scorecardresearch
Sunday, 22 December, 2024
होमसमाज-संस्कृतिजब भी राहुल सरकार की नाकामियों को उजागर करते हैं तो BJP उन पर हमला करती है- उर्दू प्रेस

जब भी राहुल सरकार की नाकामियों को उजागर करते हैं तो BJP उन पर हमला करती है- उर्दू प्रेस

पेश है दिप्रिंट का राउंड-अप कि कैसे उर्दू मीडिया ने पिछले सप्ताह के दौरान विभिन्न समाचार संबंधी घटनाओं को कवर किया और उनमें से कुछ ने इसके बारे में किस तरह का संपादकीय रुख इख्तियार किया.

Text Size:

अगर फ्रंट पेज एक राजनीतिक नेता के कद का पैमाना है तो राहुल गांधी इस सप्ताह देश के सबसे बड़े राजनीतिक नेता थे क्योंकि उनके बयानों और तकलीफों ने प्रमुख उर्दू अखबारों के पहले पन्ने और संपादकीय में जगह बनाई.

इस महीने की शुरुआत में यूके में उनके भाषणों और बयानों पर जारी विरोध से लेकर सूरत की एक अदालत द्वारा उन्हें दोषी ठहराए जाने तक, गांधी इस सप्ताह प्रमुख समाचार निर्माता बने रहे.

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और तोशखाना मामले में उनकी संभावित गिरफ्तारी ने गांधी संबंधित खबरों का पहले पन्ने पर साथ दिया.

इस सप्ताह सुर्खियां बटोरने वाली अन्य खबरों में कट्टरपंथी सिख उपदेशक अमृतपाल सिंह और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की मदरसों को बंद करने की टिप्पणी शामिल है.

दिप्रिंट आपके लिए इस सप्ताह उर्दू प्रेस में सुर्खियां बटोरने वाली सभी बातों का एक राउंडअप लेकर आया है.


यह भी पढ़ेंः शहबाज़ शरीफ अमन की बात कर रहे हैं- पाकिस्तान को पाकिस्तान के जिम्मे छोड़, भारत रहे चुप


राहुल गांधी

हफ्ते भर में ज्यादातर समय, ब्रिटेन में गांधी की टिप्पणियों को लेकर संसद में हंगामे ने पहले पन्ने की सुर्खियां बटोरीं.

कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय की अपनी यात्रा के दौरान, गांधी ने दावा किया था कि भारत में लोकतंत्र सत्ताधारी व्यवस्था द्वारा हमला किया जा रहा है. इस टिप्पणी के बाद से संसद में हंगामा हुआ, सत्तारूढ़ भाजपा के नेताओं ने मांग की कि वह विदेशी धरती पर भारत को ‘बदनाम’ करने के लिए माफी मांगे.

हालांकि, इस खबर की जगह कर्नाटक के कोलार में दिए गए 2019 के एक भाषण के लिए एक आपराधिक मानहानि के मामले में गांधी की सजा ने ले ली, जहां उन्होंने पूछा था कि ‘इन सभी चोरों’ का उपनाम मोदी क्यों है.

18 मार्च को रोज़नामा राष्ट्रीय सहारा के पहले पन्ने ने कहा कि गांधी के भाषणों को लेकर संसद में गतिरोध बना रहा. अख़बार में एक और रिपोर्ट में कहा गया है कि अडानी समूह के खिलाफ अमेरिकी लघु-विक्रेता हिंडनबर्ग के आरोपों को लेकर विपक्षी दल संसद में गांधी प्रतिमा के सामने विरोध प्रदर्शन कर रहे थे.

उसी दिन एक संपादकीय में सियासत ने कहा कि बीजेपी गांधी को निशाना बनाने का कोई मौका नहीं छोड़ती. संपादकीय में आरोप लगाया गया है कि जब भी वह मोदी सरकार की विफलताओं को उजागर करते हैं और उन पर सार्वजनिक बहस शुरू करने की कोशिश करते हैं, ऐसे हमलों की गति तेज हो जाती है. इसमें कहा गया है कि ताजा हमले किसी बड़ी योजना का हिस्सा लग रहे हैं.

उसी दिन सहारा के एक संपादकीय में हैरानी जताई कि ब्रिटेन में गांधी के बयानों में गलत क्या है. ‘लोकतंत्र पर सवाल क्यों नहीं’ शीर्षक वाले संपादकीय में कहा गया है कि यह कहना कि भारत में मीडिया और अदालतों को नियंत्रित किया जा रहा है, गलत नहीं होगा क्योंकि देश में टीवी स्क्रीन से सांप्रदायिक जहर उगल रहा है.

20 मार्च को, इंकलाब ने बताया कि दिल्ली पुलिस ने भारत में उत्पीड़न का सामना करने वाली महिलाओं के बारे में अपने बयान पर राहुल गांधी को नोटिस भेजा. नोटिस, जिसने गांधी को पूछताछ के लिए बुलाया था, उनके यूके दौरे के दौरान दिए गए बयानों के बाद आया था.

उसी पत्र में एक अलग लेख ने बताया कि गांधी ने भाजपा नेताओं द्वारा की गई आपत्तियों और आरोपों का जवाब दिया था.

एक और अन्य कॉलम में कहा कि भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने गांधी पर ‘लोकतंत्र की सभी सीमाओं’ को पार करने का आरोप लगाया था. वह चेन्नई में भारतीय जनता युवा मोर्चा द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम ‘राष्ट्रीय युवा संसद’ को वर्चुअली संबोधित कर रहे थे.

एक दिन बाद, अखबार ने कर्नाटक में गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के चुनाव प्रचार की तस्वीर छापी. अखबार ने कहा कि गांधी ने बेलगावी शहर में रैली को संबोधित करते हुए भ्रष्टाचार और सांप्रदायिक घृणा फैलाने के प्रयासों की घोर आलोचना की थी.

24 मार्च को, सियासत की मुख्य कहानी ने बताया कि गांधी को ‘मोदी उपनाम’ टिप्पणी के संबंध में दोषी ठहराया गया.

सहारा की मुख्य रिपोर्ट, जिसमें यह खबर भी थी, ने बताया कि सजा ने गांधी की लोकसभा सदस्यता को खतरे में डाल दिया.


यह भी पढ़ेंः उर्दू प्रेस ने पूर्व SC जज के हवाले से कहा- ‘बाबरी फैसले ने ज्ञानवापी जैसे समान मुकदमों की झड़ी लगा दी है’


अमृतपाल की तलाश

कट्टरपंथी सिख उपदेशक अमृतपाल सिंह के लिए चल रही तलाशी ने पूरे हफ्ते पहले पन्ने सुर्खियां बटोरीं.

21 मार्च को, सियासत ने बताया कि खालिस्तान समर्थक प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने कथित तौर पर सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हमला किया था. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अमेरिकियों ने हमले की निंदा की और कार्रवाई की मांग की.

लंदन में भारतीय उच्चायोग में भी बर्बरता की सूचना मिली थी, जहां सैकड़ों कथित खालिस्तान समर्थकों ने इमारत में घुसकर तिरंगे को नीचे खींच दिया था.

भारत ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई और दिल्ली में ब्रिटिश उच्चायुक्त को तलब किया, रिपोर्टों में कहा गया है कि इस मामले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है.

23 मार्च को, सहारा ने बताया कि पिछले दिन के विरोध के बाद ब्रिटिश उच्चायोग के सामने लगे बैरिकेड्स हटा दिए गए थे.

उसी दिन, इंकलाब ने बताया कि भारत सरकार ने जवाबी कदम उठाते हुए ब्रिटिश उच्चायोग के बाहर सुरक्षा कम कर दी थी.

मदरसे और चाइल्ड मैरिज

मदरसों में इस्लामी शिक्षा और पर्सनल लॉ से जुड़े मुद्दों ने भी पहले पेज की सुर्खियां बटोरीं.

22 मार्च को, सियासत ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट मुस्लिम लड़कियों की शादी की उम्र के बारे में विवादास्पद सवाल पर विचार कर सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अदालत के समक्ष सवाल इलाहाबाद हाई कोर्ट के 16 वर्षीय मुस्लिम लड़की के विवाह को अवैध ठहराने के फैसले के खिलाफ अपील के रूप में आया था.

राज्य के सभी मदरसों को बंद करने के असम के मुख्यमंत्री सरमा के बयान पर उर्दू प्रेस ने भी प्रतिक्रिया व्यक्त की.

24 मार्च को, इंकलाब में एक संपादकीय में कहा गया था कि सरमा, जो कांग्रेस से भाजपा में आए थे, को पर्याप्त और समृद्ध रूप से पुरस्कृत किया गया है, लेकिन ऐसा लगता है कि उन्हें और अधिक प्रशंसा मिलने की उम्मीद है.

संपादकीय में आगे कहा गया है कि विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा जैसे संगठन शायद आम मुसलमानों से बेहतर जानते हैं कि मदरसे क्या करते हैं. फिर भी वे इसे मुद्दा बनाना चाहते हैं.’

इमरान खान और तोशखाना केस

पाकिस्तान में तोशखाना मामले ने भी पहले पन्ने की सुर्खियां बटोरीं.

18 मार्च को, सहारा ने कहा कि पाकिस्तान के पूर्व प्रधान मंत्री इमरान खान के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट को अदालत में पेश करने के लिए निलंबित कर दिया गया था.

एक दिन बाद, सियासत ने बताया कि वारंट रद्द कर दिया गया था और इस मुद्दे पर अदालत की सुनवाई 30 मार्च को निर्धारित की गई थी.

(उर्दूस्कोप को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ेंः बीजेपी ने किया दरकिनार, ‘विचारधारा’ को लेकर परिवार ने बनाई दूरी- वरुण गांधी होने की मुश्किलें


 

share & View comments