नई दिल्ली: उर्दू साहित्य की बड़ी शख्सियतों में शुमार शम्सुर्रहमान फारूकी का शुक्रवार को 85 वर्ष की उम्र में उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में इंतक़ाल हो गया. फारूकी उर्दू के सम्मानित कथाकार और आलोचक थे.
उनकी बेटी मेहर फारूकी ने ट्वीट कर यह जानकारी दी.
We reached Allahabad and father transitioned peacefully.
— Mehr Farooqi (@FarooqiMehr) December 25, 2020
फारूकी की किताब कई चांद थे सर-ए-आसमां के अंग्रेजी अनुवाद द मिरर ऑफ ब्यूटी को पेंगुइन बुक्स से अंग्रेज़ी में छापने वाली उनकी संपादक रही आर शिवप्रिया ने दिप्रिंट से कहा, ‘फारूकी साहब शानदार साहित्यिक व्यक्ति थे. वो बेहद प्यारे इंसान थे. वो अपने से दशकों छोटे लोगों को भी बराबर का दर्जा देते थे. वो कई मायनों में असाधारण व्यक्ति थे.’
राजकमल प्रकाशन के संपादक सत्यानंद निरूपम ने ट्वीट कर कहा, ‘शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी नहीं रहे! उपन्यास आज प्रेस जा रहा था. आज ही हमारा प्रिय उपन्यासकार चला गया… कई यादें हैं. रह जाएंगी साथ सदा… अलविदा कहते नहीं बन रहा…’
शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी नहीं रहे!
उपन्यास आज प्रेस जा रहा था। आज ही हमारा प्रिय उपन्यासकार चला गया…
कई यादें हैं। रह जाएंगी साथ सदा…अलविदा कहते नहीं बन रहा… … … pic.twitter.com/NjFQnpYkp9
— Satyanand Nirupam (@satya_nirupam) December 25, 2020
शम्सुर्रहमान फारूकी का जन्म 30 सितंबर 1935 को उत्तर प्रदेश में हुआ था. अंग्रेज़ी में उन्होंने अपनी एमए की डिग्री इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पूरी की थी. फारूकी इलाहाबाद में शबखूं पत्रिका के संपादक भी रहे.
1960 के दशक में उन्होंने लिखना शुरू किया था. उनकी चर्चित रचनाओं में कई चांद थे सर-ए-आसमां, मीर तकी मीर, गालिब अफसाने की हिमायत में, द सेक्रेट मिरर शामिल है.
साल 1996 में उन्हें सरस्वती सम्मान दिया गया वहीं भारत सरकार ने 2009 में उन्हें पद्म श्री से नवाजा.
यह भी पढ़ें: ‘मंगलेश को मंगलेश ही रहने दो देवत्व न दो’