शिवसेना की सत्ता में बड़ी हिस्सेदारी की बेशर्मी भरी मांग और बाद में भाजपा के साथ गठबंधन खत्म करने की जल्दबाजी, उद्धव ठाकरे की राजनीतिक अपरिपक्वता और अनुभवहीनता को उजागर करती है. राज्यपाल और मोदी सरकार की राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की जल्दबाजी भाजपा की असुरक्षा दर्शाती है. महाराष्ट्र का राजनीतिक सर्कस अब मज़ाक बन गया है.