scorecardresearch
Friday, 22 November, 2024
होमसमाज-संस्कृतिखेल, नाटक और डांस के जरिए वंचित बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं दिल्ली विश्वविद्यालय के ये कॉलेज

खेल, नाटक और डांस के जरिए वंचित बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं दिल्ली विश्वविद्यालय के ये कॉलेज

नार्थ कैंपस के कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्र गरीब परिवारों के बच्चों को मुफ्त में शिक्षा दे रहे हैं और उनके परिवार के सामाजिक उत्थान के लिए काम कर रहे हैं.

Text Size:

नई दिल्ली: देश के सबसे अच्छे विश्वविद्यालयों में शुमार दिल्ली विश्वविद्यालय अपने अकादमिक कार्यों के अलावा भी कई गतिविधियों के लिए जाना जाता है. शिक्षा, छात्र राजनीति के अलावा फैशन और मस्ती भरे कॉलेज लाइफ के लिए भी दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रों की पहली पसंद है. विश्वविद्यालय के कई कॉलेजों के छात्र सामाजिक कल्याण की प्रक्रिया में पीछे छूट रहे बच्चों को मुख्यधारा मेंं जोड़ने का भी काम कर रहे हैं.

नार्थ कैंपस के कई कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्र गरीब परिवारों के बच्चों को मुफ्त में शिक्षा दे रहे हैं और उनके परिवार के सामाजिक उत्थान के लिए काम कर रहे हैं. दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज, हंसराज कॉलेज, दौलत राम कॉलेज के छात्र इस काम में लगे हुए हैं. नेशनल सर्विस स्कीम (एनएसएस) के तहत इन कॉलेजों में वंचित बच्चों को पढ़ाया जाता है. पढ़ाए गए इन बच्चों में से कई ने तो दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिला पाने में सफलता भी पाई है.

किरोड़ीमल कॉलेज के छात्र की पहल से संवर रहा है सैकड़ों बच्चों का भविष्य

कॉलेज में एनएसएस सोसाइटी की अध्यक्ष भव्या ने दिप्रिंट को बताया, ‘किरोड़ीमल कॉलेज में 6 साल पहले छात्रों को सामाजिक उत्तरदायित्व एवं जिम्मेदारियों के प्रति जागरुक बनाने के लिए एनएसएस की शुरूआत की गई थी. जिसके अंतर्गत आज दो मुख्य कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. एक, महिला सशक्तिकरण और दूसरा ‘ईच वन टीच वन’. कॉलेज में बच्चों को पढ़ाने की शुरुआत करने का श्रेय 2012-15 बैच के आदित्य चौधरी को जाता है.’

फोटो : यशस्वी पाठक

कॉलेज के बाहर हनुमान मंदिर के पास आदित्य ने किसी शख्स को बच्चों को पढ़ाते हुए देखा था. तभी उन्होंने बच्चों को पढ़ाने के बारे में सोचा. धीरे-धीरे बच्चों की संख्या बढ़ने लगी, तो उन्होंने कॉलेज प्रशासन से बच्चों को महाविद्यालय के अंदर पढ़ाने की इजाजत मांगी. कॉलेज प्रशासन ने एक्टविटी सेंटर में बच्चों को पढ़ाने की अनुमति दे दी.


यह भी पढ़ें : प्लास्टिक मुक्त हुए गुरुद्वारे, ईंख और धान के छिलके से बनने वाले बर्तनों का होगा इस्तेमाल


पढ़ने वाले बच्चे पास के ही चंद्रावल गांव से आते हैं. शुरुआत में एनएसएस के स्वयंसेवक चंद्रावल गए और वहां शिक्षा की महत्ता और महिला सशक्तिकरण जैसे विषयों पर लोगों को जागरुक किया. कुछ समय बाद ही इस गांव के बहुत से बच्चे पढ़ने आने लगे. वर्तमान में ईच वन टीच वन कार्यक्रम ते अंतर्गत 140 से ज्यादा बच्चे मुफ्त में शिक्षा ले रहे हैं.

इस कार्यक्रम के जरिए उन परिवार के बच्चों को जो आर्थिक कारणों से अपने बच्चों को कोचिंग के लिए बाहर नहीं भेज सकते उन्हें शिक्षित किया जाता है.

भव्या ने बताया, ‘इन बच्चों को 3 बजे से लेकर 5 बजे तक सोमवार से लेकर शुक्रवार तक पढ़ाया जाता है. जब बच्चों की परीक्षाएं आती हैं, तो छुट्टी के दिन भी क्लास रखी जाती है. कुछ बच्चों की अंग्रेजी कमज़ोर है तो कुछ गणित में कमज़ोर हैं. इन बच्चों के लिए अलग से क्लास चलाते हैं. पहली से 12वीं तक के बच्चे यहां पढ़ते हैं. बच्चों को उनकी क्लास और विषय में उनकी समझ के आधार पर वॉलेंटियर्स पढ़ाते हैं. बच्चों को पढ़ाई के साथ साथ खेल, नुक्कड़ नाटक, डांस, पेंटिग जैसी एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज़ भी सिखाई जाती है.’

कोई बच्चा टीचर तो कोई आईएएस बनना चाहता है

यहां पढ़ने वाले बच्चे अपने भविष्य को लेकर बहुत से सपने बुन रहे हैं. कोई बच्चा शिक्षक बनाना चाहता है, तो कोई वकील तो कोई आईएएस ऑफिसर… कुछ बच्चे इसी कॉलेज से पढ़ाई करना चाहते हैं और भैया दीदी (वॉलेंटियर्स) की तरह दूसरे बच्चों को पढ़ना चाहते हैं.

बता दें कि ‘ईच वन टीच वन’ कायर्क्रम से पढ़कर अंजुम सत्यवती कॉलेज और रोहित हंसराज कॉलेज में दाखिला लेने में कामयाब रहे हैं. कॉलेज में एनएसएस की प्रोग्राम ऑफिसर डॉ बेनू गुप्ता का कहना है, ‘इस कार्यक्रम की सबसे खूबसूरत बात यह है कि हमें कॉलेज में बच्चों को कहना ही नहीं पड़ा कि वे शिक्षा से वंचित रहे बच्चों को लाए और उन्हें पढ़ाए. हमारे बच्चों की सबसे बड़ी कामयाबी यह है कि उनके पढ़ाए बच्चे कॉलेज में दाखिला ले पा रहे हैं और वे आगे पढ़ाई भी कर रहे हैं. जिन बच्चों को बात करना नहीं आता था वे अब स्टेज पर परफॉर्म कर रहे हैं.’

हंसराज कॉलेज में चल रहा है ‘पढ़ाकू विंग’

किरोड़ीमल कॉलेज की तरह ही दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज में भी एनएसएस सोसाइटी के अंतर्गत ‘पढ़ाकू विंग’ चल रहा है. इसकी शुरुआत 2009 में एक पेड़ के नीचे 2 बच्चों को पढ़ाने के साथ हुई थी. कॉलेज की ही 2 छात्राओं सुमन बेनीवाल और सृष्टि द्विवेदी ने इसकी शुरुआत की थी. आज ‘पढ़ाकू विंग’ में लगभग 100 बच्चे हैं, जिनकी सोमवार से शुक्रवार शाम 3 से 5 कक्षाएं कॉलेज के ‘यज्ञशाला’ एरिया में चलती हैं. यह अपने आप में एक तरह का छोटा सा स्कूल है, जिसमें पहली क्लास से 12वीं तक की कक्षाएं चलती हैं.


यह भी पढ़ें : एनडीएमसी के ‘सक्षम इको मार्ट’ में है प्लास्टिक का विकल्प, स्पेशल बच्चों की ‘कारीगरी’


पढ़ाकू विंग की प्रमुख श्रेया ने दिप्रिंट को बताया, ‘हम हर महीने बच्चों का टेस्ट लेते रहते हैं, ताकि हमें पता चलता रहे हम जो बच्चों को पढ़ा रहे हैं वो कितना समझ पा रहे हैं. उन्हें टॉपिक समझ आ रहें हैं या नहीं. कई बच्चों में हमें बहुत इम्प्रूवमेंट दिखती है. यहां आ कर वो कॉलेज के बाकी स्टूडेंट्स को देख कर अच्छे से पढ़ाई करने लग जाते हैं.’

उन्होंने बताया, ‘वॉलेंटियर 2-4 दिन में बदलते रहते हैं क्योंकि उन्हें अपनी पढ़ाई भी करनी होती है. इसलिए हमने छोटे बच्चों को एक डायरी दी है जिसमें यह लिखा होता है कि लास्ट क्लास में उन्हें क्या पढ़ाया गया था. अगला वॉलेंटियर जब भी आता है तो डायरी चेक कर के उसके आगे से पढ़ाता है. इसके अलावा बच्चों को कंप्यूटर की शिक्षा देने के लिए हमने इसी साल कंप्यूटर लैब का इस्तेमाल करने की इजाज़त ली है. अब हम बच्चों को कंप्यूटर चलाना भी सीखा रहे हैं.’

पढ़ाकू विंग की सबसे खास बात ‘पढ़ाकू ट्रिप’ है. दिवाली मेले से जो फंड हम इकट्ठा करते हैं उससे बच्चों को एक दिन के लिए बाहर घुमाने ले जाते हैं.’

पढ़ाकू विंग से पढ़ कर ही रौनक हंसराज कॉलेज से बीकॉम ऑनर्स कर रही हैं…इसी तरह रश्मी, नेहा और ऋतु स्कूल ऑफ़ ओपेन लर्निंग से बीए. कर रही हैं.

कमला नगर के पार्क में बच्चों को पढ़ाती हैं दौलत राम कॉलेज की छात्राएं

दौलत राम कॉलेज की छात्राएं भी बच्चों को पढ़ाने में पीछे नहीं है. छात्राएं बच्चों को कमला नगर के एक पार्क में पढ़ाती हैं. कॉलेज की एनएसएस सोसायटी की यूनियन मेंबर अनन्या शर्मा का कहना है, ‘हम बच्चों को कमला नगर के एक पार्क में पढ़ाते है. क्योंकि बच्चों का घर यहां से पास में है. इनके माता पिता उन्हें ज़्यादा दूर भेजना नहीं चाहते और बच्चे भी कहीं और नहीं जाना चाहते.’


यह भी पढ़ें : रेलवे में खोया भरोसा लौटाने में जुटा है ये कर्मचारी, 78 लोगों का छूटा सामान पहुंचा चुका है मालिक तक


बच्चों की संख्या के बारे में अनन्या ने बताया कि, ‘लगभग कुल 50-60 बच्चे हैं. इनमें छोटी क्लास के बच्चे ज़्यादा हैं बड़ी क्लास के बच्चे कभी आते हैं कभी छुट्टी कर जाते हैं.’

उन्होंने कहा, ‘हम इस बार दिवाली मेले में बच्चों के लिए डोनेशन इकट्ठा कर रहे हैं ताकि उनकी ज़रूरत की चीज़ें जैसे किताब, कॉपियां, पेंसिल आदि उन्हें उपलब्ध कराई जा सकें. साथ ही शेल्टर होम के बच्चों ने हमसे परफॉर्म करने की इच्छा जताई थी इसलिए इस दिवाली मेले में हम लगभग 200 बच्चों को परफॉर्म करने के लिए बुला रहे हैं. हमारे वॉलेंटियर बच्चों को ले आएंगे और परफॉमेंस के बाद उन्हें वापस भी पहुंचाएंगे.’

share & View comments