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Thursday, 9 May, 2024
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चीन, आधुनिकीकरण और मैनपावर रेशनलाइजेशन : चुनौतियों से भरी है नए सेना प्रमुख जनरल पांडे की राह

पूर्वी सेना कमांडर के रूप में, जनरल पांडे ने प्रौद्योगिकी और तैनाती के नए पैटर्न पर विशेष ध्यान देने के साथ एलएसी के पूर्वी क्षेत्र में सेना की जवाबी करवाई का नेतृत्व किया.

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नई दिल्ली: जनरल मनोज पांडे शनिवार को एक नया इतिहास रचते हुए चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (सीओएएस) के रूप में पदभार ग्रहण करने वाले इंजीनियर्स कोर के पहले अधिकारी बने. यह इन्फैंट्री (पैदल सेना) आर्टिलरी (तोपखाने) और बख़्तरबंद कोर (आर्मरड कॉर्प) से जुड़े अधिकारियों को सेना प्रमुख के रूप में नियुक्त करने की सेना की सामान्य प्रथा से एक प्रमुख बदलाव है.

जनरल पांडे द्वारा अपना नया पदभार संभाले जाने के दौरान एक मुद्दा जो उनके लिए मुख्य रूप से ध्यान देने का क्षेत्र बना रहेगा, वह है चीन और यह एक ऐसा मसाला है जिसका उन्होंने पूर्वी सेना कमांडर के रूप में काफी नजदीकी से सामना किया था.

रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने कहा कि संवेदनशील वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन का बाहें चढाने वाला वाला रवैया जारी रहेगा और इसलिए नए सेना प्रमुख अपना पद पहले से मौजूद चुनैतियों के बीच संभाल रहे हैं.

पूर्वी सेना कमांडर के रूप में, जनरल पांडे ने प्रौद्योगिकी और तैनाती के नए पैटर्न (तौर-तरीकों) पर विशेष ध्यान देने के साथ एलएसी के पूर्वी क्षेत्र में सेना की जवाबी करवाई का नेतृत्व किया.

उनके नेतृत्व में, पूर्वी कमान ने बड़े पैमाने पर आधुनिक प्रौद्योगिकी को शामिल किया, जिसमें ड्रोन और नई फायर सपोर्ट (आग्नेयास्त्र) वाली प्रणालियां शामिल थीं, जिनका उद्देश्य चीनियों की किसी भी वैसी संभावित योजना को विफल करना था, जैसा कि उन्होंने लद्दाख में किया था और जहां दोनों सेनाएं साल 2020 से ही गतिरोध में है.

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उनके कार्यकाल में तैनाती के तौर-तरीकों (पैटर्न) में बदलाव किया गया और विशेष समन्वय केंद्रों की स्थापना भी देखी गई. बाद में, इन सभी को उत्तरी क्षेत्र, जहां सीधी भिड़ंत (लाइव एक्शन) देखी गई थी, में भी दोहराया गया.

हालांकि, जवानों और उपकरणों को शामिल करना और उनकी तैनाती प्रमुख क्षेत्र थे, मगर जनरल पांडे ने अपनी जिम्मेदारी के तहत आने वाले इलाके (एरिया ऑफ़ रिस्पांसिबिलिटी एओआर) के अंदर बुनियादी ढांचे के निर्माण पर भी अपना ध्यान केंद्रित किया.

जनरल पांडे के 39 साल के सेवाकाल में उनकी नियुक्तियों की ओर इशारा करते हुए एक सूत्र ने दिप्रिंट को शुक्रवार को बताया, ‘वह एक पुराने चीन विशेषज्ञ है और अपने साथ एक बड़ा नजरिया लेकर आते हैं.’

उन्होंने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर एक इन्फैंट्री ब्रिगेड, जो पश्चिमी लद्दाख के ऊंचाई वाले इलाके में एक माउंटेन डिवीजन है, और पूर्वी सेक्टर में एक कोर की कमान भी संभाली है.

उनके स्टाफ एक्सपोजर (अधिकारी के रूप में अनुभव) में पूर्वोत्तर में एक माउंटेन ब्रिगेड के ब्रिगेड मेजर, काफी अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में से एक के माउंटेन डिवीजन के कर्नल क्यू और पूर्वी कमान मुख्यालय में ब्रिगेड जनरल स्टाफ (ऑपरेशंस) शामिल हैं.


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आधुनिकीकरण पर रहेगा ध्यान

सूत्रों का कहना है कि एक अन्य क्षेत्र जो जनरल पांडे के कार्यकाल के दौरान मुख्य रूप से फोकस में रहेगा, वह है सैन्य आधुनिकीकरण, खासकर लंबी अवधि वाली योजनाओं के संदर्भ में.

सूत्रों ने बताया कि युद्ध का तरीका लगातार बदल रहा है, और सेना के लिए नवीनतम संघर्षों से सीखना और उनमें आजमाई जा रही उभरती हुई तकनीक को समझना काफी महत्वपूर्ण है.

एक सूत्र ने कहा, ‘सेना का आधुनिकीकरण अत्यंत अहम बात है. अभी जिसकी जरुरत है और भविष्य में क्या आवश्यक है, इन दोनों के बीच एक अच्छा संतुलन होना चाहिए. सब कुछ दुश्मन से बराबरी करने बारे में ही नहीं होना चाहिए, बल्कि हमें दीर्घकालिक रूप सोचते हुए और दुश्मन से आगे निकलने के बारे में भी सोचना चाहिए.’

उनके फोकस का एक और बड़ा क्षेत्र मैनपावर रेशनलाइजेशन (जनशक्ति का समुचित उपयोग) भी होगा, जिसको लेकर नरेंद्र मोदी सरकार काफी अधिक उत्सुक है.

फिलहाल भारतीय थल सेना में लगभग बारह लाख (1.2 मिलियन) जवना हैं और सरकार एक कृशकाय (पतले-दुबले) एवं और अधिक प्रौद्योगिकी उन्मुख सुरक्षा बल हेतु इच्छुक है.

पिछले दो वर्षों में भर्ती रैलियों में आई कमी के कारण पहले ही लगभग 1.3 लाख सैनिकों की कमी हो गई है.

एक अन्य सूत्र ने कहा, ‘हालांकि, मैनपावर रेशनलाइजेशन एक बहुत बड़ा काम है और यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाएगा कि एक अच्छा संतुलन हो. अन्यथा, यह परिचालन क्षमता को प्रभावित करेगा ‘

चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को हमेशा से दुनिया की सबसे बड़ी सेना के रूप में माना जाता था, जिसके पास लगभग बीस लाख (दो मिलियन) सैनिकों की ताकत थी. लेकिन अब उसने भी अपनी सैनिकों की संख्या दस लाख (एक मिलियन) से कम पर ला दी हैं.

यह अब भारत, जो सैनिकों की वास्तविक संख्या के मामले में नंबर 1 पर है, के बाद तीसरी सबसे बड़ी सेना है.

चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने 2015 में पीएलए के आकार को कम करने की घोषणा की थी ताकि इस सुरक्षा बल को कृशकाय एवं आधुनिक युद्ध पर और अधिक निर्भर बनाया जा सके.

अब तक अभूतपूर्व माने जाने वाले ये सुधार उस वर्ष नवंबर में शुरू हुए और चीन का सारा ध्यान साइबर एवं अंतरिक्ष युद्ध तथा भविष्य के हथियारों के लिए जरुरी प्रौद्योगिकी पर स्थानांतरित हो गया. साथ ही, इसने पीएलए की नौसेना और वायु सेना शक्ति को बढ़ावा देने पर अधिक जोर देना शुरू कर दिया.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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