मुंबई/दिल्ली : महाराष्ट्र में सरकार गठन का रास्ता साफ होता दिख रहा है. सुबह से मंथन कर रही कांग्रेस शिवसेना के नेतृत्व वाली सरकार को बाहर से समर्थन देने का फैसला किया है. पार्टी सरकार का हिस्सा नहीं होगी. वहीं शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे और तमाम पार्टी के बडे़ नेता राजभवन पहुंच चुके हैं.
Maharashtra: Shiv Sena leader Aaditya Thackeray and other leaders of the party reach Raj Bhavan, in Mumbai. pic.twitter.com/6dL1yiMm9C
— ANI (@ANI) November 11, 2019
बता दें कि महाराष्ट्र में 288 सदस्यीय सदन में भाजपा के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी शिवसेना के पास राज्य में सरकार बनाने की दावेदारी करने के लिए सोमवार को शाम साढ़े 7 बजे तक का समय है.
इससे पहले शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने रकांपा प्रमुख शरद पवार से एक होटल में मुलकाता की थी और कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को फोन कर सरकार गठन में उनका समर्थन मांगा था.
सूत्रों ने बताया कि पवार के साथ बैठक में शिवसेना अध्यक्ष के साथ उनके बेटे आदित्य भी मौजूद थे.
महाराष्ट्र में भाजपा के सरकार बनाने से इंकार के बाद शिवसेना की कांग्रेस और रकांपा से लगातार बातचीत चल रही थी जिससे शिवसेना के नेतृत्व में सरकार बनने के उम्मीद जताई जा रही है. कांग्रेस-एनसीपी में इसको लेकर गहन विचार-विमर्श किया गया. काग्रेस की वर्किंग कमेटी ने इस पर मंथन के लिए दो बार बैठकें की. कांग्रेस वर्किंग कमेटी की मीटिंग में अहमद पटेल गुलाम नबी आजाद सहित तमाम पार्टी के बड़े नेता मौजूद रहे.
अरविंद सावंत ने सुबह दिया था इस्तीफा
उधर, केंद्रीय मंत्रिमंडल में शिवसेना के एक मात्र मंत्री अरविंद सावंत ने आज सुबह अपना इस्तीफा दे दिया है. नयी दिल्ली और मुंबई में एक के बाद एक हो रही बैठकों के बीच, सावंत ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से पार्टी के अलग होने के संकेत दिए और भाजपा पर सीटों एवं सत्ता के बराबर बंटवारे के वादे से पीछे हटने का आरोप लगाया तथा कहा कि इसी वजह से उद्धव ठाकरे नीत पार्टी को संबंध तोड़ने पड़े.
उनका इस्तीफा राकांपा प्रमुख शरद पवार के इस कथन के बाद आया कि उनकी पार्टी का समर्थन हासिल करने से पहले शिवसेना को पहले राजग के साथ अपने संबंध तोड़ने होंगे.
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा विधानसभा चुनावों से पहले दोनों सहयोगी पार्टियों के नेताओं के बीच हुए समझौते को मानने से इनकार कर ‘झूठ’ का सहारा ले रही है.
कांग्रेस और रकांपा की भूमिका अहम
भाजपा और शिवसेना के बीच गतिरोध को देखते हुए, 44 विधायकों के साथ कांग्रेस और 54 विधायकों के साथ राकांपा की भूमिका अहम है. राकांपा ने कहा है कि वह शिवसेना नीत सरकार को समर्थन देने के विषय पर अपने सहयोगी कांग्रेस के साथ मिलकर फैसला करेगी.
इससे पहले पार्टी के करीबियों ने बताया कि कांग्रेस विधायकों ने रविवार को जयपुर में इस मुद्दे पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक की और जोर दिया कि वे राज्य में नये सिरे से चुनाव नहीं चाहते हैं. उन्होंने कहा कि चूंकि कांग्रेस के विधायक फिर से चुनाव कराने के पक्ष में नहीं हैं और भाजपा को सत्ता से बाहर रखना चाहते हैं इसलिए कई शिवसेना को बाहर से समर्थन देने के पक्ष में थे.
जबकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एम एम पल्लम राजू ने दिन में बयान दिया था, ‘हमने दक्षिणपंथी पार्टी से हमेशा से दूरी बनाए रखी है जो कि शिवसेना है. उनके आंतरिक मतभेदों ने महाराष्ट्र में यह स्थिति पैदा कर दी है.’
मुंबई में, राकांपा नेता नवाब मलिक ने कहा कि राज्य में लोगों की दशा को ध्यान में रखते हुए एक विकल्प उपलब्ध कराना ‘हम सबकी’ जिम्मेदारी है. हालांकि, मलिक ने यह भी कहा कि राकांपा शाम में कोई भी फैसला अपनी सहयोगी कांग्रेस के साथ सहमति बना कर ही लेगी. साथ ही उन्होंने कहा था कि शिवसेना और राकांपा के बीच संवाद जारी है.
सीने में दर्द के बाद संजय राउत अस्पताल में भर्ती
वहीं इस राजनीतिक गतिरोध के बीच शिवसेना नेता संजय राउत को सीने में दर्द की शिकायत के बाद सोमवार को लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया. अस्पताल के एक अधिकारी ने इस बारे में बताया. महाराष्ट्र में मौजूदा राजनीतिक हालत पर हर दिन अपनी पार्टी के रुख से मीडिया को अवगत कराने वाले राउत अपराह्न करीब साढ़े 3 बजे अस्पताल आए.
अधिकारी ने बताया, ‘सीने में दर्द की शिकायत के बाद राउत को लीलावती अस्पताल पहुंचाया गया. डॉ. जलील पारकर उनका उपचार कर रहे हैं.’
उन्होंने बताया, ‘राउत नियमित जांच के लिए दो दिन पहले भी अस्पताल आए थे. उस समय कुछ जांच के बाद ईसीजी (इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम) किया गया था. ईसीजी रिपोर्ट के आधार पर डॉक्टरों ने आगे जांच के लिए आज उन्हें अस्पताल आने को कहा.’
राज्यसभा सदस्य के भाई और शिवसेना के विधायक सुनील राउत ने बताया कि संजय राउत को कल छुट्टी मिल सकती है . उन्होंने कहा, ‘शाम में डॉक्टर तय करेंगे कि एंजियोग्राफी करने की जरूरत है या नहीं.’