नई दिल्ली: नेशनल सिक्योरिटी ग्रुप (एनएसजी), और इंडो-तिब्बतन बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) ने, 7.62×51 एमएम स्नाइपर रायफल्स के लिए खुले टेंडर्स निकाले हैं, जिनमें विदेशी ख़रीद की इजाज़त है, हालांकि ये पिछले महीने, मोदी सरकार की ओर से निकाली गई, निगेटिव इंपोर्ट लिस्ट में मौजूद हैं.
निगेटिव इंपोर्ट लिस्ट में रायफल के लिए, दिसंबर 2020 की कट-ऑफ तिथि निर्धारित की गई है, जिसका मतलब है कि उसके बाद, इसके विदेशों में निर्मित वर्जन नहीं ख़रीदे जाने चाहिएं.
एनएसजी ने 15 सितंबर को छह स्नाइपर रायफल्स के लिए टेंडर जारी किया, जिसमें एक्सेसरीज़ भी मांगी गईं थीं. एनएसजी टेंडर में विदेशी मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएम) के, सीधे भाग लेने की इजाज़त नहीं है. एक इंडस्ट्री सूत्र ने कहा, ‘लेकिन भारतीय एजेंट टेंडर में हिस्सा लेकर, रायफल्स आयात कर सकता है, और उन्हें एनएसजी को सप्लाई कर सकता है’.
आईटीबीपी का टेंडर, निगेटिव इंपोर्ट लिस्ट आने के एक दिन बाद, 10 अगस्त को जारी हुआ, और इसमें 7.62×51 एमएम वेरिएंट की 358 स्नाइपर रायफल्स की मांग की गई है.
इस टेंडर के लिए आईटीबीपी की ओर से, बोली बंद होने की तारीख़ों के बढ़ाए जाने के अलावा, कोई शुद्धिपत्र जारी नहीं किया गया है. एक सूत्र ने कहा कि विदेशी ओईएम्स सीधे आवेदन नहीं दे सकतीं, लेकिन उनकी प्रतिनिधि/एजेंट का काम करने वाली, कोई भी भारतीय कंपनी, इस आइटम को आयात कर सकती है.
स्नाइपर रायफल्स उन 101 आइटम्स में से हैं, जो अगस्त में जारी निगेटिव इंपोर्ट लिस्ट में रखी गई हैं, जिनमें अलग अलग चीज़ों के लिए, प्रतिबंध की अलग अलग तारीख़ें हैं- जो 2025 तक जाती हैं.
रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने पिछले महीने, इन शंकाओं को दूर करने की कोशिश की थी, कि 2025 तक की प्रतिबंध की तारीख़ों से, सशस्त्र सेनाओं को अपनी सारी मांग को, आयात करने का मौक़ा मिल जाएगा, और घरेलू उधोग को बढ़ावा देने की इस पहला का, उद्देश्य ही ख़त्म हो जाएगा.
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‘पिछले दरवाजे से प्रवेश’
टेंडर के जानकार सूत्रों ने कहा कि एनएसजी और आईटीबीपी को, भारतीय निर्माताओं के पास जाना चाहिए था. उन्होंने ये भी कहा कि रक्षा मंत्रालय का, स्नाइपर रायफल्स को निगेटिव लिस्ट में रखना, ये दिखाता है कि वो 7.62×51 एमएम स्नाइपर रायफल्स के, घरेलू उत्पादन को लेकर काफी हद तक आश्वस्त है.
एक सूत्र ने कहा, “जब एक आइटम निगेटिव लिस्ट में रखा गया है, तो भी उन्होंने टेंडर में विदेशी कंपनियों को अनुमति दे दी है, जबकि भारत में भी उसी के तरह निर्माता मौजूद हैं. कुछ कंपनियां ऐसी भी हैं जो विदेशी फर्मों की साझीदारी में, भारत में ही रायफलें बना रही हैं, जिनमें अच्छा ख़ासा स्वदेशी अंश है”.
जब ये कहा गया कि स्नाइपर रायफल्स पर प्रतिबंध, दिसंबर में ही शुरू होगा, तो सूत्र ने कहा कि ये टेंडर, निगेटिव इंपोर्ट लिस्ट की भावना के खिलाफ है,’जिसका मक़सद स्वदेशी अंश को बढ़ावा देना है.’
एक दूसरे सूत्र ने कहा कि एनएसजी और आईटीबीपी के जैसे टेंडर, दरअस्ल “पिछले दरवाज़े से घुसने” जैसा हैं, क्योंकि विदेशी ओईएम्स के भारतीय एजेंटों को, बोली लगाने की अनुमति है.
इस महीने के शुरू में रक्षा मंत्रालय ने, दो सौदों को रद्द कर दिया, जो विदेशी ख़रीद के अंतर्गत किए जा रहे थे- यूएई से कार्बाइन्स, और साउथ कोरिया से सेल्फ-प्रोपेल्ड एयर डिफेंस गन मिसाइल सिस्टम (एसपीएडी-जीएमएस)- और उन्हें ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत लाया जा रहा था.
नए क्लोज़ क्वार्टर बैटल (सीक्यूबी) कार्बाइन्स का सौदा, 2017 से चल रहा था. यूएई स्थित काराकल इंटरनेशनल, सितबंर 2018 में एल-1, यानी सबसे कम बोली की फर्म के तौर पर सामने आई, एक ऐसे समझौते के लिए, जिसे फास्ट ट्रैक किया जाना था.
लेकिन, क़ीमतों के मसले और डिफेन्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ), तथा छोटे हथियारों के घरेलू उधोग के विरोध ने, जो इस सौदे में एक मौक़ा चाहते थे, आख़िरकार इस सौदे का काम ही तमाम कर दिया.
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