उर्दू प्रेस में इस हफ्ते ‘लव जिहाद’ और जबरन धर्मांतरण के अलावा सुप्रीम कोर्ट की खबरें सुर्खियों में रहीं. हालांकि, इस चार साल पुराने फैसले ने अदालत के एक व्यक्ति द्वारा आलोचना के बाद अखबारों के पहले पेज पर वापसी की है.
2019 का बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि का फैसला सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व न्यायाधीश के निशाने पर था, जिन्होंने इस जैसे सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील मुकदमों के लिए दरवाज़े खोलने के लिए इसकी आलोचना की थी.
जो अन्य मुद्दे अखबारों में छाए रहे, उनमें दिल्ली सरकार और लेफ्टिनेंट जनरल (एल-जी) के बीच का विवाद और उत्तरांखड के जोशीमठ में दरारें और तोड़फोड़ के कारण तनाव, देश भर में शीत लहर की स्थिति और 2023 हज कोटे की घोषणा शामिल थी.
दिप्रिंट उर्दू प्रेस साप्ताहिक राउंड-अप में बता रहा है कि कौन-कौन सी खबरें सुर्खियों में रहीं.
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सुप्रीम कोर्ट
संवेदनशील मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट में मामलों की सुनवाई और इसके निर्णयों के कुछ विलंबित विश्लेषण अक्सर पूरे हफ्ते पहले पन्ने पर छाए रहे.
7 जनवरी को, इंकलाब ने अपने पहले पन्ने पर बताया कि मुस्लिम सामाजिक-धार्मिक संगठन जमीयत उलमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जिसमें पांच राज्यों द्वारा पारित ‘लव जिहाद’ कानून को रद्द करने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि यह कानून, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और संविधान द्वारा दिए गए धर्म की स्वतंत्रता के खिलाफ हैं.
पहले पन्ने पर एक अन्य रिपोर्ट में लिखा गया कि भारतीय रेलवे के पास हल्द्वानी में विवादास्पद भूमि के अपने स्वामित्व को साबित करने के लिए दस्तावेज नहीं थे, जहां सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद विध्वंस को रोक दिया गया था, इससे लगभग 50,000 लोग प्रभावित होते, जिनमें ज्यादातर मुस्लिम थे.
10 जनवरी को सियासत ने सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी को रिपोर्ट को छापा कि जबरन धर्मांतरण एक गंभीर मुद्दा है और इसे राजनीतिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए. अदालत की टिप्पणी को सियासत ने पहले पन्ने पर जगह दी है. कोर्ट ने यह टिप्पणी एक याचिका पर सुनवाई के दौरान की हैं जिसमें जबरन धर्मांतरण के खिलाफ कानून की मांग की गई थी.
उसी दिन, जस्टिस (रिटायर्ड) वी. गोपाल गौड़ा, एक पूर्व एससी न्यायाधीश, ने अयोध्या विवाद संबंधी एससी के फैसले पर कड़ी आलोचना करने की खबर को सियासत ने पहले पन्ने पर छापा है.
न्यायमूर्ति गौड़ा ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन, दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स और डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट द्वारा आयोजित ‘संविधान बचाओ, लोकतंत्र बचाओ’ पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में बोल रहे थे.
अपने भाषण में, पूर्व एससी न्यायाधीश ने कहा कि 2019 के फैसले में विवादित भूमि का स्वामित्व जिसमें बाबरी मस्जिद को हिंदू पक्ष को सौंप दिया गया था, ने ज्ञानवापी मस्जिद विवाद जैसे मुकदमों की झड़ी लगा दी है.
11 जनवरी को, इंकलाब ने लिखा कि सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर प्रतिक्रिया के लिए चार सप्ताह का समय दिया था, जिसमें नागरिकता के लिए कट-ऑफ तारीख 1971 के बजाए 1951 निर्धारित करने के लिए कहा गया था. रिपोर्ट में कहा गया है कि उनकी याचिका में, जो कि असम से संबंधित है, जमीयत के अध्यक्ष अरशद मदनी ने इस विचार का विरोध करते हुए कहा था कि इस तरह के संशोधन से गंभीर मानवीय मुद्दे उठेंगे.
उर्दू प्रेस का ध्यान खींचने वाला एक और मुद्दा केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में किया गया खुलासा था जिसमें कहा गया था कि भारत के उच्च न्यायालयों में नियुक्त न्यायाधीशों में से 79 प्रतिशत उच्च जाति से थे, जबकि केवल 2 प्रतिशत अनुसूचित जाति और अल्पसंख्यकों से थे.
रोज़नामा राष्ट्रीय सहारा ने एक संसदीय पैनल के समक्ष केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तुत किए गए आंकड़ों पर टिप्पणी करते हुए एक संपादकीय में कहा कि संख्या चिंताजनक है. हालांकि, 11 जनवरी को संपादकीय में कहा गया है कि इन नंबरों को सरकार द्वारा अपनी पसंद की नियुक्तियों के बहाने के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि इससे न्यायपालिका की स्वतंत्रता प्रभावी रूप से खत्म हो जाएगी.
जोशीमठ
13 जनवरी को इंकलाब ने अपने पहले पन्ने पर खबर दी कि जोशीमठ के बाद चमोली के कर्णप्रयाग के घरों में दरारें आ गई हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि 82 स्थानों पर दरारें आ गई हैं, जिससे अधिकारियों को निवासियों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने के लिए मजबूर होना पड़ा है.
अखबार ने जोशीमठ पर सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे का एक बयान भी छापा है. एक बयान में, उन्होंने कहा कि कई सैनिकों को शहर छोड़ने के लिए कहा गया था.
11 जनवरी को इंकलाब ने अपने पहले पन्ने पर खबर दी कि 4,000 लोगों को जोशीमठ से बाहर निकाला गया है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जब अधिकारियों ने उन संरचनाओं को गिराने का फैसला किया था जिनमें दरारें आ गई थीं, निवासियों ने उचित मुआवजे और इसके स्थान पर पुनर्वास की मांग करते हुए सरकारी अधिकारियों को आगे कार्रवाई करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था.
हज यात्री
हज को उर्दू प्रेस में भी प्रमुखता से जगह मिली. 10 जनवरी को, सियासत ने बताया कि सऊदी अरब द्वारा 2023 में पवित्र यात्रा के लिए 1,75,025 भारतीयों को प्रवेश देने पर सहमत होने के बाद भारत हज कोटा में सबसे बड़ी वृद्धि हासिल करने में कामयाब रहा.
11 जनवरी को, इंकलाब ने बताया कि सऊदी अरब ने कोविड महामारी के मद्देनजर हज यात्रियों की संख्या पर लगाए गए प्रतिबंधों को हटा लिया है.
सियासत और सहारा ने कहा कि देश ने तीर्थयात्रियों की तादाद को महामारी से पहले की संख्या में बहाल कर दिया है.
केजरीवाल बनाम एलजी
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार और एल-जी विनय कुमार सक्सेना के बीच चल रहे विवाद ने भी पहले पन्ने की सुर्खियां बटोरी हैं.
13 जनवरी को सहारा ने प्रमुखता से खबर दी कि सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच इस विवाद की सुनवाई कर रही है. अखबार ने बताया कि सुनवाई के तीसरे दिन, भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने पूछा कि दिल्ली में अभी भी निर्वाचित सरकार क्यों है, जबकि सभी प्रशासनिक फैसले केंद्र सरकार के हाथ में होते हैं.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के यह कहने के बाद SC की टिप्पणी आई कि संघ आयोग, संघ सेवा आयोग और संघ लोक सेवा आयोग सभी अखिल भारतीय सेवा संहिता के अंतर्गत आते हैं. मेहता ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी के बारे में सवाल ‘दूरगामी प्रभाव डालेगा.’
शीत लहर
उत्तर में शीत लहर की स्थिति और अगले कुछ दिनों के लिए भारत मौसम विज्ञान विभाग की भविष्यवाणी भी पूरे सप्ताह उर्दू के तीनों अखबारों के पहले पन्ने पर रहीं.
8 जनवरी को इंकलाब ने बताया कि उत्तर भारत शीत लहर की चपेट में है और कई शहरों में बारिश होगी.
9 जनवरी को इसी तरह की रिपोर्ट में, सहारा ने कहा कि बिहार और राजस्थान जैसे राज्यों में जम्मू से भी कम तापमान रिकॉर्ड किया जा रहा है. इसमें आगे कहा गया है कि कई ट्रेनों को रद्द कर दिया गया था.
12 जनवरी को, सहारा ने बताया कि दिल्ली में 23 वर्षों में सबसे खराब सर्दी देखी जा रही है.
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