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Friday, 1 November, 2024
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वीएचपी की धर्म संसद से पहले संत स्वरूपानंद सरस्वती का ऐलान, 21 फरवरी से करेंगे राम मंदिर का निर्माण

प्रयागराज कुंभ में पिछले दो दिनों से परम धर्म संसद चल रही थी, जिसमें बुधवार को स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि राम जन्मभूमि के लिए बलिदान का समय आ गया है.

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प्रयागराज: द्वारका पीठ के शंकराचार्य व परम धर्म संसद के प्रमुख संत स्वरूपानंद सरस्वती ने ऐलान किया है कि 21 फरवरी से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का कार्य शुरू होगा. प्रयागराज कुंभ में पिछले दो दिनों से परम धर्म संसद चल रही थी, जिसमें बुधवार को स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि राम जन्मभूमि के लिए बलिदान देने का समय आ गया है. मंदिर के लिए शांतिपूर्ण और अहिंसक आंदोलन चलाया जाएगा. बसंत पंचमी के बाद हम सब अयोध्या प्रस्थान करेंगे. अगर हमें रोका गया तो हम लोग गोली खाने के लिए भी तैयार हैं.

वीएचपी की धर्म संसद से पहले ही किया ऐलान..

बता दें कि वीएचपी की धर्म संसद 31 जनवरी और 1 फरवरी को होने वाली थी. उससे पहले ही स्वरूपानंद ने अपनी धर्म संसद बुला ली. कुंभ मेला क्षेत्र के सेक्टर 9 स्थित गंगा सेवा अभियानम के शिविर में दो दिनों तक यह धर्म संसद चली और उसके बाद 21 फरवरी को भूमि पूजन करने का फैसला किया गया.

स्वरूपानंद ने यह भी कहा कि मंदिर का निर्माण एक दिन में पूरा नहीं हो सकता, लेकिन मंदिर निर्माण तो तभी होगा, जब इसकी शुरुआत की जाएगी. इसलिए हम 21 फरवरी को शिलान्यास तथा भूमि पूजन के जरिए मंदिर निर्माण का कार्य शुरू करेंगे. हमें कंबोडिया के अंकोरवाट की तरह अयोध्या में विशाल मंदिर बनाना है.

वीएचपी की धर्म संसद में हजारों संतों को बुलावा

31 जनवरी व 1 फरवरी विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) की धर्म संसद में देश और दुनिया के करीब पांच हजार संत शामिल होंगे. इसमें ढाई हजार संत तो कुंभ मेले में पहुंच चुके हैं, जबकि इतने ही धर्म संसद में शामिल होने के लिए बुधवार तक कुंभ नगरी पहुंच जाएंगे. वीएचपी का लक्ष्य है कि देश के हर जिले का प्रतिनिधित्व धर्म संसद में हो. दो दिवसीय धर्म संसद 31 जनवरी से शुरू होगी और 1 फरवरी को राम मंदिर से संबंधित प्रस्ताव इसमें पेश किया जाएगा. संतों के इस समागम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत भी शामिल हो सकते हैं.

बता दें कि दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण पहल करते हुये अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवादित स्थल के आसपास की 67.390 एकड़ अधिग्रहित ‘विवाद रहित’’ भूमि उनके मालिकों को लौटाने की अनुमति के लिये उच्चतम न्यायालय में एक आवेदन दायर किया है.

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