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Friday, 22 November, 2024
होमडिफेंसबोइंग ने कहा- इंडियन नेवी डील 'प्राथमिकता'; F/A-18 सुपर हॉर्नेट 'कहीं से भी संचालन में सक्षम'

बोइंग ने कहा- इंडियन नेवी डील ‘प्राथमिकता’; F/A-18 सुपर हॉर्नेट ‘कहीं से भी संचालन में सक्षम’

बोइंग में इंटरनेशनल गवरमेंट एंड डिफेंस के उपाध्यक्ष टोरबॉर्न सोजोग्रेन का कहना है कि एफ/ए-18 सुपर हॉर्नेट भारतीय नौसेना के लिए उपयुक्त विमान है.

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नई दिल्ली: अपने एफ/ए-18 सुपर हॉर्नेट को दुनिया का प्रीमियर कैरियर एयरक्राफ्ट के तौर पर पेश करते हुए, अमेरिकी विमानन प्रमुख बोइंग ने कहा है कि भारतीय नौसेना के लिए उनके लड़ाकू विमान प्रतिद्वंद्वी फ्रांसीसी फर्म डसॉल्ट एविएशन के राफेल एम की तुलना में ज्यादा बेहतर हैं.

बोइंग में इंटरनेशनल गवर्मेंनट एंड डिफेंस के उपाध्यक्ष टॉर्बजर्न सोजोग्रेन ने एक विशेष साक्षात्कार में दिप्रिंट को बताया कि कंपनी के पास भारतीय नौसेना और भारतीय वायु सेना (आईएएफ) दोनों बलों के लिए उपयुक्त विमान है. उन्होंने इस बात पर खास जोर दिया कि दुनिया में कहीं से भी संचालन में सक्षम होने की वजह से सुपर हॉर्नेट अमेरिकी नौसेना की स्पष्ट पसंद हैं.

एक विमान वाहक से संचालित करने के लिए राफेल एम ट्विन-सीटर की अक्षमता का जिक्र करते हुए सोजोग्रेन ने कहा, ‘मेरा मतलब है सुपर हॉरेनेट को इको (सिंगल-सीटर) और फॉक्सट्रॉट (ट्विन-सीटर) के लिए बेहतर तरीके से डिजायन और विकसित किया गया है. उन दोनों को अमेरिकी नौसेना द्वारा संचालित किया जाता है और दोनों, भारतीय नौसेना के लिए काम कर सकते हैं. लेकिन ऐसा हमारे प्रतिद्वंद्वी विमान के साथ नहीं है. राफेल में साफ तौर पर ट्वीन सीटर को लेकर एक छोटी सी चुनौती है.’

राफेल एम ने पहले इस साल की शुरुआत में भारतीय नौसेना के लिए अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन किया था. उसके बाद दो सुपर हॉर्नेट अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन करने के लिए भारत लाए गए हैं, जो अभी भी देश में मौजूद हैं. दरअसल भारतीय नौसेना पहले 57 नए लड़ाकू विमान खरीदना चाहती थी लेकिन अब 27 विमानों के सौदे के लिए कहा जा रहा है. नौसेना अनुबंध के लिए बोइंग और डसॉल्ट एविएशन के बीच कड़ी टक्कर है.

दोनों कंपनियों की भारतीय सेना में खासी मौजूदगी है.

इंडियन एयरफोर्स डसॉल्ट एविएशन द्वारा निर्मित राफेल और मिराज दोनों विमानों का संचालन करता है.

तो वहीं बोइंग ने भी भारत में अपने कदमों को मजबूती से स्थापित किया है. भारतीय सेना में उसके 11 सी-17 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, 22 अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर, 12 पी-8Is लंबी दूरी की समुद्री निगरानी और एंटी-सबमरीन वारफेयर एयक्राफ्ट के अलावा 15 चिनूक हैवी लिफ्ट हेलिकॉप्टर शामिल हैं.

बोइंग ने वीवीआईपी बेड़े के लिए भी 2020 में दो 777 एयरक्राफ्ट डिलीवर किए थे. इन विमानों को भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की उड़ानों के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है.

बोइंग के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘भारतीय सेना के लिए अतिरिक्त छह अपाचे आ रहे हैं. जाहिर है, हमने यहां अच्छी-खासी पहुंच बना ली है. और वास्तव में मुझे लगता है, अगर आप इन सबको सारणीबद्ध करते हैं, तो अमेरिका और भारत के बीच मौजूदा रक्षा खर्च का 50 प्रतिशत से अधिक बोइंग से खरीदारी में खर्च हो रहा है. हमें इस पर बहुत गर्व है. हम एक बहुत मजबूत नींव रख पाए हैं.’


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‘सुपर हॉर्नेट के भारतीय नौसेना के आकलन के लिए उत्सुक’

सुपर हॉर्नेट्स के बारे में बात करते हुए, सोजोग्रेन ने कहा कि अमेरिकी नौसेना विमान के ‘ब्लॉक III’ संस्करण में सर्विस लाइफ एक्सटेंशन प्रोग्राम के साथ-साथ उत्पादन, दोनों के जरिए बहुत अधिक निवेश कर रही है.

उन्होंने कहा,‘और जब अमेरिकी नौसेना की बात आती है, तो वह इन विमानों का इस्तेमाल पहले से करता आ रहा है. तो हमारे लिए नंबर एक (प्राथमिकता) क्या है? तो इसके लिए मैं साफ तौर पर (भारतीय नौसेना) अभियान का नाम लूंगा. अभी हमारे विमानों की क्षमताओं का आकलन किया जा रहा है.’

सोजोग्रेन के अनुसार, बोइंग सुपर हॉर्नेट की ताकत और कमजोरियों पर भारतीय नौसेना की प्रतिक्रियाओं का उन्हें बेसब्री से इंतजार है.

उन्होंने कहा, ‘हमें पूरा विश्वास है कि जब किसी मिशन और ऑपरेशन की बात आती है, तो सुपर हॉर्नेट प्रीमियर टॉप करियर एयरक्राफ्ट है. जब अमेरिकी नौसेना को मिशन के लिए अपने बेड़े में विमानों की जरूरत होती है, तो वह हर बार सुपर हॉर्नेट के पास आती है.’

सोजोग्रेन ने आगे कहा कि, सुपर हॉर्नेट तब से इसलिए काफी अहमियत रखता है जब से अमेरिका दुनिया भर में अपने मिशन के लिए इनका इस्तेमाल करता आ रहा है.

उन्होंने कहा, ‘और मुझे नहीं लगता कि यह निकट भविष्य में बदलने वाला है. यह स्पष्ट है … विमान उत्पादन बना रहेगा, साथ ही अमेरिकी नौसेना अपने विमानों को लंबे समय तक सर्विस देने में सक्षम बनाए रखने के लिए उनमें बदलाव कर रही है. यह आने वाले दशकों तक जारी रहेगा.’


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‘नौसेना और वायुसेना के संयुक्त अधिग्रहण से राफेल को फायदा’

लड़ाकू विमानों के संयुक्त अधिग्रहण के लिए भारतीय वायुसेना के साथ काम करने की भारतीय नौसेना की पहले की योजना के बारे में बात करते हुए, सोजोग्रेन ने स्वीकार किया कि यह राफेल के लिए एक फायदा हो सकता है.

उन्होंने कहा, ‘अगर वे सामूहिक खरीद का तालमेल बिठा पाते हैं, तो निश्चित रूप से यह राफेल के पक्ष में होगा, क्योंकि इसको उन्होंने पहले से सेना में शामिल किया हुआ है. लेकिन, साफतौर पर कहूं तो हमें लगता है कि हमारे उत्पादों और अमेरिकी सशस्त्र सेवाओं द्वारा इन उत्पादों का इस्तेमाल दर्शाता है कि वे क्यों सही हैं. और निश्चित रूप से जब आप आज के भू-राजनीतिक परिदृश्य को देखते हैं, तो ये उत्पाद ऊंचाई तक जाने वाले हैं.’

भारतीय नौसेना के अपने स्वतंत्र लड़ाकू विमान सौदे को आगे बढ़ाने की संभावना है.

सोजोग्रेन ने कहा, बोइंग को विश्वास है कि सुपर हॉर्नेट और अमेरिकी वायु सेना के साथ F-15 और अब F-15EX के साथ अमेरिकी नौसेना का अनुभव और रिकॉर्ड मिशन की तैयारी और दक्षता को एक स्तर प्रदान करते हैं. उनका मानना है कि ये भारतीय जरूरतों से अच्छी तरह से मेल खाता है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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