scorecardresearch
Sunday, 22 December, 2024
होमडिफेंससेना को मिली बड़ी ताकत, मोदी सरकार ने अधिकारियों को एडिशनल और ज्वाइंट सेक्रेटरी के अधिकार दिए

सेना को मिली बड़ी ताकत, मोदी सरकार ने अधिकारियों को एडिशनल और ज्वाइंट सेक्रेटरी के अधिकार दिए

औपचारिक नियुक्ति का मतलब है कि अधिकारी अब उन्हें मिली शक्तियों के तहत तमाम फाइलों को सचिव, डीएमए जनरल बिपिन रावत के पास भेजने के बजाये सीधे अपने स्तर पर निपटा सकते हैं.

Text Size:

नई दिल्ली: देश के सशस्त्र बलों के इतिहास में पहली बार एक बेहद अहम घटनाक्रम में थल सेना, वायु सेना और नौसेना के वर्दीधारी कर्मी औपचारिक तौर पर रक्षा मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव और संयुक्त सचिव के स्तर पर नियुक्त किए गए हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली नियुक्ति संबंधी कैबिनेट समिति (एसीसी) ने सोमवार देर शाम जारी आदेश में लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी को सैन्य मामलों के विभाग (डीएमए) में अतिरिक्त सचिव नियुक्त किया.

सरकार की तरफ से शुरू किए गए रक्षा सुधारों के तहत जनवरी 2020 में काम करना शुरू करने वाले सैन्य मामलों के विभाग (डीएमए) में मेजर जनरल के. नारायणन, रियर एडमिरल कपिल मोहन धीर और एयर वाइस मार्शल हरदीप बैंस को संयुक्त सचिव के तौर पर नियुक्त किया गया है.

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) और सचिव, डीएमए का पद जनरल बिपिन रावत के पास है.

यद्यपि पुरी पहले से अतिरिक्त सचिव और तीनों अन्य अधिकारी संयुक्त सचिव के तौर पर कार्य कर रहे थे लेकिन औपचारिक तौर पर इनकी नियुक्ति इन्हें फैसले लेने के अधिकार देने का रास्ता खोलती है, साथ ही कामकाज को सुव्यवस्थित करती है.


यह भी पढ़ें: ऑक्सीजन संकट से जूझ रहे भारत के लिए मददगार हो सकती है तेजस विमान की ये तकनीक, ऐसे करती है काम


‘ऐतिहासिक कदम’

इस कदम को बेहद महत्वपूर्ण करार देते हुए इसका स्वागत किया जा रहा है.

एक सूत्र ने इसे स्पष्ट करते हुए कहा, ‘अब तक आधिकारिक अधिसूचना के बिना सभी फाइलों को फैसलों के लिए सचिव, डीएमए के पास भेजना पड़ता था. अब इसकी जरूरत नहीं रहेगी क्योंकि ये अधिकारी खुद को मिली शक्तियों के आधार पर इन फाइलों को अपने स्तर पर ही निपटा सकते हैं.’

देश में सशस्त्र बलों के लिए इस कदम को ‘ऐतिहासिक और मील का पत्थर’ करार देते हुए एक अन्य सूत्र ने कहा, ‘एसीसी की तरफ से मंजूरी मिलना लगभग तय था और आखिरकार फैसला आ गया. यह प्रक्रिया को एकदम सुचारू बनाने वाला है और इसे ब्यूरोक्रेटिक ढांचा देने वाला है.’

दिप्रिंट ने 2019 में जानकारी दी थी कि डीएमए फोर-स्टार सीडीएस की अध्यक्षता में काम करेगा और थल सेना, नौसेना और वायु सेना से जुड़े मामलों को देखेगा, निजी स्तर पर इन संगठनों पर उसका कोई ऑपरेशन नियंत्रण नहीं होगा, यह काम संबंधित सैन्य बल के प्रमुख के ही अधिकार क्षेत्र में होगा.

मौजूदा नियमों और प्रक्रियाओं के तहत डीएमए सभी तीनों सेनाओं और टेरीटोरियल आर्मी और बलों के लिए— कैपिटल एक्वीजिशन को छोड़कर— सभी खरीद सौदों और अन्य विभिन्न कार्यों को देखेगा. यह संयुक्त प्लानिंग और जरूरतों को एक साथ जोड़कर रक्षा खरीद, ट्रेनिंग और सैन्य बलों के लिए भर्ती की ‘साझा प्रक्रिया’ को बढ़ावा देने के लिए जरूरी था.

यह संयुक्त अभियानों के जरिये संसाधनों के बेहतर इस्तेमाल के लिए सैन्य कमानों का पुनर्गठन सुनिश्चित करने के लिए भी जिम्मेदार है, जिसमें सैन्य बलों की तरफ से स्वदेशी उपकरणों के उपयोग को बढ़ावा देने के अलावा संयुक्त/थिएटर कमांड की स्थापना भी शामिल है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: कोविड संकट के बीच लद्दाख में डटे हुए हैं भारतीय सैनिक लेकिन निर्माण गतिविधियां जारी


 

share & View comments