नई दिल्ली: भारत और चीन के वरिष्ठ सैन्य और राजनयिक अधिकारियों ने सोमवार को 14 घंटे की बैठक के बाद गतिरोध दूर होने में विफल रहने पर पूर्वी लद्दाख के हालातों पर अभी और कई दौर की बातचीत करेंगे. दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है.
रक्षा, सुरक्षा और कूटनीतिक प्रतिष्ठान के सूत्रों ने कहा कि ताजा बातचीत के दौरान क्षेत्र को खाली करने की आवश्यकता को लेकर एक ‘आम समझ’ थी. हालांकि, मुद्दे ‘जटिल’ हैं और सीमा पर हालत सुधारना अत्यंत संवेदनशील बना हुआ है.
सोमवार को, दोनों पक्षों के वरिष्ठ सैन्य और राजनयिक अधिकारियों ने सुबह 9.30 बजे के आसपास अपनी बैठक शुरू की और रात 11 बजे तक जारी रखी.
चर्चा 10 सितंबर को मॉस्को में विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष और वांग यी के बीच तय हुए पांच सूत्रीय एजेंडे पर हुई.
सरकार के एक सूत्र ने कहा, ‘किसी भी साफ सकारात्मक नतीजे के बिना बातचीत काफी सकारात्मक रही.’
सूत्रों ने कहा कि सफलता की उम्मीद करना नासमझी होगी. हालांकि, वार्ता सकारात्मक है. क्षेत्र को खाली करने की जरूरत है इसको लेकर एक आम समझ है. तथ्य यह है कि सैन्य और राजनयिक दोनों अधिकारी एक सकारात्मक प्रगति के लिए बैठक कर रहे थे, दूसरे सूत्र ने जानकारी दी.
सूत्रों ने कहा कि रक्षा मंत्रालय में वर्तमान में एक उच्चस्तरीय मीटिंग हो रही है, जिन्होंने अधिक जानकारी जाहिर करने से मना कर दिया.
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सीमा को खाली करने का मुद्दा
सूत्रों ने कहा कि ताजा वार्ता में, भारत इस बात पर कायम रहा कि सभी दिक्कत वाले क्षेत्रों को पूरी तरह खाली करने की आवश्यकता है, जबकि चीन का जोर केवल विशिष्ट क्षेत्रों को खाली करने पर रहा.
इससे पहले दिप्रिंट ने ख़बर दी थी कि वार्ता नए नियमों के तहत होगी, जो ‘समान रूप से खाली करने’ की पूर्व के विचार से इतर है.
सूत्रों के अनुसार नई दिल्ली ने यह भी कहा कि बीजिंग को पहले क्षेत्र को खाली करने के कदम उठाने होंगे, तभी भारत इसका पालन करेगा.
प्रतिनिधिमंडल
वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के चुशुल-मोल्दो पर चीनी की तरफ से ताजा बैठक पहली संयुक्त सैन्य और राजनयिक स्तर की वार्ता थी.
भारत का प्रतिनिधित्व 14 कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने किया था, जिसमें मेजर जनरल रैंक के दो अधिकारी, चार ब्रिगेडियर और अन्य कर्नल-स्तर के अधिकारी और अनुवादक शामिल थे.
उनके साथ विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव नवीन श्रीवास्तव शामिल हुए जो चीन के मामलों को देखते हैं. भारत-तिब्बत सीमा पुलिस महानिरीक्षक दीपम सेठ भी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे.
लेफ्टिनेंट जनरल पी.जी.के. मेनन, जो चीन सीमा के पूर्व एक पर्वत डिवीजन की कमान संभाल चुके हैं और वर्तमान में सेना मुख्यालय में तैनात हैं, भी उपस्थित थे. उनके सिंह की जगह लेने की संभावना है, जो अक्टूबर में 14 कोर कमांडर के रूप में अपना 12 महीने का कार्यकाल पूरा करने के लिए तैयार हैं.
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