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Sunday, 22 December, 2024
होमडिफेंसवह दिन दूर नहीं जब युद्धपोत की कमान एक महिला के हाथ में होगी, महिला नौसेना अधिकारियों का दावा

वह दिन दूर नहीं जब युद्धपोत की कमान एक महिला के हाथ में होगी, महिला नौसेना अधिकारियों का दावा

सर्जन लेफ्टिनेंट हन्ना जेन और लेफ्टिनेंट कमांडर तनीषा चक्रवर्ती उन चार महिला अधिकारियों में शामिल हैं जिन्हे दिसंबर-जनवरी में भारतीय नौसेना के युद्धपोतों पर तैनात किया गया था. दोनों बेड़े के टैंकर आईएनएस शक्ति पर अपनी सेवाएं दे रहीं हैं.

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नई दिल्ली: भारतीय नौसेना में जल्द ही युद्धपोतों में सामुद्रिक सेवा के लिए तैनात महिलाओं की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि होने वाली है और भविष्य में वे किसी युद्धपोत की कमान भी संभाल सकती हैं, जैसा कि हाल ही में एक युद्धपोत पर तैनात दो महिला नौसेना अधिकारियों ने एक इंटरव्यू के दौरान दिप्रिंट को बताया.

सर्जन लेफ्टिनेंट हन्ना जेन और लेफ्टिनेंट कमांडर तनीषा चक्रवर्ती उन चार महिला अधिकारियों में शामिल हैं जिन्हे लगभग 25 वर्षों के अंतराल के बाद दिसंबर-जनवरी में भारतीय नौसेना के युद्धपोतों पर तैनात किया गया था. वे दोनों बेड़े के टैंकर आईएनएस शक्ति पर अपनी सेवाएं प्रदान कर रहीं हैं. लेफ्टिनेंट सिवी भारद्वाज, एक हवाई यातायात नियंत्रक के रूप में कार्यरत, और लेफ्टिनेंट कमांडर प्रियंका चौधरी, एक रसद आपूर्ति (लॉजिस्टिक्स) अधिकारी, इस दल में शामिल दो अन्य महिला अधिकारी हैं. इन दोनों को भारत के एकमात्र विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य पर तैनात किया गया है.
कई वर्षों पहले, 1997 में, युद्धपोतों पर तैनात होने वाली पहली भारतीय महिला अधिकारी विनीता तोमर और सब-लेफ्टिनेंट राजेश्वरी कोरी थीं जिन्हें आईएनएस ज्योति, जो एक फ्लीट सपोर्ट वेसल (बड़े में मदद के लिया तैनात पोत) था, पर तैनात किया गया था.

हालांकि, इसके बाद किसी भी महिला अधिकारी को कार्वेट, डेस्ट्रॉयर्स (विध्वंसक युद्धपोत) और विमानवाहक पोत पर तैनाती की अनुमति नहीं दी गई थी. फ़िलहाल महिलाएं भारतीय नौसेना में नाविक के रूप में काम नहीं करती हैं.

संसद में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक, मेडिकल विंग में कार्यरत महिलओं को छोड़कर, 704 महिलाएं वर्तमान में नौसेना में सेवारत हैं, जो कुल अधिकारी संवर्ग का 6.5 प्रतिशत है. नौसेना में सेवारत पुरुष अधिकारीयों की कुल संख्या 10,108 है.

नौसेना में डॉक्टर के पद पर कार्यरत सर्जन लेफ्टिनेंट हन्ना जेन ने दिप्रिंट को बताया कि सशस्त्र बलों में महिलाओं की हमेशा से ही काफी कम प्रासंगिकता रही है, लेकिन अब लोग बदलाव के प्रति अधिक संवेदनशील हो रहे हैं और उनकी संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही है.

उन्होंने बताया, ‘महिलाएं हमेशा से ही युद्धपोतों में रहने/तैनात होने की इच्छा रखती हैं, लेकिन इन पर सेवारत महिलाओं के रहने-सहने की कठिन परिस्थितियों के कारण इसे लागू करने में देरी हुई है.’

सर्जन लेफ्टिनेंट जेन, जो इस समय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के तत्वावधान में अहमदाबाद में स्थापित धनवंतरी कोविड केयर अस्पताल में अस्थायी कोविड -19 ड्यूटी पर तैनात हैं, कहती हैं, ‘अब, नौसेना अपने पोतों पर महिलाओं की आवश्यकता के अनुरूप रहने की स्थिति के अनुसार सुधार सुनिश्चित करने की दिशा में काम कर रही है, और मुझे यकीन है कि हम जहाजों पर सेवारत महिलाओं की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखेंगे.’

एक लॉजिस्टिक्स अफसर (रसद आपूर्ति अधिकारी) के रूप में कार्यरत लेफ्टिनेंट कमांडर चक्रवर्ती ने कहा कि नौसेना के जहाजों पर माहौल (उनके लिए) काफी अनुकूल रहा है.

उनका कहना है, ‘लिंग भेद के प्रति धारणा में दुनिया भर में आये बदलाव, सोशल मीडिया तक पहुंच और नेतृत्व वाली भूमिकाओं में महिलाओं की स्वीकृति के साथ हीं हमारा समाज बहुत विकसित हुआ है और भारतीय नौसेना भी ऐसा ही कर रही है.’ चक्रवर्ती आगे कहती हैं, ‘वास्तव में, यहां माहौल काफी अनुकूल रहा है,’ अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए वे कहती हैं कि अधिकांश जहाजों में मौजूदा बुनियादी ढांचे की यह देखने के लिए समीक्षा की जा रही है कि उनमें से कौन से महिलाओं के लिए रहने योग्य हैं, और वर्तमान में निर्माणाधीन जहाजों में इस अनुसार परिवर्तन किए जा रहे हैं.


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आर्म्ड फोर्स कर्मियों के बच्चे हों या सिविलियन, दोनों रोमांच के प्रति आकर्षित हैं

सर्जन लेफ्टिनेंट हन्ना जेन तमिलनाडु के कुड्डालोर की रहने वाली हैं और उनकी मां सशस्त्र बलों में हीं नर्सिंग ऑफिसर हैं. वे कहती हैं, ‘इसीलिए मैं उनके लगातार होने वाले तबादलों के कारण पूरे देश में पली-बढ़ी हूं.’

सर्जन लेफ्टिनेंट जेन ने देश भर के विभिन्न आर्मी पब्लिक स्कूलों और केंद्रीय विद्यालयों में पढ़ाई की और तमिलनाडु के राजा मुथैया मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की.

वे कहती हैं कि यह उनकी मां थी जिन्होंने उन्हें जून 2017 में भारतीय नौसेना में शामिल होने के लिए प्रेरित किया, हालांकि वह पहले से ही सैन्य वर्दी, साहसिक जीवन शैली और ‘किसी भी व्यक्ति के जीवन क्षितिज को व्यापक बनाने के लिए सशस्त्र सेवाओं द्वारा प्रदान किए गए अवसरों’ से मोहित थीं.

दूसरी तरफ, लेफ्टिनेंट कमांडर चक्रवर्ती का जन्म गुवाहाटी, असम में हुआ था, लेकिन बड़े होने के दौरान हीं उन्होंने देश के विभिन्न हिस्सों की यात्रा की, क्योंकि उनके पिता की नौकरी भी ट्रांसफर वाली थी. उन्होंने चेन्नई से इंजीनियरिंग में स्नातक किया, और विप्रो और हुवेई जैसी प्रख्यात फर्मों के साथ काम करने के बाद सशस्त्र बलों में शामिल हो गईं.

चक्रवर्ती ने कहा कि जब वह जुलाई 2009 में भारतीय नौसेना में शामिल हुईं, तो रक्षा बलों को उनके जैसे लोगों के प्रति अधिक अनुभव नहीं था जो सामान्य नागरिक पृष्ठभूमि से आते हैं.

उन्होंने कहा, ‘मैंने सेना में शामिल होने के लिए प्रिंट मीडिया में आया एक विज्ञापन देखा था. रोमांच के प्रति मेरे जुनून ने मुझे इन सेवाओं के लिए आवेदन करने के लिए प्रेरित किया. आज, जब मैं पीछे मुड़कर देखती हूं, तो मुझे खुशी होती है कि मैंने यह फैसला किया और मुझे अपनी वर्दी पहनने पर गर्व है.’

एक जहाज की कमान संभालना और स्थायी कमीशन

समुद्र में तैनात पोत पर सेवा प्रदान करना नौसेना अधिकारियों के करियर विकास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जाता है, और महिला अधिकारियों की युद्धपोतों पर तैनात करने के साथ-साथ उन्हें स्थायी कमीशन देने से उनके लिए इन सेवाओं के उन चुनिंदा वरिष्ठ रैंक के पदों पर पदोन्नति के द्वार खुल जाते हैं, जिनके लिए उन्हें पहले पात्र नहीं माना जाता था. .
लेफ्टिनेंट कमांडर चक्रवर्ती ने कहा कि इस नए चलन के साथ, वह निश्चित रूप से भविष्य में महिला अधिकारियों को नौसेना के जहाजों की कमान संभालती हुई देखती हैं. वे कहती हैं, ‘भविष्य में महिला अधिकारियों को नौसेना के जहाजों की कमान संभालते देखना अब दूर की कौड़ी नहीं लगती.’

सर्जन लेफ्टिनेंट हन्ना जेन ने इस बात से सहमति तो व्यक्त की, लेकिन उनका कहना है कि इसमें अभी एक लंबा रास्ता तय करना है क्योंकि उनके पुरुष समकक्षों को बड़ी मात्रा में प्रशिक्षण और अनुभव मिलता है.

महिला नौसेना अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने पर सुप्रीम कोर्ट के 2020 के फैसले के बारे में बोलते हुए, हन्ना जेन ने कहा कि यह काफी उत्साहवर्द्धक है, और महिलाओं को पुरुषों के बराबर रखने में मदद करेगा. साथ ही यह और अधिक महिलाओं को नौसेना में शामिल होने के लिए प्रेरित करेगा.

इसी से सहमति जताते हुए लेफ्टिनेंट कमांडर चक्रवर्ती ने कहा ‘मुझे पूरा यकीन है कि यह और अधिक महिला अधिकारियों को सशस्त्र बलों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करेगा. एक शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारी होने के नाते हर किसी को अपने उम्र के तीसरे दशक के करीब किसी दूसरे करियर के बारे में सोचना शुरू करना पड़ता है. स्थायी कमीशन के साथ एक स्थिर नौकरी निश्चित रूप से उत्साह को बढ़ावा देने वाली है. हर दिन पंख फैलाने के अवसर बढ़ रहे हैं.’

जहाजों पर तैनात महिलाओं के सामने आने वालीं चुनौतियां

भारतीय नौसेना में कार्यरत महिला अधिकारी रसद, शिक्षा, विमानन और नौसेनिक आर्किटेक्चर जैसी विभिन्न शाखाओं में काम करती हैं. वे नौसेना के समुद्री टोही विमान जैसे p-8i, IL-38 और डोर्नियर में ‘ऑब्सेर्वेर्स (पर्यवेक्षक)’ के रूप में सैन्य परिचालन से सम्बंधित अवसरों में भी काम करती हैं.

पिछले साल सितंबर में, भारतीय नौसेना ने दो महिला अधिकारियों – सब-लेफ्टिनेंट रीति सिंह और कुमुदिनी त्यागी- के लिए हेलीकॉप्टर पर्यवेक्षक के रूप में एक युद्धपोत के डेक से काम करने का मार्ग प्रशस्त कर दिया था.

लेफ्टिनेंट कमांडर चक्रवर्ती ने कहा, ‘भविष्य में, मैं अनुशासन, लॉजिस्टिक्स, शिक्षा और चिकित्सा जैसे क्षेत्रों में भी, महिला नाविकों को पुरुष नाविकों के साथ हाथ-से-हाथ मिला कर काम करते देखने की परिकल्पना करती हूं.’

सर्जन लेफ्टिनेंट हन्ना जेन ने कहा कि जहाज पर अपनी तैनाती की शुरुआत में, उन्हें कुछ मानसिक अवरोधों का सामना करना पड़ा लेकिन जैसे ही वे पूरे वातावरण के संपर्क में आई, उन्होंने पाया कि यह जमीन पर कार्यरत बेस यूनिट्स से अलग नहीं थे. लगभग दो महीने से आईएनएस शक्ति में तैनात लेफ्टिनेंट कमांडर चक्रवर्ती का कहना है कि काम-काज के लिहाज से यह अनुभव बहुत अलग नहीं है.

उन्होंने बताया कि ‘मैं जहाज पर आने वाली उन विशिष्ट परिस्थितियों की बारीकियों को सीख रहीं हूं, जो तट पर आधारित इकाइयों में नहीं मिलती. अन्य छोटी- छोटी चुनौतियां में बिना नेटवर्क वाले क्षेत्रों में रहना, लंबी या अप्रत्याशित नौकायन कार्यक्रम के कारण परिवार के साथ कम बातचीत कर पाना आदि शामिल हैं.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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