सालों से आवारा कुत्ते इस इमारत में आते रहे हैं। अब उनका एक खुद का कमरा भी है जिसमें खिलौने, खेलने की जगह और भोजन का प्रबंध भी होगा।
मुंबई: टाटा संस का मुख्यालय रहा प्रतिष्ठित बॉम्बे हाउस नवीकरण के बाद रविवार को फिर से खोल दिया गया। इस इमारत में अब आवारा कुत्तों के लिए एक केनेल भी है।
सालों से दक्षिणी मुम्बई स्थित इस इमारत में आवारा कुत्ते रहने और खाने आते रहे हैं। आप उन्हें अक्सर रिसेप्शन के पास चुपचाप आराम फ़रमाते देख सकते हैं।
अब, इस ऐतिहासिक इमारत में इन कुत्तों का अपना एक कमरा है जहां ये प्यारे चौपाये मेहमान अपनी मर्ज़ी से आ जा सकेंगे।
कमरे को चमकदार पीले रंग में तैयार किया गया है जिसमें एक दीवार पर कुत्तों के चेहरों के काले और सफेद डूडल बने हैं। केनेल में वह सब कुछ है जिसे पाकर कोई भी कुत्ता खुशी से पूँछ हिलाने लगेगा – गर्म बिस्तरों से लेकर तरह तरह के खिलौने – गेंदों से लेकर रस्सी एवं चबाने के खिलौने -तक । इसके अलावा उन्हें मिलेगा एक खेल क्षेत्र, भोजन और ताजा पानी।
टाटा संस के सूत्र ने नाम न छापने की शर्त पर बात करते हुए कहा -“कई वर्षों से बॉम्बे हाउस में हम आवारा कुत्तों को उनकी मर्ज़ी के अनुसार आने जाने दे रहे हैं। उनमें से कुछ अब अक्सर आते हैं। हमने उनके गले पर पट्टे बांधकर उनकी पहचान की है” |”लेकिन इस दौरान उनके लिए कोई आरामदायक स्थान नहीं था। इसलिए जब हम बॉम्बे हाउस का नवीनीकरण कर रहे थे, हमने सोचा कि उनके लिए एक कमरा क्यों न बना दें, “स्रोत ने कहा।
जब इमारत का नवीकरण चल रहा था तब टाटा संस का दफ्तर कुछ दिनों के लिए पड़ोस की एक किराए की इमारत में चला गया था। उस दौरान कर्मचारियों के साथ साथ कुत्ते भी इस नई इमारत में चले गए।
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सूत्र ने बताया कि पुराने बॉम्बे हाउस में सुरक्षा गार्ड और कुत्तों में दोस्ती हो गयी थी और गार्ड उनका खयाल रखते थे। यह व्यवस्था अब भी जारी रहने की संभावना है।
उन्होंने कहा-“यह पहली बार है जब हमारे पास एक केनेल है और इमारत अभी फिर से खोल दी गयी है। यह कैसा काम कर रही है और जगह की क्या ज़रूरतें हैं, यह हमें थोड़े दिनों बाद ही पता लगेगा।” साथ ही उन्होंने खुश होकर यह भी बताया कि चार पाँच कुत्ते तो अपने नए घर में जा भी चुके हैं।
बॉम्बे हाउस 1920 में भूमि के दो भूखंडों पर बनाया गया था, जो कि समूह के दूसरे अध्यक्ष और जमशेदजी टाटा के बड़े बेटे सर दोराबजी टाटा ने तत्कालीन बॉम्बे नगर पालिका से खरीदे थे। इस इमारत के पीछे प्रसिद्ध वास्तुकार जॉर्ज विट्टेट का दिमाग था जिन्होंने गेटवे ऑफ इंडिया और छत्रपति शिवाजी वास्तु संग्रहालय (जिसे प्रिंस ऑफ वेल्स संग्रहालय के नाम से जाना जाता था) जैसी प्रतिष्ठित जगहों को भी डिज़ाइन किया है।
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ऐसा कहा जाता है कि जेआरडी टाटा के दिनों से बॉम्बे हाउस में आवारा कुत्तों को बारिश और सूरज से आश्रय लेने की परंपरा है। टाटा संस के पूर्व अध्यक्ष रतन टाटा को उत्साही कुत्ता प्रेमी भी कहा जाता है और उनके पास दो कुत्ते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो कुत्ते बॉम्बे हाउस में आश्रय लेते हैं वे उन्हें पहचानते हैं और इमारत में प्रवेश करते समय उनका नींद से जागकर स्वागत करते हैं।
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