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Saturday, 16 November, 2024
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आरईसीपी में शामिल नहीं होगा भारत, मोदी ने बताया देश के हितों के विपरीत : सूत्र

सूत्रों के मुताबिक आरईसीपी समिट में पीएम मोदी ने कहा, भारत क्षेत्रीय एकता के लिए खड़ा है और साथ ही खुले व्यापार का पक्षधर है.

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नई दिल्ली : भारत ने रीजनल कॉम्प्रिहंसिव इकनॉमिक पार्टनरशिप(आरईसीपी) में शामिल न होने का फैसला लिया है. सूत्रों के अनुसार भारत अपने कोर इंटरेस्ट से समझौता नहीं करेगा. आरईसीपी समझौता का मूल मकसद ठीक नहीं है.

सरकारी सूत्रों के अनुसार भारत का रुख गरीबों के हितों के पक्ष में है और भारत के सर्विस सेक्टर को फायदा पहुंचाने के लिए है.

सरकारी सूत्रों के अनुसार अब वो दिन गए जब भारतीय नेगोशियटर वैश्विक शक्तियों के दबाव में आ जाते थे. लेकिन, अब भारत फ्रंटफुट पर खेलता है. भारत की व्यापार संबंधी चिंताओं को सुना जाना जरूरी है और ये दूसरे देशों को भारत के लिए अपने बाजार खोलने की जरूरत है.

सूत्रों के मुताबिक आरईसीपी समिट में पीएम मोदी ने कहा, भारत क्षेत्रीय एकता के लिए खड़ा है और साथ ही खुले व्यापार का पक्षधर है. भारत शुरू से ही आरईसीपी के नेगोशियशन में शामिल रहा है.

मोदी ने कहा, हमने पिछले सात सालों के नेगोशियशन पर नजर बनाए रखी है. जिसमें वैश्विक अर्थव्यवस्था और व्यापार संबंधी चीजे रही हैं. लेकिन मौजूदा आरईसीपी समझौता पहले की मूल भावना से अलग है.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा ने कहा, इस तरह के फैसले में हमारे किसानों, व्यापारियों और उद्योगों का हिस्सा है. भारत को बड़ा बाजार बनाने वाले लोगों और उपभोक्ताओं का भी अहम योगदान है.

भारत में वियतनाम के राजदूत फाम सान्ह चाउ ने कहा कि आरईसीपी को लेकर भारत द्वारा उठाए गई चिंताओं को हम समझते हैं. लेकिन हम मानते हैं कि इन बातों को बैठ कर सुलझाया जा सकता है.

उन्होंने कहा, 2020 में आसियान समिट को वियतनाम होस्ट कर सकता है. हम आशा करते हैं कि हम इस समझौते को साइन कराने में सफल होंगे.

सूत्रों के अनुसार इस बैठक में इन अहम मुद्दों पर बात हुई – आयात शुल्क में बढ़ोतरी, चीन के साथ व्यापार घाटा, बेस ईयर 2014 को बनाया जाए और किसी प्रकार का टैरिफ बैरियर न हो.

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