.

ग्रिपेन पर काम करने वाले आधुनिक ऑपरेटिंग सिस्टम की ओर इशारा करते हुए, साब की वेबसाइट बताती है कि ‘ग्रिपेन की अनूठी एवियोनिक्स वास्तुकला स्मार्ट शब्द की परिभाषा जैसी है. इसका मतलब है कि हम एयरफ्रेम को प्रभावित किए बिना ग्रिपेन के अंदरूनी हिस्से को फिर से कॉन्फ़िगर कर सकते हैं. या दूसरे तरीके से कहें, तो जब भी कोई नई तकनीक उपलब्ध होगी तो हम ग्रिपेन के एवियोनिक्स को तेजी से अपग्रेड कर सकते हैं.’

स्वीडन के अलावा ग्रिपेन विमान वर्तमान में चेक गणराज्य, हंगरी, दक्षिण अफ्रीका और थाईलैंड में कार्यरत है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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