गुरुग्राम: चार फिल्में — ‘दादा लख्मी’, ‘1600 मीटर’, ‘छलांग’, और ‘तेरा क्या होगा लवली’ — को हरियाणा फिल्म और मनोरंजन नीति-2022 के तहत ‘सब्सिडी’ के लिए चुना गया है, जिसका उद्देश्य हरियाणा की लोक संस्कृति को बढ़ावा देना और संरक्षित करना है.
जहां ‘दादा लखमी’ हरियाणवी लोक गायक लख्मीचंद की संगीत यात्रा पर आधारित एक बायोपिक है, वहीं ‘1600 मीटर’ हरियाणवी युवक की सेना में शामिल होने की कहानी पर केंद्रित है.
‘छलांग’ एक कॉमेडी फिल्म है जिसमें लोकप्रिय अभिनेता राजकुमार राव हरियाणा के एक सरकारी स्कूल में शारीरिक प्रशिक्षण प्रशिक्षक के रूप में हैं. ‘तेरा क्या होगा लवली’ में अभिनेता रणदीप हुडा और इलियाना डिक्रूज़ हैं, जिनकी कहानी भारतीयों की गोरी त्वचा के जुनून पर आधारित है.
पहली दो फिल्मों को 1-1 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन मिलेगा, जबकि अन्य दो को 2-2 करोड़ रुपये मिलेंगे.
सूचना, जनसंपर्क महानिदेशक मंदीप सिंह बराड़ ने कहा, “यह पहली बार है कि किसी सरकार ने फिल्मों में राज्य को बढ़ावा देने के लिए फिल्म नीति लागू की है. इसका उद्देश्य विलुप्त होती जा रही हरियाणा की लोक संस्कृति को बढ़ावा देना और संरक्षित करना है, साथ ही लोगों को मनोरंजन प्रदान करना है. इस नीति का दूसरा उद्देश्य फिल्म उद्योग में हरियाणवी युवाओं के लिए रोज़गार के अवसर पैदा करना है.”
उन्होंने कहा, “जब से हरियाणा ने यह नीति शुरू की है, राज्य उन निर्माताओं को आकर्षित करने में सक्षम हो गया है जो हरियाणा को एक लोकेल के रूप में उपयोग कर रहे हैं और अपनी फिल्मों में हरियाणवी भाषा को बढ़ावा दे रहे हैं.”
यह चयन बुधवार को हरियाणा फिल्म प्रमोशन बोर्ड की चेयरपर्सन मीता वशिष्ठ की अध्यक्षता में बुलाई गई गवर्निंग काउंसिल की बैठक में किया गया.
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कौन थे दादा लख्मीचंद?
पंडित लख्मीचंद को सांग और रागिनी की हरियाणवी संगीत शैली में लोकप्रियता के कारण ‘हरियाणा के शेक्सपियर’ और ‘हरियाणा के कालिदास’ की उपाधि दी जाती है.
1903 में सोनीपत के जाति कलां गांव में एक गौड़ ब्राह्मण जोड़े के घर जन्मे चंद ने शुरुआती पढ़ाई खांडा गांव के पंडित दीप चंद बहमन से ली थी. हरियाणवी भाषा के महानतम कवियों में से एक माने जाने वाले चंद के लेखन का समकालीन संस्कृति और हरियाणा के समाज पर उल्लेखनीय प्रभाव है.
उनके गीत नैतिक संदेशों से भरे हुए हैं जिसके लिए वे अक्सर ‘सांग’ के नृत्य नाटक रूप का उपयोग करते थे. ‘लख्मीचंद का ब्रह्मज्ञान’, जिसमें उनके गीत शामिल हैं, उनकी मृत्यु के बाद से कई हरियाणवी कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किया गया है.
उनके कुछ अन्य प्रमुख कार्यों में राजा हरिश्चंदर, शाही लकड़हारा, ज्याणी चोर, सेठ ताराचंद, सत्यवान सावित्री, हीर रांझा, चाप सिंह सोमवती, राजा गोपीचंद, भूप पूरंजन, मीरा बाई, भगत पूरनमल, हीरामल जमाल, रघुबीर धर्मकौर और चंद्रकिरण शामिल हैं.
लेखक और पूर्व आईपीएस अधिकारी राजबीर देसवाल ने कहा कि लख्मीचंद को हरियाणा के लोकगीत और मौखिक साहित्य में अद्वितीय काव्य शैली रखने का अनूठा गौरव प्राप्त है.
देसवाल ने गुरुवार को दिप्रिंट से कहा,“उनमें संगीत की बारीकियों को समझने और समझाने की अद्भुत क्षमता थी. शुरू में कामुक अभिव्यक्तियों के प्रति उनके झुकाव के लिए उनकी आलोचना की गई थी, लेकिन ऐतिहासिक और पौराणिक विषयों के साथ उनके व्यवहार ने धीरे-धीरे उन्हें इस आक्षेप से मुक्ति दिला दी. उन्हें सही मायने में हरियाणा का शेक्सपियर कहा जाता है.”
हरियाणा के एक अन्य लेखक शमीम शर्मा ने कहा कि पंडित लख्मीचंद की कविता बहुत मनोरंजक और सार्थक थी. उन्होंने कहा कि ‘सांग’ शैली में उनका कोई सानी नहीं है.
लोक गायक पर बायोपिक बनाने वाले अभिनेता यशपाल शर्मा ने दिप्रिंट को बताया कि हालांकि, वे बॉलीवुड में स्थापित हो चुके थे, लेकिन उन्होंने हमेशा सोचा था कि उन्हें अपने गृह राज्य हरियाणा पर एक फिल्म बनानी चाहिए, जहां उनका जन्म और पालन-पोषण हिसार शहर के एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था.
अभिनेता ने कहा, “जब मैंने अपने दोस्तों से चर्चा की कि मैं एक रोमांटिक या कॉमेडी फिल्म नहीं बनाना चाहता, बल्कि एक ऐसी फिल्म बनाना चाहता हूं जिसे पीढ़ियों तक याद रखा जा सके, तो दादा लख्मी के लेखक राजू मान ने मुझे बताया कि पंडित लखमी चंद से बेहतर कोई विषय नहीं हो सकता.”
उन्होंने कहा कि हालांकि, 2022 की फिल्म ने व्यावसायिक रूप से ज्यादा अच्छा प्रदर्शन नहीं किया, लेकिन इसने उस साल सितंबर में राष्ट्रीय पुरस्कार और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 71 पुरस्कार जीते.
शर्मा ने कहा कि मुख्य अभिनेता और निर्माता दोनों के रूप में फिल्म के लिए खुद को तैयार करने के लिए उन्होंने चंद पर लिखी 17 किताबें और कुछ पीएचडी थीसिस पढ़ीं.
उन्होंने कहा कि फिल्म की शूटिंग पूरी तरह से हरियाणा में की गई है, जिसमें कुछ दृश्य सोनीपत के चंद के जाति कलां गांव में और बड़े पैमाने पर राजस्थान सीमा पर जमाल, बकरियांवाली और सिरसा के नाथूसरी चोपटा गांवों में शूट किए गए हैं, जहां लोगों के पास अभी भी मिट्टी के घर हैं. कुछ अन्य सीन रोहतक और भिवानी के बीच करक कलां गांव में फिल्माए गए हैं.
शर्मा ने कहा कि फिल्म के निर्माण पर 3 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं, जिसे वे हरियाणा सरकार द्वारा सब्सिडी राशि दिए जाने के बाद भी नहीं निकाल पाएंगे.
अभिनेता ने कहा, “फिल्म ने 8 नवंबर, 2022 को रिलीज़ होने के बाद तीन हफ्ते तक अच्छा प्रदर्शन किया. हालांकि, इसे केवल हरियाणा में दिखाया गया था और इसका कुल संग्रह 86 लाख रुपये था. आधी रकम सिनेमाघरों को और पांच प्रतिशत वितरकों को जाती है. जब मैं इस फिल्म का दूसरा पार्ट बनाऊंगा, तो मैं यह सुनिश्चित करूंगा कि मैं फिल्म पर 1 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च न करूं.”
उन्होंने आगे कहा, पहले पार्टी में दादा लख्मी को तब तक दिखाया गया जब तक उन्होंने सांग और रागनियों का अपना ‘बेड़ा’ (समूह) नहीं बनाया और उनके जीवन का सबसे अच्छा हिस्सा अभी भी फिल्माया जाना बाकी है.
केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के सलाहकार हरिओम कौशिक द्वारा निर्मित, अभी तक रिलीज़ होने वाली फिल्म ‘1600 मीटर’ सशस्त्र बलों में शामिल होने के एक युवा के संघर्ष पर आधारित कहानी है.
कौशिक ने दिप्रिंट को बताया, “महेंद्रगढ़ के पाली गांव में बड़े होने के दौरान, मैं भी सेना में शामिल होना चाहता था, लेकिन अंततः फिल्म इंडस्ट्री में आ गया. कुछ साल तक इंडस्ट्री में काम करने के बाद, मैंने अपनी फिल्म बनाने के बारे में सोचा और यह विषय तुरंत मेरे दिमाग में आया. ‘1600 मीटर’ एक ऐसा विषय है जिससे हमारे क्षेत्र का हर युवा जुड़ सकता है. यह वह लंबाई है जो सेना में भर्ती होने के लिए एक उम्मीदवार को निर्धारित समय में दौड़नी होती है.”
फिल्म में सिरसा के आकर्षण शर्मा और हिसार की नीवा मलिक मुख्य भूमिकाओं में हैं, जबकि बॉलीवुड के स्थापित अभिनेता जोगी मलंग भी इसमें भूमिका निभाएंगे.
उन्होंने कहा कि फिल्म जल्द ही ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज़ होगी क्योंकि वे कुछ चैनलों के संपर्क में हैं.
हरियाणा की फिल्म नीति
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर सरकार ने हरियाणवी फिल्मों, कलाकारों और सिनेमा को बढ़ावा देने के लिए 2018 में ‘हरियाणा फिल्म नीति’ लॉन्च की. सितंबर 2022 में सरकार एक संशोधित नीति लेकर आई और घोषणा की कि हरियाणवी फिल्मों को बढ़ावा देने के लिए फिल्म निर्माताओं को 2 करोड़ रुपये तक की सब्सिडी दी जाएगी. नीति में हरियाणा फिल्म प्रमोशन बोर्ड के गठन का प्रावधान है.
सरकार ने शुरुआत में महेंद्रगढ़ जिले के मूल निवासी बॉलीवुड निर्देशक सतीश कौशिक को बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त किया. पिछले साल मार्च में उनकी मृत्यु के बाद, अभिनेता मीता वशिष्ठ ने सितंबर में यह भूमिका संभाली.
हरियाणा सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के एक अधिकारी ने कहा, “नीति के तहत, हमने फिल्मों के संस्कृति परीक्षण के लिए क्रेडिट अंक आवंटित किए हैं. जिन मापदंडों पर क्रेडिट अंक गिने जाते हैं उनमें हरियाणा से संबंधित सांस्कृतिक सामग्री, हरियाणा में फिल्म सेट, हरियाणा के मुख्य पात्र, कहानी में हरियाणवी पात्र, हरियाणवी कहानी पर आधारित फिल्में और हरियाणवी सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, स्थापत्य विरासत और विविधता का प्रदर्शन करने वाली फिल्में शामिल हैं.”
“56 से 84 की सीपीएस (क्रेडिट पॉइंट स्कोर) रेंज वाली हरियाणवी फिल्मों को प्रोडक्शन लागत का 50 प्रतिशत या 1 करोड़ रुपये, जो भी कम हो, मिल सकता है. 85 से 112 सीपीएस वाली फिल्मों को उनकी प्रोडक्शन लागत का 50 प्रतिशत या 2 करोड़ रुपये, जो भी कम हो, मिल सकता है. गैर-हरियाणवी फिल्मों के लिए, 1 करोड़ रुपये और 2 करोड़ रुपये के प्रोत्साहन के लिए सीपीएस स्कोर क्रमशः 37 से 75 और 76 से 112 है.”
जबकि हरियाणवी और गैर-हरियाणवी फिल्मों को हरियाणा में शूटिंग के लिए न्यूनतम 30 सीपीएस प्राप्त करने की ज़रूरत है, वहीं हरियाणवी फिल्मों को राज्य से पुरुष और मुख्य महिला अभिनेता होने के लिए न्यूनतम निर्धारित स्कोर भी प्राप्त करना होगा. एक गैर-हरियाणवी फिल्म राज्य से एक सहायक अभिनेता पुरुष या महिला होने पर प्रोत्साहन के लिए अर्हता प्राप्त कर सकती है.
इसी प्रकार, एक हरियाणवी फिल्म में हरियाणा का क्रू, निर्देशक, लेखक, फोटोग्राफी निर्देशक, साउंड इंजीनियर, संपादक और संगीत निर्देशक होना चाहिए, जबकि एक गैर-हरियाणवी फिल्म इनके बिना भी सब्सिडी के लिए अर्हता प्राप्त कर सकती है, बशर्ते फिल्म अन्य मापदंडों से आवश्यक सीपीएस स्कोर करे.
(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)
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