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गुरूवार, 17 अप्रैल, 2025
होमडिफेंससैन्य एविएशन के लिए खूनी साबित हुआ वर्ष 2021- 11 हादसों में CDS समेत 22 लोगों ने जान गंवाई, 5 मिग-21 दुर्घटनाग्रस्त

सैन्य एविएशन के लिए खूनी साबित हुआ वर्ष 2021- 11 हादसों में CDS समेत 22 लोगों ने जान गंवाई, 5 मिग-21 दुर्घटनाग्रस्त

इस साल 2020 की तुलना में दोगुने से ज्यादा हादसे हुए. लेकिन रक्षा सूत्रों का कहना है कि यदि कुल उड़ान घंटों के लिहाज से देखें तो ये हादसे ‘अपेक्षित स्तर के अंदर’ ही हैं.

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नई दिल्ली: वर्ष 2021 भारत के सैन्य एविएशन के लिए सबसे घातक साल साबित हुआ है, जिसमें 11 हादसों में 22 लोगों की मौत हुई. हादसों में जान गंवाने वालों में देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत भी शामिल हैं.
इस साल 2020 की तुलना में दोगुने से ज्यादा हादसे हुए. पिछले साल पांच दुर्घटनाएं हुई थीं और इसमें दो पायलटों की मौत हुई थी.

2021 में भारतीय सेना और वायु सेना कई दुर्घटनाओं की चपेट में आई, जिसमें कई युवा पायलटों की जान गई. भारतीय सेना की ही एक इकाई आर्मी एविएशन कॉर्प्स ने इस साल तीन दुर्घटनाओं का सामना किया, जिनमें पांच पायलटों ने अपनी जान गंवाई.
हालांकि, नौसेना के हेलीकॉप्टरों और लड़ाकू विमानों का बेड़ा किसी हादसे का शिकार बनने से बचने में सफल रहा.

पांच हादसों में मिग-21 बाइसन बना शिकार

2021 में सबसे ज्यादा हादसों का शिकार बना मिग-21 बाइसन, जो पांच दुर्घटनाओं में शामिल था. इन हादसों में तीन पायलटों की जान गई.

चित्रण : दिप्रिंट

बाइसन 1960 के दशक में शामिल किए गए लड़ाकू विमानों का उन्नत संस्करण है.

2021 में पहली दुर्घटना 5 जनवरी को राजस्थान के सूरतगढ़ में हुई थी जिसमें मिग-21 बाइसन गिरा. हालांकि, पायलट सुरक्षित बाहर निकलने में सफल रहा.

ताजा घटना इस महीने के शुरू में राजस्थान के ही जैसलमेर में हुई थी, जिसमें विंग कमांडर हर्षित सिन्हा ने अपनी जान गंवा दी.

मिग-21 बाइसन के अलावा इस साल मिराज 2000 विमान, ध्रुव एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर के दो सशस्त्र संस्करण, दो एमआई-17 और एक चीता हेलीकॉप्टर आदि विमान हादसों के शिकार बने.


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हादसों की ज्यादा संख्या और कारणों पर सैन्य बलों ने चुप्पी साधी

हालांकि, सेना और वायु सेना के अधिकारियों ने हादसों की ज्यादा संख्या पर चुप्पी साध रखी है, लेकिन रक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े सूत्रों का कहना है कि यदि कुल उड़ान घंटों के लिहाज से बात की जाए तो ये हादसे ‘अपेक्षित स्तर के अंदर’ ही थे.

एक सूत्र ने कहा, ‘भारतीय सैन्य विमान बर्फीले पहाड़ों से लेकिन रेगिस्तानी और मैदानी इलाकों तक में उड़ान भरते हैं. दुनिया में किसी भी अन्य सेना को इतने विविधता भरे और मौसम के लिहाज से एकदम अलग-अलग इलाकों में उड़ान नहीं भरनी पड़ती है. इसके अलावा, विमान बहुत ही ज्यादा उड़ान भरते हैं, और इसलिए, यदि कुल उड़ान घंटों के लिहाज से देखें तो ये हादसे अपेक्षित स्तर के अंदर ही हैं.’ साथ ही जोड़ा, ‘हर हादसे की पूरी तरह से जांच की जाती है और उपयुक्त कार्रवाई की जाती है.’

इस माह के शुरू में हुए एमआई-17 वी5 हेलिकॉप्टर हादसे—जिसमें सीडीएस जनरल रावत, उनकी पत्नी और अन्य वरिष्ठ अफसरों सहित विमान में सवार सभी 14 लोगों की मौत हो गई थी—के मामले में तीन सेनाओं की कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी (सीओआई) चल रही है. वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी.आर. चौधरी ने कहा है कि कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी पूरी होने के बाद वीवीआईपी प्रोटोकॉल की समीक्षा की जाएगी.

सूत्रों ने बताया कि इन हादसों के कारणों में प्रतिकूल मौसम, मानवीय चूक, तकनीकी गड़बड़ी से लेकर पक्षियों के टकराना तक शामिल होता है.

एक दूसरे सूत्र ने कहा, ‘मान लें कि कोई वायु सेना एक वर्ष में 100 घंटे उड़ान भरती है और उसका एक विमान दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है. लेकिन दूसरी वायु सेना 10,000 घंटे उड़ान भरती है और उसे दो दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ता है तो निश्चित तौर पर संख्या के लिहाज से दो ही बड़ा नजर आता है. लेकिन जब कोई दुर्घटनाओं की दर की गणना करता है, तो फिर यह आंकड़ा चिंताजनक नहीं रह जाता है.’

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 2019 में बताया था कि वायुसेना में प्रति 10,000 उड़ान घंटे में दुर्घटना की दर 1999 में 1.04 से घटकर 2019 में 0.33 हो गई थी.

हालांकि, दिल्ली स्थित थिंक टैंक सेंटर फॉर एयर पावर स्टडीज (सीएपीएस) के प्रमुख एयर मार्शल अनिल चोपड़ा (रिटायर) ने 2013 में लिखा था कि आईएएफ के लिए सबसे कम दुर्घटना दर 2012 में 0.22 रही थी, और वह दुनिया की सबसे उन्नत वायु सेना थी.

संयोगवश, अमेरिकी वायु सेना ने 2018 में दुर्घटनाओं और अन्य विमान हादसों की ‘दर खतरनाक स्तर’ पर करार दिए जाने के बाद पूरी समीक्षा की थी. इसका नतीजा 2019 में हादसों की संख्या घटने के तौर पर सामने आया था.

एयर फोर्स टाइम्स ने पिछले साल जानकारी दी थी कि ‘समीक्षा के दौरान एविएशन सिक्योरिटी के लिए कई संभावित जोखिमों पर ध्यान गया था जिसमें हाई ऑपरेशन गति, विमानों की कमी, अनुभवहीन रखरखावकर्मी और वायुसैनिकों को हर हाल में अपना मिशन पूरा करने के लिए प्रेरित करने वाली संस्कृति आदि शामिल हैं.’

2019 भी एक बुरा साल था

हालिया सालों की बात करें तो भारत में 2019 में सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं (16) हुई थीं. इनमें गलती से एक एमआई-17 हेलीकॉप्टर मार गिराया जाना, पाकिस्तानी वायु सेना के साथ एक हवाई मुकाबले में मिग-21 बाइसन गंवाना, और एयरो इंडिया

एयर शो से पहले अभ्यास के दौरान दो हॉक विमानों की हवा में हुई टक्कर शामिल थी.
उस वर्ष, विभिन्न हादसों में नौ पायलटों की मौत हुई थी, जिसमें दो उस एमआई-17 वी5 को उड़ा रहे थे, जिसे मार गिराया गया था. हादसों में एक भूटानी अधिकारी को भी अपनी जान गंवानी पड़ी थी, जो चीता हेलिकॉप्टर हादसे का शिकार बना. इस हादसे में एक भारतीय पायलट की भी मौत हुई थी.

2019 के हादसों में जून में अरुणाचल प्रदेश में एक परिवहन विमान एएन-32 का दुर्घटनाग्रस्त होना भी शामिल था, जिसमें सवार सभी 13 लोगों की मौत हो गई थी.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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