सिविल सेवा में सफलता के लिए जो सबसे जरूरी चीज है, वो है आपकी रणनीति. यह ऐसी परीक्षा है, जिसे आप किसी के सहारे से उत्तीर्ण नहीं कर सकते. आपका आत्मविश्वास, आपकी इच्छाशक्ति, आपकी अंतःप्रेरणा ही आपको सफलता तक ले जा सकती है. इस सेवा में सफलता के पीछे अगर आप कोई बहुत बड़ी प्रेरणा लेकर चल रहे हैं, तो वो जरूर आपको मदद पहुंचाएगी. यह प्रेरणा समाज सेवा की हो सकती है, अपने आपको समाज की नजरों में साबित करने की हो सकती है या फिर अपने प्रेम को पाने की.
एक नोटबुक लेकर उसमें सिविल सेवा के बारे में आपको जो भी जानकारी पत्र-पत्रिकाओं से या सफल लोगों के साक्षात्कार से मिलती है, उसे नोट करते चलें. जानकारी प्रासंगिक होनी चाहिए.
अपने वैकल्पिक विषय को पूरी सतर्कता के साथ अपनी रुचि, पाठ्य सामग्री की उपलब्धता, प्रश्नों की प्रकृति, स्कोरिंग जैसे मुद्दों को ध्यान में रखकर चुनें. सुझाव सबसे लें, पर करें अपने मन की. हमेशा ध्यान रखें कि विषय महत्त्वपूर्ण नहीं है, महत्त्वपूर्ण है आपकी उस पर पकड़ और सफलता.
प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा के हर हिस्से के लिए रणनीति तैयार करें, देखें कि क्या आपकी ताकत है और क्या कमजोरी. अपनी ताकत पर ध्यान केंद्रित कर रणनीति बनाएं और अपनी कमजोरियों को धीरे-धीरे घटाते हुए, उन्हें भी अपनी ताकत में बदलने का प्रयास करें.
वैकल्पिक विषय में 225 और सामान्य अध्ययन में कम-से-कम 75 अंक लाने हैं. प्रारंभिक परीक्षा के लिए 100 का लक्ष्य काफी सटीक है. इसी तरह लक्ष्य तय कर, आप उसे प्राप्त कर सकते हैं.
निबंध के लिए भी शुरू से ही तैयारी करते चलें. सामान्य अध्ययन के काफी विषय जो सामाजिक मुद्दों से संबंध रखते हैं, को आप निबंध के रूप में तैयार कर सकते हैं.
तैयारी करते हुए आपका पूरा ध्यान मुख्य परीक्षा पर होना चाहिए. प्रारंभिक परीक्षा के लिए, परीक्षा के पहले के 6 महीने काफी हैं. वैसे यहां भी अपनी जरूरत के अनुसार जरूरी फेरबदल कर सकते हैं, पर इस बात का ध्यान जरूर रखें कि प्रारंभिक परीक्षा से पहले आप एक बार मुख्य परीक्षा की तैयारी भी कर चुके हो. यह आपके आत्मविश्वास को मजबूती देगा.
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अपने आपको आईएएस/आईपीएस बनने के लिए कैसे तैयार करें?
अगर मैं आपसे यह पूछूं कि आईएएस बनना इतना मुश्किल क्यों है, तो आपका क्या जवाब होगा? क्या इसके विशाल पाठ्यक्रम के कारण या फिर सफलता की बहुत ही कम संभावना के कारण? या फिर इसके पैटर्न के कारण? यह सभी जवाब कुछ हद तक ठीक हैं, लेकिन इसका सही जवाब है लाइफस्टाइल. हो सकता है कि आपको यह सुनकर थोड़ा अजीब लगे, लेकिन यह बिल्कुल सच है कि आईएएस/आईपीएस बनना मुश्किल इसलिए है, क्योंकि इसके लिए जो जीवन-शैली चाहिए, वह अधिकांश लोग ग्रहण नहीं कर पाते, जिसके कारण वे इस परीक्षा की दूसरी बाधाओं को पार नहीं कर पाते.
आईएएस/आईपीएस बनने के लिए ज्ञान तो किताबों और संसाधनों से प्राप्त किया जा सकता है, लेकिन जीवन-शैली के गुण जैसे आत्म–अनुशासन, प्रेरणा, समयनिष्ठता जैसे अन्य तथ्यों की जानकारी हमें किताबों से नहीं मिल सकती. इंसान इन गुणों को स्वयं अपने अंदर विकसित करता है और इसके लिए अपनी कुछ आदतों में बदलाव करना आवश्यक है. आज हम ऐसी ही कुछ आदतों के विषय में जानेंगे.
पढ़ने की आदत डालना- सीसैट परीक्षा के लगातार बढ़ते हुए पाठ्यक्रम और यहां तक कि विषय विशेष पेपर के व्यापक पाठ्यक्रम से पार पाने का एकमात्र रास्ता यही है कि आप पढ़ने की आदत विकसित करें. पढ़ने की यह आदत आप पर थोपी नहीं जा सकती, यह स्वाभाविक रूप से होनी चाहिए. इसलिए यदि आप आईएएस/आईपीएस की परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, तो किताबी कीड़ा होना निश्चित रूप से आपके पक्ष में होगा. इसके अलावा आपको अलग तरह की किताबें पढ़ने की भी कोशिश करनी चाहिए. अपने पढ़ाई के कार्यक्रम में अलग-अलग प्रकार की किताबों को शामिल करें और पढ़ने की आदत में विविधता लाएं.
इंटरनेट का सही इस्तेमाल- आज के समय में इंटरनेट एक ऐसा माध्यम है, जिसकी मदद से आप जो चाहे जानकारी हासिल कर सकते हैं. लेकिन इसके सही इस्तेमाल से, नहीं तो आप इसके गुलाम बनकर रह जाते हैं और अपने बहुमूल्य समय की बरबादी के अलावा और कुछ नहीं करते. अधिकांश उम्मीदवार इस बात पर ध्यान नहीं देते कि सरकारी
वेबसाइट्स नीतियों, योजनाओं, कार्यक्रमों, डेटा और रिपोर्ट़ों का सरल, सुगम स्रोत है. इन वेबसाइट्स का अध्ययन कर आप जो सूचनाएं पाएंगे और जो समझ विकसित करेंगे, वह प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा दोनों के लिए लाभदायक रहेगी.
साथ ही, आईएएस/आईपीएस के उम्मीदवारों के लिए खास तौर पर बनाई गई वेबसाइटों के अलावा आप यूट्यूब, गूगल न्यूज, विकिपीडिया और ऐसी ही अन्य वेबसाइटों या वैकल्पिक स्रोतों का भी प्रयोग कर सकते हैं.
प्रॉब्लम सॉल्विंग एटीट्यूड- परीक्षा में सफल होने के लिए ही नहीं, आईएएस/आईपीएस अधिकारी के रूप में काम करने के दौरान भी आपको प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल की दरकार होगी. आपके सामने कई चुनौतियां आएंगी, जिनसे आपको नई-नई तकनीकों से निपटना होगा. आपको वृहद पाठ्यक्रम, टाइम मैनेजमेंट, उचित/अनुचित संसाधनों तथा समाज का प्रेशर आदि चुनौतियों से जूझना पड़ सकता है. इन परिस्थितियों में आपका प्रॉब्लम सॉल्विंग एटीट्यूड ही काम आएगा.
अपने अध्यापक खुद बनें- यूपीएससी की तैयारी करना बहुत लंबा और थका देने वाला काम है. इसका पाठ्यक्रम मानो लगातार बढ़ता ही जाता है. ऐसे में किसी एक टीचर/गाइड/मेंटर या किसी एक कोचिंग क्लास मैटेरियल पर निर्भर रहने से बात नहीं बनने वाली. आपको अपना टीचर स्वयं बनना होगा. अतः खुद ही प्रश्न तैयार करें और रेफरेंस तथा स्टडी मैटेरियल के इस्तेमाल से उनके उत्तर तलाशें. टीचर और स्टूडेंट दोनों की भूमिका खुद निभाने से आपके भीतर आत्मविश्वास का संचार होगा, जो परीक्षा में और उसके बाद भी काम आएगा.
प्रतिबद्धता और समर्पण- यूपीएससी में सफलता का सफर बहुत लंबा और मुश्किल है. आपकी प्रतिबद्धता ही इस सफर को पूरा करने में आपके काम आएगी. आपके सामने ऐसी कई चुनौतियां और समस्याएं आएंगी; जिनसे आपके कदम डगमगा सकते हैं. लेकिन तमाम चुनौतियों के बावजूद यह भी सच है कि प्रत्येक वर्ष कुछ उम्मीदवार अपनी इच्छाशक्ति के बल पर इस परीक्षा को क्रैक कर ही लेते हैं. इसके लिए जरूरी है कि आपको खुद पर विश्वास हो और अपने लक्ष्य के प्रति आप में समर्पण हो.
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आईएएस/आईपीएस का पहला प्रयास कब करना चाहिए?
सिविल सेवा परीक्षा एक खुला मैदान है, जहां हर किसी को अपनी दावेदारी पेश करने का अधिकार है. हमारे देश के कई युवा आईएएस/आईपीएस बनने का सपना देखते हैं और अपनी किस्मत आजमाते हैं; लेकिन सफलता बहुत ही कम लोगों को मिलती है. जानते हैं क्यों? क्योंकि वे बिना तैयारी या अधूरी तैयारी के साथ इस परीक्षा में बैठ जाते हैं. भीड़ कम करने के लिए यूपीएससी ने हर कैंडिडेट के लिए नंबर ऑफ अटैम्प्ट को फिक्स कर दिया है. अतः जो लोग बिना तैयारी के परीक्षा देते हैं, वे अपने एक के बाद एक प्रयास को व्यर्थ कर देते हैं, जबकि कुछ कैंडिडेट पहले प्रयास की सीरियसनेस को समझते हुए परीक्षा में बैठते हैं. मगर यह कैसे तय होगा कि पहला प्रयास कब करना चाहिए?
12वीं के बाद आपको ये डिसीजन ले लेना चाहिए कि आपको सिविल सेवा में जाना है. सिविल सेवा की तैयारी के लिए कम-से-कम 2 से 3 वर्ष का समय लगता है. इसलिए ग्रेजुएशन के दिनों से ही इसकी तैयारी शुरू कर दें. इस परीक्षा की तैयारी की शुरुआत एनसीईआरटी की किताबों से करें. इसके अलावा सिविल सेवा परीक्षा का पूरा पाठ्यक्रम अपने साथ रखें और उसके अनुसार ही तैयारी करें.
ज्यादातर कैंडिडेट ग्रेजुएशन के ही किसी विषय को परीक्षा के मुख्य चरण के लिए वैकल्पिक विषय चुनते हैं. इससे आपको आसानी रहती है, क्योंकि आप ग्रेजुएशन के साथ इस विषय को पूरे तीन वर्षों तक पढ़ते हैं. इसके अलावा दूसरे चयनित वैकल्पिक विषयों के लिए आप स्टडी मैटेरियल का चयन कर सकते हैं या फिर एक्सपर्ट की सलाह ले सकते हैं.
अब सवाल यह उठता है कि इन दो-तीन वर्ष़ों में क्या करना चाहिए, जिससे कि आप अपने पहले प्रयास के लिए पूरी तरह तैयार हो सकें.
तैयारी शुरू करने से पहले अपने आपको परीक्षा के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार करें. लक्ष्य निर्धारित करें और प्रभावी ढंग से समय समर्पित करें. आपको अपनी तैयारी से पहले एक आरामदायक, किंतु निश्चित समय सारणी निर्धारित करनी चाहिए और उस पर काम करना चाहिए. समय सारणी बनाने से आपकी तैयारी आसान और अधिक सुव्यवस्थित हो जाएगी. समय-सीमा के साथ आप बेहतर काम करेंगे और पाठ्यक्रम को भी तेजी से पूरा कर पाएंगे.
आपको सिविल सेवा परीक्षा के पाठ्यक्रम को समझना और उसका पालन करना चाहिए. पाठ्यक्रम को जानने से आपको प्रासंगिक अध्ययन सामग्री चुनने तथा विषयों को प्राथमिकता देने आदि में मदद मिलेगी.
आप कॉलेज में अपने समय का उपयोग अन्य विषयों के छात्रों के साथ, विभिन्न मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श करके, विभिन्न विषयों का ज्ञान प्राप्त करने के लिए कर सकते हैं. लेखन और संवाद कौशल को सुधारने के लिए विश्वविद्यालय एक उत्कृष्ट स्थान होता है जहां आप निबंध लेखन, वाद-विवाद, विश्वविद्यालय पत्रिका के लिए काम करने या एनएसएस में शामिल होने जैसी विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग ले सकते हैं.
पढ़ाई के लिए आपको एनसीईआरटी की पुस्तकों का अध्ययन करना चाहिए और किसी भी अन्य किताब को पढ़ने से पहले एनसीईआरटी को कम-से-कम दो बार पूरा पढ़ लेना चाहिए. आपको अपने खुद के नोट्स भी तैयार कर लेने चाहिए, जो परीक्षा के नजदीक आने पर रिवीजन में आपकी सहायता करेंगे.
आपको प्रारंभिक परीक्षा और मुख्य परीक्षा की तैयारी एक साथ करनी चाहिए. मतलब, आपको उत्तर लेखन अभ्यास भी पढ़ाई के साथ-साथ करना चाहिए. हां, जब परीक्षा नजदीक आ जाए, तो आप सिर्फ प्रारंभिक परीक्षा की तैयारी कर सकते हैं.
परीक्षा से पूर्व मॉक टेस्ट से अभ्यास करना भी फायदेमंद रहता है. जितना ज्यादा अभ्यास आप घर पर करेंगे, परीक्षा भवन में आप उतने ही सहज रहेंगे.
यह सब करते-करते दो वर्ष का समय आसानी से निकल जाएगा, अब तक आपकी तैयारी भी पूरी हो चुकी होगी. तो दोस्तों, पहला प्रयास करने से पहले आपको कम-से-कम दो वर्ष तक गंभीर तैयारी करनी चाहिए.
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नोट्स कैसे बनाएं
सिविल परीक्षा की तैयारी में नोट्स का काफी महत्त्व है. अच्छे नोट्स आपकी तैयारी के लिए संतुलित और प्रभावी रणनीति बनाने में कारगर होते हैं. साथ ही, पूरे पाठ्यक्रम को कम समय में दोहराने में भी मदद करते हैं.
लीनियर नोट्स- यह विधि उन छात्रों के लिए बेहतर है, जिनके लिए समय कम होने के कारण विस्तृत नोट्स बनाना संभव नहीं होता. इसमें पाठ्य पुस्तक में ही महत्त्वपूर्ण लाइनों अथवा तथ्यों (तारीख, आंकड़े आदि) को अलग-अलग रंगों के पेन या पेंसिल से अंडरलाइन कर लिया जाता है. पर, यह उसी स्थिति में ठीक है, जब पूरा मैटर बेहतर तरीके से व्यवस्थित हो. इस प्रक्रिया का नुकसान यह है कि पूरी सामग्री बिखरे रूप में होने के कारण रिवीजन के दौरान मैटर खोजने में अनावश्यक समय बर्बाद होता है.
अतः बेहतर है कि एक सादे रजिस्टर या खुले पन्ने पर नोट्स बनाएं. पेज के आधे भाग को खाली रखें, ताकि बाद में मिलने वाले तथ्यों, जानकारियों को लिख सकें.
(प्रभात प्रकाशन से छपी किताब ‘आईएएस/आईपीएस- परीक्षा में सफलता के सीक्रेट्स’ के लेखक हैं आईएएस अधिकारी डॉ. रणजीत कुमार सिंह)
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