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Thursday, 4 December, 2025
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न्यूक्लियर कोऑपरेशन, डिफेंस और ट्रेड से लेकर ऑयल तक: पुतिन के भारत दौरे से क्या उम्मीदें हैं

नई दिल्ली ट्रेड, मोबिलिटी, Su-30 MKI फाइटर्स के अपग्रेड और ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइलों की रेंज बढ़ाने के लिए बाइलेटरल एग्रीमेंट को पक्का करने में इंटरेस्टेड है.

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नई दिल्ली: भारत और रूस अपने द्विपक्षीय संबंधों की पूरी समीक्षा करने जा रहे हैं. राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के दौरान कई महत्वपूर्ण समझौते होंगे, लेकिन बड़े और चर्चित सौदे नहीं होंगे. यह जानकारी दिप्रिंट को मिली है.

सरकारी सूत्रों ने बताया कि इस यात्रा को बड़े सौदों के आधार पर नहीं आंकना चाहिए, जैसा कि कई जगह बताया जा रहा है. एक अहम समझौता ‘मोबिलिटी’ पर होगा, जिससे रूस को भारतीय कामगारों की भर्ती आसान होगी.

उनके अनुसार, भारत के लिए यह यात्रा पुराने दोस्त के साथ संबंधों की समीक्षा करने और यह देखने का मौका है कि आगे क्या किया जा सकता है और किन छोटी समस्याओं को दूर किया जा सकता है.

पुतिन के लिए यह दुनिया को यह दिखाने का अवसर है कि रूस के पास एक वैश्विक स्तर का अहम साझेदार है.

समझा जाता है कि भारत अपने रूस के साथ रिश्तों और पश्चिमी देशों के साथ संबंधों के बीच संतुलन बनाए रखेगा.

सूत्रों ने कहा कि पुतिन की दो दिवसीय यात्रा के दौरान किसी बड़े या चिंताजनक घटनाक्रम की उम्मीद नहीं है. दोनों देश अपने संबंधों को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाएंगे.

रक्षा, ऊर्जा, व्यापार और परमाणु सहयोग दोनों देशों की शीर्ष प्राथमिकताएं हैं.

लक्ष्य दोनों देशों के बीच व्यापार के दायरे को बढ़ाना है. पिछले वित्त वर्ष में द्विपक्षीय व्यापार 68.72 अरब डॉलर था, जिसे 2030 तक बढ़ाकर 100 अरब डॉलर करना लक्ष्य है. हालांकि समस्या यह है कि व्यापार रूस के पक्ष में ज्यादा झुका हुआ है.

भारत का रूस को निर्यात केवल 4.88 अरब डॉलर है, जबकि आयात 63.84 अरब डॉलर है.

भारत के निर्यात में रसायन, खाद्य सामग्री, दवाएं और मशीनरी शामिल हैं, जबकि रूस अंतरिक्ष और सिविल न्यूक्लियर क्षेत्र में सहयोग बढ़ाना चाहता है.

रूस ने भारत में छोटे मॉड्यूलर परमाणु रिएक्टर बनाने में साझेदारी की पेशकश की है. भले ही कोई ठोस अनुबंध नहीं होगा, लेकिन इस पर एक घोषणा होने की संभावना है.

एक मुख्य अनुबंध भारत को उन्नत RD-191M सेमीक्रायोजेनिक रॉकेट इंजन की 100 प्रतिशत ‘ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी’ देने का है.

यह इंजन भविष्य में भारत के GSLV Mk3/LVM3 रॉकेट के संस्करणों को शक्ति देगा. इससे भारत की जियोस्टेशनरी ट्रांसफर ऑर्बिट में पेलोड क्षमता बढ़ेगी.

NPO एनर्जोमाश द्वारा विकसित ‘RD-191’ रूस के अंगारा रॉकेटों में इस्तेमाल होता है और ISRO के विक्रम इंजन से ज्यादा शक्तिशाली है.

रक्षा और सुरक्षा जैसे अहम क्षेत्रों में कोई बड़ा सौदा नहीं होगा.

सूत्रों ने बताया कि भारत S-400 एयर डिफेंस सिस्टम के लिए अतिरिक्त लंबी दूरी की मिसाइलें खरीदेगा, जिसे रक्षा मंत्रालय ने अक्टूबर में मंजूरी दी थी.

यह उन पांच अतिरिक्त S-400 रेजिमेंट से अलग है, जिनमें भारत दिलचस्पी रखता है. दिप्रिंट के अनुसार, अतिरिक्त सिस्टमों के लिए कोई अनुबंध नहीं होगा. भारत नए रेजिमेंट तभी खरीदेगा जब बाकी दो सिस्टमों की डिलीवरी हो जाएगी.

रक्षा से जुड़े एक और अहम मुद्दे पर चर्चा होगी—एक पट्टे पर मिलने वाली अकुला श्रेणी की परमाणु पनडुब्बी की देरी पर. इसे 2025 में मिलना था, लेकिन अब 2028 तक देरी हो गई है.

सूत्रों ने कहा कि भारत रूस से किसी भी तरह की परमाणु या पारंपरिक पनडुब्बी खरीदने की योजना में नहीं है, क्योंकि उसके अपने प्रोजेक्ट चल रहे हैं.

रूस द्वारा Su-57 की पेशकश पर भी चर्चा होगी. IAF ने 2018 में इस प्रोग्राम से खुद को अलग कर लिया था. दिप्रिंट ने पहले रिपोर्ट किया था कि भारत इस प्रस्ताव को देख रहा है, लेकिन कोई फैसला नहीं हुआ है और खरीद की कोई योजना नहीं है.

रूस की दूसरी पेशकश S-500 एयर डिफेंस सिस्टम की है. भारत इसमें दिलचस्पी रखता है, लेकिन वह इंतजार करेगा कि पहले यह सिस्टम रूसी सेना में पूरी तरह शामिल हो जाए.

भारत Su-30 MKI फाइटरों के अपग्रेड और ब्रह्मोस मिसाइल की रेंज बढ़ाने पर द्विपक्षीय समझौते को आगे बढ़ाने में रुचि रखता है.

रूस द्वारा Sprut लाइट टैंक और Pantsir एयर डिफेंस सिस्टम की पेशकश पर भी चर्चा होगी, लेकिन कोई सौदा नहीं होगा.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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