पैरों के नीचे से जमीन खिसका देने वाला ये खुलासा हुआ, कथित तौर पर आरोपी से हुई पूछताछ के दौरान प्रकाश में आया, आरोपपत्र के आधार पर जम्मू एवं कश्मीर पुलिस अपराध शाखा ने सोमवार को दायर की।
नई दिल्ली: जम्मू के कठुआ जिले में एक स्थानीय मंदिर में कथित रूप से आठ साल की आसिफा के साथ बार-बार बलात्कार किया गया ऐसा कहा जाता है कि वह उसे बेहोशी की दवाई दी गई थी।
माना जाता है कि घटना के बाद अब उसने अपनी आँखे खोली है लेकिन दवा के प्रभाव के कारण वह अपनी प्रतिक्रिया देने में असमर्थ है। बच्ची को इतनी अधिक मात्रा में दवा की खुराक दी गई थी कि उसे वास्तविक रूप से मारने से पहले कुछ दिनों तक उसे रस्सी से लटका के रखा गया जब तक उसकी वास्तव में मृत्यु नहीं हो गयी ।
14 जनवरी को, उसके अगवा होने के चार दिनों के बाद जब वह अपने घोड़ों को चराने गई थी, असिफा को कथित रूप से गला घोंट कर मार दिया गया था।
इसके अलावा एक और भयानक जानकारी, पुलिस का दावा है कि दो पुरुषों और एक किशोर जो कि मुख्य संदिग्ध हैं तथा जो अपराधी के रूप में गिरफ्तार किए गए हैं, उन्होने पूरे जम्मू और कश्मीर को हिला कर रख दिया है क्योंकि यह मुद्दा जम्मू क्षेत्र में सांप्रदायिक विभाजन का कारण बन गया है।
जम्मू एवं कश्मीर पुलिस की क्राइम ब्रांच ने कठुआ में सोमवार को दायर आरोप पत्र दाखिल किया जो इस विवरण का आधार है। स्थानीय वकीलों ने पुलिस को दिन में पहले अदालत में दाखिल करने से रोक दिया था, वकीलों ने उनपर पूर्वाग्रह का आरोप लगाया और इस मामले के बहुत अधिक संवेदनशील होने का संकेत दिया।
पुलिस ने सात में से तीन आरोपियों पर मुख्य धाराएं लगाते हुए कार्यवाही आगे बढ़ाई है, जो सभी जेल में बंद हैं इन आरोपियों को सामूहिक बलात्कार के साथ, यदि हत्या का दोषी भी पाया गया तो ये आरोप उन्हें मौत की सजा का पात्र बनाते है। सूत्रों से पता चला है कि अन्य आरोपों में अवैध रूप से कैदी बनाना, षड्यंत्र और सबूतों को मिटाना जैसे आरोप लगाए गए हैं।
किशोर आरोपी पे एक अलग आरोपपत्र के तहत आरोप लगाया गया है।
भूमिका
आसिफा के बलात्कार और हत्या ने सांप्रदायिक हिंसा भड़का दी है और क्षेत्र में एक उग्र विवाद उत्पन्न हो गया है जिसकी वजह से समाज में फूट पड़ गई है। और यह एक ऐसा संजीदा गुनाह है जो की एक महत्वपूर्ण घिनौनी गाथा बयान करता है। पुलिस के मुताबिक बच्ची का अपहरण और हत्या, रासाना नाम के गांव से उस बच्ची के समुदाय के सदस्यों को बाहर निकालने की एक साजिश का हिस्सा था।
इस कथित साजिश के प्रमुखों में संजी राम, संदिग्ध मास्टरमाइंड, जो पूर्व राजस्व अधिकारी और स्थानीय कट्टरपंथी है; उसका बेटा विशाल कुमार, एक स्कूली छात्र; पुलिस अधिकारी दीपक खजुरिया राम का 16 वर्षीय भतीजा जो नावालिक हैं और उसका दोस्त परवेश कुमार शामिल थे।
एक आदिवासी, आसिफा खानाबदोश बक्करवाल समुदाय की एक सदस्य थीं। अपनी स्वीकृति में, विशाल ने पुलिस को बताया है कि पीड़ित की एकमात्र गलती यह थी कि “वह बक्करवाल परिवार के एक परिवार में पैदा हुई थी”।
सूत्रों ने बताया कि स्थानीय हिंदुओं और बक्करवाल के बीच रासना तथा आस-पास के कठुआ गांव में जमीन पर अतिक्रमण एवं अतिक्रमण के बीच नियमित झड़पों की पृष्ठभूमि के खिलाफ “बक्करवाल को सबक सिखाने” के विचार ने कथित तौर पर पिछले साल नवंबर के आस-पास आकार लेना शुरू किया।
पुलिस के अनुसार, संजी ने दिसंबर में ही इस अपराध की योजना को बनाना शुरू कर दिया था। पुलिस के अनुसार, इस घटना को अंजाम देने के लिए उसने भागीदारों के रूप में, समुदाय के खिलाफ जोडी के “असंतोष को देखते हुए” अपने किशोर भतीजे तथा खजूरिया 28 – एक परिकलित विकल्प, को चुना।
कथित रूप से समुदाय की एक लड़की को चिढ़ाने की वजह से बक्करवाल समुदाय द्वारा एक किशोर को पीटा गया था, जबकि खजूरिया खुद लगातार विवादों में रहे और समुदाय के साथ उनके जानवरों द्वारा अपनी भूमि पर अतिक्रमण करने की वजह से उनका विरोध कर रहे थे। कथित तौर पर दोनों पर आरोप लगाया गया है कि इन्होंने बदला लेने के लिए ये सब किया तथा राम को उन्हें भड़काने का आरोपी बताया जा रहा है। पुलिस का दावा है कि समिति द्वारा इस साजिश में अपने भतीजे को शामिल करने के पीछे एक तथ्य है, कि यदि वह पकडा गया तो अपनी कम उम्र की वजह से वह आसानी से छुट जाएगा।
अपराध
पुलिस के अनुसार, हमलावरों ने आसिफा का अपहरण करने का फैसला किया था क्योंकि उसकी उम्र के कारण अन्य बक्करवाल बच्चे उसके साथ खेलते थे। पुलिस सूत्रों ने कहा कि बलात्कार, योजना का हिस्सा कभी नहीं था।
जनवरी के पहले हफ्ते तक, षड्यंत्र के मंसूबे कामयाब होते दिख रहे थे और किशोर तथा खजूरिया को राम द्वारा उनसे संबंधित भूमिकाओं को सौंपा गया था। पुलिस सूत्रों का कहना है कि उनकी योजना इस प्रकार थी कि जब खजूरिया आसिफा को ड्रग्स द्वारा बेहोश करेगा, तो किशोर उसका अपहरण करेगा।
पुलिस के अनुसार किशोर, आसिफा का अपहरण करने के लिए 8 और 9 जनवरी को एक मौके की तलाश में था, लेकिन यह मौका उसे 10 जनवरी को मिला। जैसा कि वह अपने परिवार में पले टट्टू(छोटे घोड़ा)को चराने के लिए अपने घर के पास गई थी और उसने अपने दोस्त पारवेश को अपनी मदद के लिए आवाज लगायी तो उन्हें कथित तौर पर उसकी आवाज सुनाई दी। जब वह अपने जानवरों की तलाश करते हुए रास्ता भटक गई तो दोनों ने कथित तौर पर लड़की को गुमराह करके, उसे मन्नार क्षेत्र में उपलब्ध भांग की मिठाई खाने के लिए मजबूर किया।
मंदिर ले जाने से पहले किशोर ने आसिफा के साथ जंगल में कथित रूप से बलात्कार किया। भगवान राम का मंदिर जो स्थानीय रूप से ‘देवस्थान’ के रूप में जाना जाता है।
पुलिस सूत्रों ने दिप्रिन्ट से कहा कि किशोर ने बाद में अपने चचेरे भाई विशाल को साजिश के बारे में सूचित किया, जो उस समय मेरठ विश्वविद्यालय में अपनी परीक्षा दे रहा था। ऐसा तब होता है जब विशाल कथित तौर पर रासना को लौट आया था।
11 जनवरी को, आसिफा को कथित तौर पर क्लोनैज़ेपम की अघिक मात्रा का सेवन कराया गया – क्लोनैज़ेपम एक ऐसी दवा है जिसका प्रयोग दौरा पड़ने पर उसका नियंत्रण करने और चिंता (तनाव) दूर करने के लिए किया जाता है। बेहोशी की दवा निचली श्रेणी की होने के कारण उसे लंबे समय तक बेहोश रखने में असफल रही। पुलिस के अनुसार, दवा अगले दिन तक बेहोश रखती थी। तब तक, बच्ची (आसिफा) के लिए खोज अभियान शुरू हो गया था और उस दिन किशोर और परवेश देवस्थान से दूर रहे।
पुलिस के अनुसार, 13 जनवरी को किशोर और विशाल मंदिर गये और कथित तौर पर बच्ची के साथ बलात्कार किया। पुलिस सूत्रों का कहना है कि राम, जो उस समय मंदिर के बाहर था, जब उन्हें बलात्कार के बारे में पता चला तो उन्होंने अपने बेटे को उस मामले से बाहर निकाल लिया।”
दरिंदगी का यह घिनौना कार्य 14 जनवरी को भी जारी रहा, जब कथित तौर पर किशोर और खजुरिया द्वारा आसिफा के साथ बलात्कार किया गया था। इसके बाद उसे एक पुलिया तक ले जाया गया और कथित तौर पर खजुरिया एवं किशोर द्वारा आसिफा द्वारा पहनी हुई शॉल से ही उसका गला घोंट दिया गया। उसके सिर पर भी पत्थर से प्रहार किया गया था, जिसे बाद में पुलिस ने घटनास्थल से बरामद किया।
पुलिस के अनुसार, इसके बाद उसके शरीर को देवस्थान वापस लाया गया था। मूल योजना उसे एक कार द्वारा ले जाकर नाले में फेंकने की थी जहाँ उसका शरीर धुल जाता, लेकिन इसके बजाय उसे अगले दिन जंगल में फेंक दिया गया।
‘सबूतों का विनाश’
देवस्थान में आसिफा के शरीर पर पाए गए किशोर के बालों के डीएनए परीक्षण ने मंदिर में उनकी मौजूदगी को स्पष्ट कर दिया है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, असिफा की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसके निजी हिस्सों के साथ-साथ उसके गर्भाशय को चोट पहुँचने का संकेत है जिससे यौन उत्पीड़न होने की घटना का साक्ष्य माने जाने पर विचार किया जा सकता है।
पुलिस मौके पर अभियुक्तों की उपस्थिति को साबित करने के लिए दो अन्य फोरेंसिक रिपोर्टों का इंतजार कर रही है।
हालांकि, यह आरोप लगाया गया है कि पीड़ित की योनि की चिकनी सतह सहित कई अन्य सबूतों को पुलिस अधिकारियों ने क्राइम ब्रांच को सौंपने से पहले ही नष्ट कर दिया था।
हीरानगर पुलिस स्टेशन से दो पुलिस कर्मियों, तिलक राज और आनंद दत्ता, जहां खजुरिया को भी तैनात किया गया था, को संदेह के आधार पर इसलिए गिरफ्तार किया गया था कि उन्होंने आसिफा के खून और मिट्टी में सने हुए कपड़ों को फॉरेन्सिक परीक्षणों के लिए भेजने से पहले ही धो दिया था।
सूत्रों ने बताया कि राम ने कथित तौर पर सबूतों को नष्ट करने के लिए 4 लाख रुपये का भुगतान किया था तथा सूत्रों ने यह भी बताया कि दिल्ली में एक फोरेंसिक लैब ने यह पुष्टि की थी कि आसिफा के कपड़ों को फोरेंसिक परीक्षण के लिए देने से पहले उन्हें धोया जा चुका था।
कठुआ में हलचल
इस अपराध ने राजनीतिक रूप से संवेदनशील जम्मू क्षेत्र में सांप्रदायिक भावनाओ में ईंधन झोंकने का काम किया है।
आरोपियों की गिरफ्तारी ने कठुआ और पास के इलाकों में प्रदर्शनों को बढ़ावा दे दिया है दावा यह है कि जांच गलत है जिसके चलते सीबीआई जांच के लिए मांग की गई है। वे ‘हिंदू एकता मंच’ नामक एक नए समूह के नेतृत्व में होने के साथ भाजपा नेता लाल सिंह चौधरी और चंद्र प्रकाश गंगा द्वारा समर्थित हैं- यह दोनों मंत्री राज्य की पीडीपी-भाजपा सरकार में हैं।
“गलत गिरफ्तारी” के खिलाफ विरोध करने को लेकर पिछले 10 दिनों से एक आरोपी की माँ सहित रासना की कम से कम चार महिलाएं अनिश्चित भूख हड़ताल पर हैं।
हिंदू एकता मंच का नेतृत्व कुतः के पूर्व सरपंच कांत कुमार करते हैं जिन्होंने यह दावा किया कि जाँच को गलत साबित करने के लिए निश्चित प्रमाण थे।
“जिन लोगों को पूछताछ के लिए बुलाया गया था, उनमें से कई लोगों ने हमें यह बताया कि पुलिस के द्वारा अधिक दबाव बनाए जाने के कारण वह गुनाह कबूल करने को मजबूर हो गए थे, कुमार ने दिप्रिन्ट को बताया, “इस सच को बहुत जल्द ही प्रकाश में लाया जाएगा”।
गिरफ्तारियों के खिलाफ मंच बुधवार को एक विरोध प्रदर्शन और राष्ट्रीय राजमार्ग को अवरुद्ध करने जा रहा है।
जम्मू एवं कश्मीर उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन (जम्मू) भी हलचल में शामिल हो गया है, जैसा कि इस मामले में मंच द्वारा सीबीआई जांच की मांग करने के लिए 4 अप्रैल से विरोध किया गया। इसे बुधवार को जम्मू बंद के नाम से बुलाया जाता है।
एक बयान में, बार एसोसिएशन ने जम्मू में और आसपास “अवैध तरीके से बसने वाले आप्रवासियों के निर्वासन” सहित अन्य चार मांगों को भी रखा है। सूत्रों के अनुसार, एसोसिएशन मामले में अपराध शाखा की जांच पर स्टे के लिए एक जनहित याचेका कर सकती है।
संघ ने तथाकथित तौर पर कहा है कि गठबंधन सरकार ने “जानबूझकर शत्रुतापूर्ण स्थिति बनाने का प्रयत्न कर जम्मू क्षेत्र के सामंजस्यपूर्ण वातावरण और चरित्र को अस्तव्यस्त किया हैं “, इसके साथ यह भी कहा कि इसकी मांगे “जम्मू क्षेत्र के राष्ट्रवादी लोगों की सुरक्षा, और शांतिपूर्ण अस्तित्व के हित में है”।
हुर्रियत ने भी आरंभ में एक जारी किए गए बयान में कहा था कि जम्मू के मुस्लिम समुदाय को “गंभीर उत्पीड़न” और बुरे अपराध में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।