श्रीनगर: कश्मीर के अंदरूनी इलाक़ों में आतंक-विरोधी कार्रवाइयों के इंचार्ज, सेना के एक अधिकारी ने कहा है, कि जो कश्मीरी युवा आतंकी संगठनों में शामिल हो गए हैं, उनके लिए सरकार एक समर्पण और पुनर्वास नीति पर काम कर रही है.
जनरल ऑफिसर कमांडिंग,15 कोर, ले. जन. बीएस राजू ने, इस बात पर बल दिया, कि सीधे मार देने की बजाय, सेना सरेंडर सुनिश्चित करने पर ज़्यादा काम कर रही है.
श्रीनगर में चिनार कोर मुख्यालय पर एक बातचीत में ले. जन. राजू ने कहा, ‘हमें उन नौजवान लड़कों को मारने में कोई मज़ा नहीं आता, जिन्होंने एक-आध महीना पहले हथियार उठा लिए हैं. हम इस दिशा में और काम करेंगे, ताकि ज़्यादा समर्पण सुनिश्चित हो सकें’.
नियंत्रण रेखा की निगरानी करने वाले शीर्ष अधिकारी ने कहा, ‘सिर्फ इसलिए कि आपने बंदूक़ उठा ली, एक तस्वीर ले ली, इसका मतलब ये नहीं है कि आपको मरना ही है’.
ये पूछे जाने पर कि क्या सरकार एक समर्पण और पुनर्वास नीति पर काम कर रही है, उन्होंने कहा कि वो वास्तव में ऐसी नीति पर काम कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि फाइल ऊपर भेजी जा चुकी है, और गृह मंत्रालय व रक्षा मंत्रालय को इस पर निर्णय लेना अभी बाक़ी है.
उन्होंने आगे कहा, ‘ इसमें बहुत सारे मुद्दे शामिल हैं, और रक्षा तथा गृह मंत्रालय इस पर विचार कर रहे हैं’.
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ज़रूरत से ज़्यादा बल इस्तेमाल नहीं होगा
ले. जन. राजू ने कहा कि उनके सैनिकों को ये सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है, कि कार्रवाईयों में ज़रूरत से ज़्यादा बल इस्तेमाल नहीं करना है.
एक युवा आतंकवादी की मिसाल देते हुए, जिसने सरेंडर कर दिया था, और जो अब यूटी से बाहर, संबंधित अथॉरिटीज़ के ख़र्चे पर अपनी पढ़ाई कर रहा है, उन्होंने कहा,‘जब भी कोई स्थानीय आतंकवादी शामिल होता है, हम उन्हें सरेंडर करने की पेशकश करते हैं. हमारे पास इतनी क्षमता है, कि हम उन्हें बाद में संरक्षण दे सकते हैं.
प्रशासन के सूत्रों ने कहा, कि जो लोग ट्रेनिंग के लिए पाकिस्तान चले जाते थे, उनके लिए सरेंडर पॉलिसी पहले भी थी, लेकिन ऐसा महसूस किया गया है, कि उन युवाओं के लिए एक समग्र नीति की ज़रूरत है, जिन्होंने किन्हीं कारणवश लालच में आकर हथियार उठा लिए थे, लेकिन अब मुख्यधारा में लौटना चाहते हैं.
हमारे लिए कश्मीरियों से जुड़ने का अवसर
इस साल जनवरी से क़रीब 180 आतंकवादी मारे जा चुके हैं, जबकि कश्मीर में 131 नौजवान भर्ती किए गए हैं.
इसके मुक़ाबले, 50 नौजवान या तो गिरफ्तार हो चुके हैं, या कार्रवाइयों के दौरान उन्होंने सरेंडर किया है.
सुरक्षा एजेंसियों ने स्थानीय भर्तियों की बड़ी संख्या पर, गंभीर चिंता का इज़हार किया है.
इसके बारे में पूछे जाने पर ले.जन. राजू ने कहा, कि सेना पहिए का एक दांता है, और वो ये सुनिश्चित करने की भरसक कोशिश कर रही है, कि आतंकी भर्तियां न हों.
उन्होंने कहा, ‘हमने अपने युवा आउटरीच प्रोग्राम को और तेज़ कर दिया है, और हम ये सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं, कि हम एक दूसरे से जुड़े रहें. हमने कुछ ऐसे कार्यक्रम भी शुरू किए हैं, जिसमें बच्चों और युवाओं को अपने कैम्पों में बुलाकर, हम सैनिकों से जुड़े रहस्यों से परदा उठा सकते हैं. बच्चे आएं और देखें कि हम कैसे रहते हैं’.
ले.जन. ने ये भी कहा कि ये बहुत ज़रूरी था, कि सुरक्षा बलों और कश्मीर के लोगों के बीच की बाधाओं को दूर किया जाए.
पिछले साल अनुच्छेद 370 को रद्द किए जाने, और उसके बाद पूर्व राज्य को, दो केंद्र-शासित क्षेत्रों में बांटने के बारे में पूछे जाने पर, सीनियर आर्मी ऑफिसर ने कहा कि अब अवसर आया है, कि कश्मीर के लोगों से जुड़ा जाए, और वहां विकास लाया जाए.
ले.जन. राजू ने कहा, ‘हमारे सामने एक एवसर है, और में इसे गंवाना नहीं चाहिए’.
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