नई दिल्ली: रूस की सेना ने यूक्रेन के शहरों- कीव और खार्किव में गुरुवार को बम गिराये और यूक्रेन पर बड़े हमले के लिए के लिए उसके टैंक सीमा पार चले गए. यह पूर्वी स्वायत्त राज्यों में जारी संघर्ष में होने वाली अप्रत्याशित बढ़ोतरी है. इस हमले ने दोनों देशों के बीच सैन्य शक्ति के भारी असंतुलन को सामने ला दिया है. इस बीच, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पश्चिमी देशों को मामले में हस्तक्षेप न करने की चेतावनी दी है.
‘ग्लोबल फायरपावर’ के अनुसार, रूस की सेना यूक्रेन के मुकाबले चार गुना बड़ी है. यूक्रेन के पास 2,00,000 सैनिक हैं. वहीं, रूस के पास 8,50,000 सेना के जवान हैं. इसका रक्षा बजट, यूक्रेन से 13 गुना ज़्यादा है. यूक्रेन रक्षा क्षेत्र में 11.87 बिलियन डॉलर खर्च करता है. वहीं, रूस का रक्षा खर्च 154 बिलियन डॉलर का है.
युद्ध उपकरणों की बात करें तो, रूस के पास 4,173 एयरक्राफ्ट हैं. वहीं, यूक्रेन के पास सिर्फ 318 एयरक्राफ्ट हैं. रूस के पास 605 युद्धपोत हैं. वहीं, यूक्रेन के पास सिर्फ़ 38 युद्धपोत हैं.
दोनों देशों के पास उपलब्ध मिसाइल के मामले में भी रूस, यूक्रेन से काफी आगे है. गुरुवार को यह असंतुलन स्पष्ट दिखा जब बमबारी शुरू हुई.
रूस के पास परमाणु हथियारों का दुनिया का सबसे बड़ा जखीरा भी है. जबकि, यूक्रेन के पास कोई परमाणु हथियार नहीं है. यूक्रेन के 12,303 बख्तरबंद गाड़ियों के मुकाबले रूस के पास 30,122 इस तरह की गाड़ियां हैं.
मिसाइल के मामले में भी यूक्रेन पीछे
सोवियत संघ के टूटने के बाद, यूक्रेन के पास 9,000 से भी कम परमाणु हथियार, 176 अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल और 44 रणनीतिक बमवर्षक बचे थे.
वाशिंगटन स्थित थिंक टैंक जर्मन मार्शल फंड के मुताबिक, यूक्रेन ने सीमा सुरक्षा की शर्त पर साल 1994 में बुडापेस्ट मेमोरेंडम पर हस्ताक्षर किया और अपने सभी परमाणु हथियारों का त्याग कर दिया था.
बुधवार को एक वीडियो में, पुतिन ने कथित तौर पर चेतावनी दी थी कि रूस की हाइपरसोनिक मिसाइल किसी भी समय दागे जाने के लिए तैयार हैं. पुतिन के मुताबिक ये मिसाइल ‘उन्नत हथियार प्रणालियों’ को विकसित करने की रूस की योजना का हिस्सा हैं.
पिछले हफ्ते ‘सैन्य बल के प्रदर्शन’ में, रूस ने किंजल और त्सिरकोन हाइपरसोनिक मिसाइलों का इस्तेमाल करके परमाणु हथियारों के साथ युद्ध अभ्यास किया था. इस अभ्यास में पुतिन, बेलारूस के अपने समकक्ष अलेक्जेंडर लुकाशेंको के साथ शामिल हुए थे.
ऑन-ग्राउंड सूत्रों ने अभी तक स्पष्ट नहीं किया है कि रूस ने यूक्रेन के कीव और खार्किव जैसे मुख्य शहरों में नागरिकों पर हमले की योजना बनाई है या नहीं.
ब्रिटेन स्थित थिंक टैंक रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट (आरयूएसआई) ने 15 फरवरी को जारी रिपोर्ट में दावा किया है कि रूस ने ‘कम दूरी पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइलों और क्रूज मिसाइलों के बड़े जखीरे को (सीमा पर) जमा किया है.’
इसके साथ ही, अंग्रेजी पत्रिका फॉरेन पॉलिसी में 20 जनवरी को छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, रूस की सेना, 9के720 इस्कंदर-एम मिसाइल को तिरपाल से ढककर पूर्वी यूक्रेन की सीमा की ओर ले जा रही थी. इससे पहले, रूस ने इस्कंदर मिसाइल का इस्तेमाल सीरिया में किया था.
इस्कंदर-एम मिसाइल को एसएस-26 स्टोन के नाम के भी जाना जाता है. नाटो को जवाब देने के लिए इस मिसाइल को बनाया गया था. 9 के 720 इस्कंदर-एम कम दूरी पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल है. इस मिसाइल को ‘ छोटे और हाई वैल्यू लैंड टारगेट पर रणनीतिक तौर पर हमले के लिए डिजाइन किया गया है.’ ग्लोबल सिक्योरिटी के मुताबिक, रूस इस्कंदर-एम मिसाइल के जिस वर्शन का इस्तेमाल करता है उसकी मारक क्षमता 500 किलोमीटर है.
इस्कंदर-एम की प्रणाली बैलिस्टिक और क्रूज दोनों तरह की मिसाइल दाग सकती है. साथ ही, यह सैन्य अड्डों को लक्ष्य बना सकती है.
फॉरेन पॉलिसी के मुताबिक, ‘यूक्रेन पर आक्रमण के संदर्भ में इस मिसाइल की प्रणाली के बारे में सबसे चिंतित करने वाली बात यह है कि यह मिसाइल सुरक्षा की तकनीक को तोड़ सकती है. यह बीच रास्ते में अपने लक्ष्य को बदल सकती है और सुरक्षा प्रणाली को झांसा देकर बेवकूफ (हालांकि, इस क्षमताओं का किसी युद्ध में इस्तेमाल नहीं हुआ है) बना सकती है.
दूसरी तरफ, यूक्रेन अभी भी 120 किमी मारक क्षमता वाली टोचका-यू बैलिस्टिक मिसाइल पर निर्भर है. इसका विकास सोवियत संघ के जमाने में हुआ था और इसकी तकनीक उतनी ही पुरानी है. सटीकता और अनुकूलन क्षमता के मामले में यह इस्कंदर से बहुत पीछे है. यह अपने लक्ष्य के 95 मीटर के आसपास के इलाके को ही नुकसान पहुंचा सकती है.
नौसेना की आर-360 नेपच्यून क्रूज मिसाइल, यूक्रेन की सबसे नई मिसाइल तकनीक है. इसे कीव स्थित लुच डिज़ाइन ब्यूरो ने विकसित किया है. यह 300 किमी तक तक निशाना लगा सकती है.
वहीं, आरयूएसआई ने अनुमान लगाया है कि रूस के पास बेहतर हथियार होने से ‘परिणाम निर्णयकारी होंगे’. रिपोर्ट में कहा गया है, ‘दुश्मन की ओर से हवाई हमलों के खतरे की वजह से बड़े हमलों से बचते हुए (यूक्रेन) की सेना को तेजी से अपनी जगह बदल पाना बेहद मुश्किल होगा. ऐसे में यूक्रेन की सेना सिर्फ बचाव की स्थिति में होगी. इसके उलट रूस की सेना हवाई हमलों की आशंका नहीं होने का फायदा उठाकर यूक्रेन की सुरक्षा में सेंध लगा सकती है और यूक्रेन की छोटी सैन्य टुकड़ी को तुरंत हरा सकती है.’
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