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Thursday, 25 April, 2024
होमडिफेंस‘बिना वैक्सीन के हो गईं 150 मौतें' नेपाल से रिटायर्ड गोरखा सैनिकों ने जन. नरवणे को वैक्सीन्स भेजने के लिए लिखा पत्र

‘बिना वैक्सीन के हो गईं 150 मौतें’ नेपाल से रिटायर्ड गोरखा सैनिकों ने जन. नरवणे को वैक्सीन्स भेजने के लिए लिखा पत्र

पत्र में कहा गया है कि नेपाल में, जिन 150 रिटायर्ड गोरखा सैनिकों की कोविड से मौत हुई, उन्हें वैक्सीन का एक भी डोज़ नहीं मिला था. उन्होंने भारत से 3 लाख टीकों की मांग की है.

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नई दिल्ली: नेपाल से गोरखा सैनिकों ने, जिन्होंने भारतीय सेना में सेवाएं दी हैं, भारत के सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवाणे से आग्रह किया है, कि उन्हें और उनके आश्रितों को, कोविड-19 वैक्सीन्स उपलब्ध कराई जाएं. ये अनुरोध ऐसे समय आया है, जब नेपाल महामारी के प्रभावों को झेल रहा है, जिनमें न केवल संक्रमण और मौतें, बल्कि बहुत से लोगों के लिए वित्तीय संकट शामिल है.

इसी महीने नरवाणे और केंद्रीय संगठन एक्स-सर्विसमेन कंट्रीब्यूटरी हेल्थ स्कीम (ईसीएचएस) को लिखे एक पत्र में, नेपाल में रह रहे सेवानिवृत्त गोरखा सैनिकों ने (जो नेपाल के स्थायी निवासी हैं) कहा, कि उनमें से 150 से अधिक की, बिना कोई टीका लगवाए ही मौत हो गई.

पत्र में, जिसकी एक कॉपी दिप्रिंट के पास है, आगे कहा गया कि महामारी ने नेपाल के लोगों को बुरी तरह प्रभावित किया है, और इसमें और लोगों की जानें जा सकती हैं.

रिटायर्ड सैनिकों ने ये भी कहा, कि नेपाल सरकार इस स्थिति में नहीं है, कि उन्हें और उनके आश्रितों को, प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीन मुहैया करा सके, क्योंकि वैक्सीन्स के लिए वो स्वयं, दूसरे देशों पर निर्भर है.

पत्र में कहा गया, ‘पूर्व सैनिकों (ईएसएम) ने अपनी पूरी निष्ठा के साथ (भारतीय सेना को) सेवाएं दी हैं, लेकिन अब वो मर रहे हैं’. उसमें ये भी कहा गया कि भारत सरकार, या नेपाल सरकार कोई भी, उन्हें प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीन्स मुहैया नहीं करा रही है.

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पत्र में कहा गया कि जहां भारत में ईसीएचएस, पूर्व-सैनिकों और उनके आश्रितों को, ईसीएचएस पॉलीक्लीनिक्स के ज़रिए वैक्सीन्स मुहैया करा रही है, वहीं नेपाल के रिटायर्ड गोरखा सैनिकों को, अभी तक टीके की पहली ख़ुराक भी नहीं मिली है.

पूर्व-सैनिकों ने सवाल उठाया, कि क्या ये ‘दुनिया भर में प्रसिद्ध गोरखा सैनिकों’ के साथ ‘घोर अन्याय’ नहीं है.

रिटायर्ड सैनिकों, जिन्होंने ये पत्र नेपाल भूतपूर्व सैनिक संघ के बैनर तले लिखा, का कहना था कि ईसीएचएस का दायित्व है, कि वो पूर्व- सैनिकों और उनके आश्रितों को, वैक्सीन्स तथा चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराए.

ईसीएचएस से अनुरोध करने में,उन्होंने जनरल नरवाणे से दख़लअंदाज़ी की गुज़ारिश की, कि मानवीय आधार पर उन्हें और उनके आश्रितों को, वैक्सीन्स उपलब्ध कराई जाएं.

पत्र में कहा गया, ‘मौजूदा स्थिति में ज़रूरत पूरी करने के लिए, लगभग तीन लाख वैक्सीन्स पर्याप्त होनी चाहिएं’. उसमें ये भी कहा गया कि इस क़दम हज़ारों पूर्व-सैनिक बच जाएंगे, ‘जिन्होंने अपनी जवानी भारत के लिए समर्पित कर दी’.


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‘भारत-नेपाल मैत्री की नींव’

नेपाली पूर्व-सैनिकों को, जिन्होंने भारतीय सेना में सेवाएं दी हैं, भारत सरकार से पेंशन मिलती है.

भारतीय सेना में हर साल, क़रीब 1,300 गोरखा युवक भर्ती किए जाते हैं, और नेपाल में निवास करने वाले 30,000 से 35,000 गोरखा सैनिक, भारतीय सेना की गोरखा राइफल्स की सात रेजिमेंट्स में सेवाएं देते हैं.

पिछले साल नवंबर में, राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने जन. नरवाणे को, नेपाली सेना के जनरल की मानद रैंक से नवाज़ा था.

भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कहा था, कि गोरखा जवान और भूतपूर्व-सैनिक, भारत-नेपाल मैत्री के ‘आधारभूत स्तंभ’ थे.

इसी महीने, सेना ने एक टीकाकरण अभियान चलाया था, जिसके तहत जम्मू-कश्मीर में, ‘वीर नारियों’ या कर्त्तव्य निभाते हुए जान देने वाली सैनिकों की पत्नियों, और उनके आश्रितों को टीके लगाए गए थे.

इस साल मार्च में, भारतीय सेना ने कथित रूप से, नेपाल सेना को कोविड वैक्सीन्स के एक लाख डोज़ उपहार में दिए थे.

नेपाल ने जनवरी में अपने लोगों को टीके लगाने शुरू किए थे, जब उसे भारत से अनुदान के तौर पर, कोविशील्ड वैक्सीन्स के 10 लाख डोज़ मिले थे. उसके बाद, नेपाल ने भारत से अतिरिक्त डोज़ ख़रीदने के लिए ऑर्डर किया. लेकिन, नेपाल को ऑर्डर की केवल आधी मात्रा ही मिल पाई, क्योंकि दूसरी लहर के नतीजे में, भारत में घरेलू क़िल्लत पैदा हो गई.

दिप्रिंट ने पहले ख़बर दी थी, कि नई दिल्ली का लक्ष्य है, कि जुलाई-अंत या अगस्त तक, कम से कम वो वैक्सीन्स रवाना कर दी जाएं, जिन्हें बांग्लादेश, श्रीलंका, और नेपाल ने ख़रीदा है, लेकिन जो अभी तक पहुंचाई नहीं जा सकी हैं.

चीन की भी नेपाल को वैक्सीन्स के 10 लाख डोज़ भेजने की योजना है, जिनमें से 80,000 डोज़ भेजे जा चुके हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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