scorecardresearch
Thursday, 21 November, 2024
होमडिफेंसएफ/ए-18 ट्रायल के पूरा होने से भारतीय कैरियर्स को संचालित करने की क्षमता मजबूत हुई- बोइंग

एफ/ए-18 ट्रायल के पूरा होने से भारतीय कैरियर्स को संचालित करने की क्षमता मजबूत हुई- बोइंग

निर्माता कंपनी बोइंग का कहना है कि गोवा में एफ/ए-18 के ट्रायल के पूरा होने से भारतीय कैरियर्स को संचालित करने की क्षमता मजबूत हुई और भारतीय नौसेना को अमेरिकी नौसेना की रणनीति से लाभ होगा.

Text Size:

नई दिल्ली: अमेरिकी विमानन कंपनी बोइंग ने बुधवार को कहा, इस साल की शुरुआत में एफ/ए-18 सुपर हॉर्नेट के गोवा में ट्रायल को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद भारतीय नौसेना के कैरियर्स को प्रभावी ढंग से और सुरक्षित रूप से संचालित करने की क्षमता को ‘मजबूत’ किया है.

अमेरिकी फर्म, जो नए लड़ाकू विमानों के लिए भारतीय नौसेना से अनुबंध के लिए फ्रांसीसी विमानन प्रमुख डसॉल्ट एविएशन के साथ प्रतिस्पर्धा में है, ने कहा कि दो अमेरिकी नौसेना एफ / ए -18 ई सुपर हॉर्नेट ने कई स्की-जंप, रोल-इन और फ्लाई-इन अरेस्टमेंट्स को पूरा किया है (जब एक विमान कैरियर पर उतरता है और अरेस्टिंग गियर का उपयोग कर तेजी से धीमा हो जाता है).

भारतीय नौसेना ट्रायल्स की आवश्यकताओं को पूरा करने’ के लिए एफ / ए -18 ने एयर टू एयर, एयर टू ग्राउंड और एयर टू सरफेस के विभिन्न कॉन्फ़िगरेशन में उड़ानें भी कीं.

कंपनी ने दावा किया कि एफ/ ए -18 सुपर हॉर्नेट को कैरियर ऑपरेशन्स के लिए डिज़ाइन किया गया और बनाया गया था और यह विमान वाहक आईएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विक्रांत के साथ ‘पूरी तरह से कम्प्लाइअन्ट’ में है.

कंपनी ने एक बयान में कहा कि एफ/ए-18 भारतीय नौसेना के विमानवाहक पोतों के डेक, हैंगर और लिफ्टों पर काम करने में सक्षम होगा.

दिप्रिंट ने पहले बताया था कि भारतीय नौसेना दो दर्जन से अधिक लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए अमेरिका या फ्रांस के साथ सरकार से सरकार अनुबंध करेगी.

रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने यह भी कहा था कि दो विमानों – बोइंग के एफ / ए -18 ई और डसॉल्ट के राफेल एम – द्वारा ऑपरेशनल प्रदर्शनों पर एक ट्रायल रिपोर्ट दो महीने के भीतर पूरी की जानी चाहिए और विवाद में दोनों कंपनियों से और स्पष्टीकरण मांगा जा सकता है.

इसके बाद, नौसेना को 2022 के अंत तक खरीद प्रस्ताव को रक्षा मंत्रालय के पास ले जाने की उम्मीद है.

अगली पीढ़ी के लिए अपग्रडेशन

बोइंग डिफेंस, स्पेस एंड सिक्योरिटी एंड ग्लोबल सर्विसेज के वाइस प्रेसिडेंट एलेन गार्सिया ने कहा, ‘बोइंग टीम को गोवा में भारतीय कैरियर्स के साथ एफ/ए-18 सुपर हॉर्नेट की कम्पेटिबिलिटी दिखाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ.’

उन्होंने कहा कि एफ/ए-18 सुपर हॉर्नेट दुनिया के सबसे सिद्ध और किफायती बहु-भूमिका वाले फाइटर्स में से एक है और अगली पीढ़ी के ब्लॉक III क्षमता के विकास के साथ विकसित हो रहा है, जो भारत के लिए गेम-चेंजिंग होगा.

उन्होंने कहा, ‘सुपर हॉर्नेट ब्लॉक III के साथ, भारतीय नौसेना को न केवल सबसे एडवांस प्लेटफार्म मिलेगा, बल्कि अमेरिकी नौसेना द्वारा प्रदान की जाने वाली नौसेना विमानन पारिस्थितिकी तंत्र से संबंधित रणनीति और ज्ञान से भी लाभ होगा.’

2020 के अंत में गोवा में ट्रायल्स ने मैरीलैंड में नेवल एयर स्टेशन (एनएएस) पेटक्सेंट नदी में आयोजित पिछले ट्रायल्स के दौरान विभिन्न भारों और कॉन्फ़िगरेशन में आठ स्की-जंप किया, जिसने सुपर हॉर्नेट की टेकऑफ़ से संचालित करने की क्षमता का प्रदर्शन किया.

बोइंग ने कहा कि अमेरिकी नौसेना के फ्रंटलाइन फाइटर के रूप में, दुनिया भर में 800 से अधिक विमानों की डिलीवरी और 2.5 मिलियन से अधिक उड़ान घंटे के साथ, सुपर हॉर्नेट ब्लॉक III संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत की नौसेनाओं के बीच सहयोग और कोऑपरेशन के अवसर प्रदान करता है.

इसने आगे कहा कि बोइंग और अमेरिकी नौसेना ने सुपर हॉर्नेट ब्लॉक III में नई तकनीकों को शामिल करने के लिए कई अरब डॉलर का निवेश किया था, जिसमें ब्लॉक II के 6,000 घंटे के ब्लॉक II से एयरफ्रेम के लाइफ को 10,000 घंटे तक बढ़ाने के साथ-साथ रडार क्रॉस सेक्शन भी शामिल था.

बोइंग ने अपने बयान में कहा कि इसके प्रतियोगी के रूप में, राफेल एम का ट्विन-सीटर वर्जन, एक भारतीय विमानवाहक पोत से संचालित नहीं हो सकता.

बोइंग ने बयान में कहा सुपर हॉर्नेट का ट्विन-सीटर कैरियर वर्जन भारतीय नौसेना को कई अद्वितीय लाभ प्रदान करता है, जिसमें लचीलापन, बेड़े का उच्च उपयोग और वाहक से कुछ मिशनों को शुरू करने की क्षमता शामिल है जो दूसरे चालक दल सदस्य के होने से लाभान्वित होते हैं.

इसके अतिरिक्त, टू-सीटर एफ/ए-18 सुपर हॉर्नेट का उपयोग प्रशिक्षकों (एशोर और कैरियर पर) दोनों के रूप में किया जा सकता है और पूरी तरह से सक्षम लड़ाकू विमानों के रूप में, वाहक से और भूमि के ठिकानों से परिचालन किया जा सकता है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें : मोदी सरकार अमेरिका और फ्रांस से सीखे, भारत के रक्षा क्षेत्र में प्राइवेट कंपनियों को बढ़ावा देने की जरूरत


 

share & View comments