नई दिल्ली: एक फैसले में, जिसने अधिकारियों को चौंका दिया है, केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (CAT) की हैदराबाद पीठ ने ब्रह्मोस एयरोस्पेस के डायरेक्टर जनरल जयतीर्थ आर. जोशी की नियुक्ति रद्द कर दी है. जोशी ने 1 दिसंबर 2024 को यह पद संभाला था.
यह फैसला CAT में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के ‘डिस्टिंग्विश्ड साइंटिस्ट’ शिवसुब्रमण्यम नंबी नायडू द्वारा दायर की गई अपील के बाद आया. नायडू उन तीन उम्मीदवारों में शामिल थे, जिन पर ब्रह्मोस प्रमुख पद के लिए विचार किया गया था. उनकी याचिका में रक्षा मंत्रालय (एमओडी) और डीआरडीओ पर आरोप लगाया गया कि जोशी को चुनकर उनकी वरिष्ठता और अनुभव को नज़रअंदाज़ किया गया.
सोमवार को जारी आदेश में CAT की पीठ ने कहा कि जोशी की नियुक्ति को “रद्द और निरस्त” किया जाता है.
पीठ ने रक्षा मंत्रालय और डीआरडीओ को निर्देश दिया कि वे “इस आदेश की प्रति मिलने की तारीख से चार सप्ताह के भीतर आवेदक नायडू के दावे पर डीजी ब्रह्मोस पद के लिए फिर से विचार करें.”
आदेश में कहा गया, “जब तक ऊपर बताए अनुसार नियुक्ति पर निर्णय नहीं हो जाता, तब तक प्रतिवादी एक ‘इंचार्ज व्यवस्था’ करें, लेकिन वह व्यवस्था पांचवें प्रतिवादी (जोशी) के साथ नहीं होगी.”
पीठ ने कहा कि रक्षा मंत्रालय और डीआरडीओ द्वारा जोशी को ब्रह्मोस डायरेक्टर जनरल नियुक्त करने के फैसले में “स्पष्ट मनमानी” दिखाई देती है.
इस बीच, सूत्रों ने तर्क दिया कि ऐसा कोई नियम नहीं है कि केवल सबसे वरिष्ठ व्यक्ति ही ब्रह्मोस डीजी बने और उन्होंने अलग-अलग क्षेत्रों में हुई पिछली नियुक्तियों का हवाला दिया.
रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने सवाल किया, “अगर सिर्फ सबसे वरिष्ठ ही प्रमुख बनेगा, तो फिर उम्मीदवारों के समूह से चयन की प्रक्रिया क्यों होती है?”
सूत्र यह भी देख रहे हैं कि CAT के इस आदेश का सरकार द्वारा की जाने वाली अन्य वरिष्ठ स्तर की नियुक्तियों पर क्या असर पड़ेगा. एक अन्य सूत्र ने कहा, “यह आदेश मिसाल नहीं बन सकता,” लेकिन आगे की कार्रवाई के बारे में कुछ नहीं बताया.
दिलचस्प बात यह है कि CAT के आदेश में कहा गया है कि वरिष्ठता, पदोन्नति और वेतन स्तर, जो लंबे समय की सेवा, मेहनत और ईमानदारी से मिलते हैं, उन्हें सरकारी सेवा में महत्वहीन नहीं माना जा सकता.
ट्रिब्यूनल ने कहा, “केवल न्यूनतम पात्रता मानदंड पूरा कर लेना किसी को चयन का हकदार नहीं बना देता. भले ही दूसरे प्रतिवादी (डीआरडीओ प्रमुख) चयन समिति द्वारा सुझाए गए तीन उम्मीदवारों में से किसी एक को चुनने में सक्षम हों, लेकिन चयन मनमाना नहीं हो सकता.”
इस आदेश को उस उच्च न्यायालय में रिट याचिका के जरिए चुनौती दी जा सकती है, जिसके अधिकार क्षेत्र में CAT की यह पीठ आती है. अभी यह स्पष्ट नहीं है कि सरकार इस आदेश को चुनौती देगी या नहीं.
नायडू ने अपनी याचिका में दलील दी कि विज्ञापन के तहत डीजी पद के लिए आवेदन करने वाले सभी उम्मीदवारों में वे सबसे वरिष्ठ थे.
उन्होंने कहा कि जब आवेदन जमा किए गए थे, उस समय जोशी पे लेवल-15 में प्रोग्राम डायरेक्टर थे और आवेदन करने वाले उम्मीदवारों में सबसे जूनियर थे. नायडू ने यह भी कहा कि वे ‘डिस्टिंग्विश्ड साइंटिस्ट’ हैं, जबकि जोशी ‘आउटस्टैंडिंग साइंटिस्ट’ थे, जो उनके पद से एक स्तर नीचे है.
नायडू की याचिका में कहा गया है कि मेरिट और वरिष्ठता—दोनों के आधार पर वे शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों में सबसे ऊपर थे, लेकिन फिर भी प्राधिकरण ने जोशी को चुन लिया.
इस पद के लिए आठ वैज्ञानिकों ने आवेदन किया था, जिनमें दो डिस्टिंग्विश्ड साइंटिस्ट और छह अन्य साइंटिस्ट ‘एच’ श्रेणी के थे. CAT के आदेश में कहा गया, “हालांकि, चयन समिति की कार्यवाही में नामों की सिफारिश वर्णमाला के क्रम में की गई, जिसके लिए हमें कोई नियम नहीं दिखाया गया.”
CAT को दिए अपने जवाब में रक्षा मंत्रालय ने कहा कि विज्ञापन के अनुसार, चयन प्रक्रिया में इच्छुक और पात्र वैज्ञानिकों को निर्धारित प्रारूप में आवेदन भेजने थे. इसके बाद दो सदस्यों का एक पैनल सभी आवेदनों की जांच करता और जो पात्रता मानदंड पूरे नहीं करते थे, उन्हें छांट देता.
यह पैनल, जिसकी अध्यक्षता रिक्रूटमेंट एंड असेसमेंट सेंटर (आरएसी) के चेयरमैन ने की, और जिसमें भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) विशाखापट्टनम के निदेशक, डिफेंस इंस्टिट्यूट ऑफ एडवांस्ड टेक्नोलॉजी (डीआईएटी) के कुलपति और डीआरडीओ मुख्यालय के महानिदेशक (एचआर) शामिल थे, ने पात्र उम्मीदवारों के साथ बातचीत बैठक की, इसके बाद अनुशंसित उम्मीदवारों का पैनल अंतिम रूप दिया गया.
छांटे गए उम्मीदवारों का साक्षात्कार 22 अक्टूबर को आरएसी के चेयरमैन की अध्यक्षता में चयन समिति ने किया. पैनल ने प्रत्येक पात्र उम्मीदवार की प्रोफाइल की गोपनीय समीक्षा और उनसे बातचीत के बाद तीन नाम सचिव, डीडीआरएंडडी और चेयरमैन, डीआरडीओ को भेजे.
इसके बाद सचिव, डीडीआरएंडडी और चेयरमैन, डीआरडीओ ने चयन समिति द्वारा सुझाए गए वैज्ञानिकों के नामों पर विचार किया और एक उम्मीदवार को चुना. 22 नवंबर को फाइल पर आदेश पारित कर प्रतिवादी संख्या 5 को डीआरडीएल, हैदराबाद से स्थानांतरण पर डीजी (ब्रह्मोस), नई दिल्ली नियुक्त किया गया.
आगे कहा गया कि डीआरडीओ चेयरमैन, सेवा प्रमुख होने के नाते, डीआरडीएस नियम, 2023 के नियम 10 के तहत सक्षम प्राधिकारी हैं और वे बिना विज्ञापन जारी किए या ऊपर बताई गई चयन प्रक्रिया का पालन किए भी किसी वरिष्ठ वैज्ञानिक को डीजी के रूप में तैनात कर सकते हैं.
हालांकि, बयान में यह भी कहा गया कि आम तौर पर इसी चयन प्रक्रिया का पालन किया जाता है, ताकि संबंधित क्लस्टर या स्थापना के डायरेक्टर जनरल के रूप में नियुक्ति के लिए पात्र, इच्छुक और सबसे उपयुक्त वरिष्ठ वैज्ञानिक को चुना जा सके.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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