‘पापा, जो ट्रेन के टॉयलेट की दीवारों पर फ़ोन नंबर के साथ लिखा है, उसका क्या मतलब है?’
धनबादः यह मासूम सा सवाल एक आठ साल की बच्ची ने टॉयलेट से बाहर निकलकर अपने पिता से पूछा. इस प्रश्न ने उस पिता को अंदर से हिला दिया. निःशब्द पिता अपनी बच्ची के कौतूहल को देखकर झेंप गए. उन्होंने बच्ची के सवाल पर कहा, ‘कुछ नहीं बेटा ये सब गंदी बात है, जिसे गंदे लोग लिख देते हैं.’ बेटी की जिज्ञासा को किसी तरह शांत कराने के बाद वे शौचालय के अंदर एक गीला कपड़ा लेकर जाते हैं. और उसकी दीवार पर लिखें अश्लील वाक्यों, चित्रों को मिटा कर ही लौटते हैं.
यह घटना एक साल पहले की है. उत्तम सिन्हा अपनी पत्नी और आठ साल की बेटी वर्षा के साथ कोलफील्ड एक्सप्रेस से हावड़ा से धनबाद आ रहे थे. उत्तम सिन्हा को बेटी के इस जिज्ञाशा ने अंदर से इतना झकझोर दिया कि अब उन्हें कहीं भी कोई गंदी बात लिखी दिखती है, वे पेंट लेकर उसे मिटाने की पूरी कोशिश करते हैं.
कौन हैं उत्तम सिन्हा
साफ सफाई को आत्मसात कर इस नेक काम में मन से लगे 45 साल के उत्तम सिन्हा धनबाद (झारखंड) के रहने वाले हैं. रोजगार के लिए वे पहले कपड़े का व्यवसाय करते थे. दो बच्चों के पिता उत्तम सिन्हा इस समय रोजी रोटी की जुगाड़ में हैं. ट्रेन में हुई उस घटना के एक साल के अंदर वे अबतक 100 से अधिक ट्रेनों, कई स्कूल कॉलेजों, ढेर सारे सरकारी भवनों, होटलों और बस स्टैंड में लिखे अपशब्दों को मिटा चुके हैं.
अश्लील बात मिटाने के बाद उस जगह पर एक कागज चिपकाते थे, जिस पर लिखा होता था, ‘ कृप्या अश्लील शब्दों का प्रयोग न करें.’
धनबाद से गुजरने वाली ट्रेनों में उत्तम के प्रयास देखने को मिलते हैं.
सदभावना संस्था से अनौपचारिक रूप से जुड़े उत्तम सिन्हा सफाई को लेकर काफी सजग रहते हैं. उत्तम दिप्रिंट को बताते हैं, ‘हमें कहीं भी गंदगी दिखती है, तो हम बिना कुछ सोचे उसे साफ करने के लिए आगे बढ़ जाते हैं. केवल अश्लील शब्दों को मिटाना ही नहीं, हमें कहीं कोई बच्चा गंदे जुते पहने दिखाई देता है तो हम उसे रोक कर साफ करते हैं.’
उत्तम सिन्हा के इस अनोखे कार्य को धीरे-धीरे सम्मान मिलना भी शुरू हो चुका है. पिछले महीने सफाई पखवाड़ा के सम्मान समारोह में धनबाद के नगर आयुक्त दवारा उत्तम सिन्हा को सम्मानित किया जा चुका है.
सार्वजनिक जगहों पर लिखी गंदी बात
अक्सर ही हमें सार्वजनिक जगहों पर, दीवारों पर, ट्रेन के टॉयलेट की दीवारों पर, सार्वजनिक जगहों में लगी लिफ्ट के दरवाजों पर महिला के अंग विशेष के बारे में अश्लील शब्द लिखे मिले जाते हैं. कहीं-कहीं इसके साथ फोन नंबर भी लिखा होता है. यहां तक कि मनचले महिला के लिए आरक्षित सीट में से ‘म’ हटा कर बहुत खुश होते हुए देखे जाते रहे हैं. यह एक तरह की मानसिक कुंठा है, उनकी इन हरकतों का उस जगह से गुजरने वाली महिला, लड़की और बच्ची की मनोदशा पर क्या असर पड़ता है? क्या कभी किसी ने सोचा है? धनबाद के उत्तम सिन्हा द्वारा इन अश्लील शब्दों को सार्वजिनक स्थानों से मिटाना यह दर्शाता है कि समाज में कुछ लोग तो है जो महिलाओं के प्रति संवेदनशील और जागरुक हैं.
उत्तम के इस कार्य को फेसबुक पोस्ट के जरिए सामने लाने का काम किया है ट्विंकल ने.