नई दिल्ली: केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की उपस्थिति में राजस्थान के बाड़मेर के राष्ट्रीय राजमार्ग-925 पर सुखोई फाइटर एयरक्राफ्ट की इमरजेंसी लैंडिंग कराई गई. यह पहला मौका है जब राष्ट्रीय राजमार्ग पर फाइटर एयरक्राफ्ट की लैंडिंग कराई गई है. सैन्य दृष्टिकोण से इसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
एनएच-925 भारत का पहला राष्ट्रीय राजमार्ग है जिसका इस्तेमाल वायुसेना के विमानों को आपात स्थिति में उतारने के लिए किया जाएगा. 3 किलोमीटर इस एयरस्ट्रिप को एनएचएआई और भारतीय वायु सेना ने मिलकर तैयार किया है.
उद्घटान कार्यक्रम के दौरान सीडीएस बिपिन रावत और एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया भी मौजूद रहे.
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस दौरान कहा, ‘भारत अपनी एकता, अखंडता की रक्षा और किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है. इस एयरस्ट्रिप के बनने से ये बात साबित हो गई है.’
उन्होंने कहा, ‘ये एयरस्ट्रिप और हैलीपेड किसी भी आपदा के समय मददगार साबित होगी.’
कोरोना महामारी के दौरान तीनों सेनाओं की भूमिका को भी रक्षा मंत्री ने सराहा और कहा कि अब कहा जा सकता है कि हम एक भारत, श्रेष्ठ भारत की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इसे ऐतिहासिक दिन बताया. उन्होंने कहा, ‘हमने भारतमाला परियोजना के तहत करीब 45 करोड़ की लागत से 3 किलोमीटर लंबी एयरस्ट्रिप तैयार की है. इसकी क्वालिटी बहुत अच्छी है. इसका उपयोग भारतीय वायुसेना की आपातकालीन लैंडिंग के लिए होगा.’
Emergency Landing Facility on Satta-Gandhav stretch of NH-925A near Barmer is being inaugurated. Watch https://t.co/MykNONmJQX
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) September 9, 2021
इससे पहले अक्टूबर 2017 में भारतीय वायुसेना के लड़ाकू एवं परिवहन विमानों ने लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे पर मॉक लैंडिंग की थी ताकि यह दिखाया जा सके कि ऐसे राजमार्गों का उपयोग वायुसेना के विमानों द्वारा आपात स्थिति में उतरने के लिए किया जा सकता है.
हालांकि लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे, जो कि एक राष्ट्रीय राजमार्ग नहीं है, उत्तर प्रदेश सरकार के तहत आता है.
यह पट्टी भारतमाला परियोजना के तहत गगरिया-बखासर और सट्टा-गंधव खंड के नव विकसित ‘टू-लेन पेव्ड शोल्डर’ का हिस्सा है, जिसकी कुल लंबाई 196.97 किलोमीटर है और इसकी लागत 765.52 करोड़ रुपये है.
‘पेव्ड शोल्डर’ उस भाग को कहा जाता है, जो राजमार्ग के उस हिस्से के पास हो जहां से वाहन नियमित रूप से गुजरते हैं.
इस परियोजना में आपातकालीन लैंडिंग पट्टी के अलावा कुंदनपुरा, सिंघानिया और बाखासर गांवों में वायु सेना/भारतीय सेना की आवश्यकताओं के अनुसार तीन हेलीपैड (प्रत्येक का आकार 100 x 30 मीटर) का निर्माण किया गया है, जो पश्चिमी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भारतीय सेना और सुरक्षा नेटवर्क के सुदृढ़ीकरण का आधार होगा.
इमरजेंसी लैंडिंग फील्ड (ईएलएफ) का निर्माण 19 महीने के अंदर पूरा किया गया है. इसका निर्माण कार्य जुलाई 2019 में शुरू किया गया था और जनवरी 2021 में यह सम्पन्न हो गया. आईएएफ और एनएचएआई की देखरेख में ‘जीएचवी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड’ ने इसका निर्माण किया है.
12 राष्ट्रीय राजमार्ग जिनपर हवाई पट्टियां तैयार करने की मंजूरी दी गई है, उनमें जम्मू-कश्मीर में बिजबेहेड़ा-चिनार बाग़ हाईवे, उत्तराखंड में रामपुर-काठगोदाम हाईवे, पश्चिम बंगाल में खड़गपुर-क्योंझार हाईवे, और असम में मोहनबाड़ी-तिंसुकिया हाईवे शामिल हैं.
(भाषा के इनपुट्स के साथ)
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