नई दिल्ली: ऑपरेशन सिंदूर पर साफ-साफ रुख रखते हुए, लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर. सिंह, डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (कैपेबिलिटी डेवलपमेंट एंड सस्टेनेन्स) ने कहा कि इस 87 घंटे के संघर्ष से कई सबक सीखे जा सकते हैं. सबसे बड़ा सबक यह है कि जबकि एक ही बॉर्डर था, हमें कम से कम तीन विरोधियों का सामना करना पड़ा.
शुक्रवार को FICCI द्वारा आयोजित ‘न्यू एज मिलिट्री टेक्नोलॉजीज’ इवेंट में लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने कहा, “पहला, एक बॉर्डर, दो विरोधी. हमने एक तरफ पाकिस्तान देखा, लेकिन विरोधी दो नहीं, बल्कि तीन-चार थे, कह लीजिए तीन.”
अपनी बात को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा, “पाकिस्तान सामने का चेहरा था. हमारे सामने चीन ने हर तरह से समर्थन दिया. यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है क्योंकि पिछले पांच वर्षों में पाकिस्तान को मिलने वाले 81 प्रतिशत सैनिक उपकरण चीन से आते हैं. चीन, जैसा कि पुराना कहावत है – ‘चोरी का खून भी मीठा’…तो वह पड़ोसी को इस्तेमाल करके हमें चोट पहुँचाता है, बजाय खुद आगे बढ़ने के.”
उन्होंने बताया कि चीन बखूबी थर्ड पार्टी पर अपने हथियारों का परीक्षण कर पा रहा है—“उनके लिए एक लाइव लैब जैसे। इसे हमें बेहद गंभीरता से लेना चाहिए. वहीं, तुर्की ने भी पाकिस्तानी फौज को तमाम तरह के ड्रोन सपोर्ट प्रदान किया.”
लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने रक्षा व सुरक्षा तंत्र के भीतर एक प्रमुख चिंता—चीन द्वारा हमारे सैनिकों की तैनाती को अपने सैटेलाइट से मॉनिटर करना—का भी जिक्र किया. “अगला बहुत बड़ा सबक है C4ISR और सिविल–मिलिट्री फ्यूजन का महत्व। इस क्षेत्र में बहुत काम किया जाना है.”
C4ISR का अर्थ है कमांड, कंट्रोल, कम्युनिकेशन, कंप्यूटर, इंटेलिजेंस, सर्विलांस और रिकॉनिसेंस.
जनरल सिंह ने बताया, “जब DGMO स्तर की बातचीत चल रही थी, तब पाकिस्तान कह रहा था कि उन्हें जानकारी मिली थी कि हमारी कोई विशेष फौजी टुकड़ी तैयार होकर खड़ी है और वो चाहेंगे कि हम उसे वापस ले लें. वे चीन से लाइव इनपुट्स पा रहे थे. यह हमें बहुत तेज़ी से ध्यान देने और कार्रवाई करने की आवश्यकता है.”
हालांकि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दिप्रिंट ने कई निजी जानकारियों को प्रकाशित नहीं किया था, लेकिन अब यह स्पष्ट हो गया है कि चीन ने वास्तव में इस संघर्ष में सक्रिय भूमिका निभाई—पाकिस्तान को रणनीतिक सैन्य इनपुट्स प्रदान कर.
भारतीय नेतृत्व ने चीनी भागीदारी को दरकिनार करने की कोशिश की है. चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनील चौहान ने 31 मई को कहा था कि पाकिस्तान ने शायद चीनी वाणिज्यिक सैटेलाइट इमेजरी का उपयोग किया हो, लेकिन रीयल‑टाइम टार्गेटिंग में उनकी कोई भूमिका नहीं थी.
दिप्रिंट के एडिटर‑इन‑चीफ शेखर गुप्ता ने 7 जून को अपने कॉलम “नेशनल इंटरेस्ट” में लिखा कि ऑपरेशन सिंदूर भारत की दो-फ्रंट की पहली जंग थी, और चीन पाकिस्तान को सस्ता हथियार मानकर हमारे खिलाफ उसे ट्रायंगल करता है. “यह मान लेना सुरक्षित है कि चीन अब पाकिस्तान को अपने वेस्टर्न थियेटर कमांड का विस्तार समझ रहा है.”
लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने यह भी कहा कि “खुशकिस्मती से भारत के जनसंख्या केंद्र इस दौरान खतरे में नहीं थे.”
“अगली किस्त में हमें इसके लिए तैयार रहना होगा. इसके लिए हमें और अधिक एयर डिफेंस, रॉकेट, तोपख़ाने और ड्रोन सिस्टम तेज़ी से विकसित करने होंगे,” उन्होंने कहा. साथ ही उन्होंने यह स्वीकार किया कि कुछ वें देशीय प्रणालियां शानदार प्रदर्शन कर रहीं हैं, लेकिन कुछ नहीं कर सकीं.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: 2026 तमिलनाडु चुनाव से पहले पिता-पुत्र की लड़ाई कैसे पट्टाली मक्कल कच्ची पार्टी को तोड़ सकती है