नई दिल्ली: गणतंत्र दिवस परेड में यहां रविवार को बिहार की झांकी में बोधि वृक्ष और ऐतिहासिक नालंदा विश्वविद्यालय के प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व के जरिये राज्य की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित किया गया.
राज्य की झांकी ने आठ साल के अंतराल के बाद कर्तव्य पथ पर, 76वें गणतंत्र दिवस परेड में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई.
‘स्वर्णिम भारत: विरासत और विकास’ के प्रमुख विषय के साथ, रंग-बिरंगी झांकी प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहरों के साथ सबसे अलग दिखी. झांकी में, उसके खंडहरों के चारों ओर बौद्ध भिक्षुओं को बैठे हुए दिखाया गया है.
झांकी के अगले हिस्से में भगवान बुद्ध की ध्यानमग्न ‘धर्मचक्र मुद्रा’ में बैठी प्रतिमा थी, जो शांति और सद्भाव का प्रतीक है. मूल प्रतिमा राज्य के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल राजगीर के घोड़ा कटोरा जलाशय में स्थित है.
रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों द्वारा पूर्व में साझा किए गए झांकी के विवरण के अनुसार, ‘‘बिहार की झांकी ज्ञान और शांति की समृद्ध परंपरा को दर्शाती है. प्राचीन काल से ही बिहार ज्ञान, मोक्ष और शांति की भूमि रही है.’’
झांकी में बोधगया के बोधि वृक्ष को भी प्रदर्शित किया गया. इसी वृक्ष के नीचे भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था. झांकी में प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहर को भी प्रदर्शित किया गया. इस विश्वविद्यालय की स्थापना 427 ईस्वी में गुप्त वंश के शासक कुमारगुप्त ने की थी.
विश्व का पहला आवासीय विश्वविद्यालय, (प्राचीन) नालंदा विश्वविद्यालय 800 से अधिक वर्षों तक ज्ञान का केंद्र रहा, जिसने उक्त अवधि के दौरान चीन, कोरिया, जापान, तिब्बत और अन्य जगहों से विद्वानों को आकर्षित किया.
झांकी के ‘साइड पैनल’ पर भित्तिचित्रों में मौर्य सम्राट चंद्रगुप्त के मार्गदर्शक चाणक्य के योगदान और वैदिक सभाओं के दृश्य, लोकतांत्रिक शासन एवं न्यायिक प्रणालियों को दर्शाया गया है.
साझा किए गए विवरण के अनुसार, एक अन्य भित्तिचित्र में ‘गुरु-शिष्य’ परंपरा और गणित में आर्यभट्ट के योगदान को दर्शाया गया है.
एक एलईडी स्क्रीन पर, नवनिर्मित नालंदा अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय के परिसर को प्रदर्शित किया गया, जिसमें इसके परिसर के ‘कार्बन-न्यूट्रल’ और ‘नेट-जीरो’ डिजाइन शामिल हैं.
बिहार की झांकी ने दर्शकों का मन मोह लिया, जब यह विजय चौक से प्रतिष्ठित कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ी. भीड़ ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ इसका स्वागत किया, जो ज्ञान और शांति की राज्य की समृद्ध विरासत का जश्न मना रही थी.
जैसे ही झांकी सलामी मंच के करीब पहुंची, एक आवाज़ गूंजी: “यह बिहार की झांकी है.” गैलरी में बैठे दर्शक खड़े हो गए और जयकारे और कैमरे की फ्लैश के साथ झांकी का सम्मान करने लगे. उपस्थित विदेशी गणमान्य व्यक्ति भी इस अद्भुत दृश्य को देखने में समान रूप से तल्लीन थे.
इसके प्राचीन गौरव को पुनर्जीवित करने के लिए, बिहार सरकार ने नालंदा महाविहार के खंडहरों को संरक्षित करने और इको-टूरिज्म को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण निवेश किया है. इन प्रयासों का परिणाम राजगीर में नए अंतर्राष्ट्रीय नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना के रूप में सामने आया, जिसका उद्घाटन 19 जून, 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के मुख्यमंत्री की मौजूदगी में किया था.
गणतंत्र दिवस पर बिहार की झांकी न केवल एक दृश्यात्मक तमाशा थी, बल्कि एक ऐसे राज्य का उत्सव था जो ज्ञान और शांति के अपने शाश्वत संदेश से प्रेरणा देता रहता है.