scorecardresearch
Saturday, 27 April, 2024
होमडिफेंससशस्त्र बल अग्निवीरों के प्रदर्शन का कर रहे हैं अध्ययन, अग्निपथ में बदलाव के लिए सरकार से करेंगे संपर्क

सशस्त्र बल अग्निवीरों के प्रदर्शन का कर रहे हैं अध्ययन, अग्निपथ में बदलाव के लिए सरकार से करेंगे संपर्क

जानकारी के अनुसार तीन सेवाएं चार साल के अंत में 50% अग्निवीरों को बनाए रखने के प्रस्ताव पर भी विचार कर रही हैं, जबकि अभी यह 25% है.

Text Size:

नई दिल्ली: अग्निवीरों के बैच अब सशस्त्र बलों में शामिल हो गए हैं और सौंपे गए कर्तव्यों को पूरा कर रहे हैं, सेना उनके बारे में अनुभव से जुड़े डेटा एकत्र कर रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि सर्वोत्तम परिणामों के लिए अग्निपथ योजना को कैसे संशोधित किया जा सकता है, दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है.

रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने कहा कि एक बार जब सेना अग्निवीरों के प्रदर्शन का अध्ययन करेंगे और वर्तमान और भविष्य की आवश्यकताओं के संदर्भ में उनके निष्कर्षों का विश्लेषण करेंगे, तो वे इस योजना में बदलाव के लिए सरकार से संपर्क करेंगे, जिसे 2022 में पेश किया गया था और इसने भारतीय सशस्त्र बलों के लिए भर्ती में एक बड़े बदलाव को चिह्नित किया था.

अब तक बलों में शामिल किए गए अग्निवीरों के प्रदर्शन पर सूत्रों ने कहा कि वे अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. ट्रेनिंग संबंधी मुद्दों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि समय के साथ प्रदर्शन में सुधार होता है.

एक सूत्र ने कहा, “मान लीजिए कि यदि आप एक महीने के बाद उनकी फायरिंग क्षमता का परीक्षण करते हैं, तो उनका प्रदर्शन एक्स पर होगा. लेकिन जब आप तीन महीने के बाद उनका परीक्षण करते हैं, तो यह बढ़ जाता है.”

एक दूसरे सूत्र ने कहा, “पैदल सैनिकों के लिए वास्तविक ट्रेनिंग में पहले की तुलना में केवल एक सप्ताह की कमी की गई है. हां, विशिष्ट क्षेत्रों में यह अंतर बहुत अधिक है जहां पहले ट्रेनिंग डेढ़ साल तक चलता था.”

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

यह भी पता चला है कि एक अन्य विचार के तहत चार साल के अंत में 50 प्रतिशत अग्निवीरों को बनाए रखना है, जबकि अब यह 25 प्रतिशत है.

सूत्रों ने कहा, यह उन विशिष्ट क्षेत्रों में अधिक हो सकता है जिनके लिए तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता होती है, यह कहते हुए कि आंतरिक प्रशिक्षण संरचनाओं को बेहतर बनाने से लंबे समय में लाभ मिल सकता है.

जैसा कि दिप्रिंट ने पहले रिपोर्ट किया था, अग्निपथ – देश की सबसे कट्टरपंथी सैन्य भर्ती नीति है, जो भारतीय रक्षा प्रतिष्ठान के सदस्यों के बीच 750 घंटों तक चली 254 बैठकों का समापन था. यह योजना शुरू में एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में थी, जिसमें 100 अधिकारी और 1,000 सैनिक शामिल थे, और इसे ‘टूर ऑफ़ ड्यूटी’ कहा जाता था.

पूर्व सेना प्रमुख जनरल मनोज नरवणे की अभी तक जारी होने वाली पुस्तक के अनुसार, “सेना इस घटनाक्रम (अग्निपथ योजना) से हैरान थी, लेकिन नौसेना और वायु सेना के लिए, यह अचानक से एक झटके की तरह आया.

सेना मुख्यालय फिलहाल इस किताब की समीक्षा कर रहा है, जिसके कुछ अंश समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा प्रकाशित किए जाने के कारण हंगामा मच गया और इसकी रिलीज में देरी हुई है.

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: लंबी दूरी की मिसाइलें, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध से लेकर नई रडार तकनीक तक- अपग्रेड के बाद कैसा दिखेगा Su-30 MKI


 

share & View comments