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Wednesday, 3 December, 2025
होमविदेश'चीन-रूस की नो-लिमिट्स पार्टनरशिप भारत और पोलैंड के लिए खतरा' — पोलैंड के उप विदेश मंत्री

‘चीन-रूस की नो-लिमिट्स पार्टनरशिप भारत और पोलैंड के लिए खतरा’ — पोलैंड के उप विदेश मंत्री

व्लादिस्लाव बार्टोस्ज़ेव्स्की ने दिप्रिंट को बताया कि यूक्रेन युद्ध में रूस को चीनी पैसे से ताकत मिल रही है, उन्हें उम्मीद है कि रूस-चीन की नज़दीकी से भारत मॉस्को के साथ रिश्तों पर ज़्यादा ध्यान देगा.

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नई दिल्ली: रूस और चीन के बीच की “नो लिमिट्स” साझेदारी यूरोपीय संघ (ईयू) और भारत दोनों के लिए चिंता का कारण बन रही है. पोलैंड के डिप्टी फॉरेन मिनिस्टर और सेक्रेटरी ऑफ स्टेट व्लादिस्लाव टी. बार्टोस्ज़ेव्स्की ने मंगलवार को दिप्रिंट को दिए इंटरव्यू में यह बात कही.

उन्होंने उम्मीद जताई कि रूस और चीन की बढ़ती नजदीकी भारत को मॉस्को के साथ अपने रिश्तों को नए नजरिये से देखने का मौका देगी, क्योंकि पिछले पांच साल में भारत की चीन के साथ गंभीर चिंताएं रही हैं.

उन्होंने कहा, “ध्यान रखें कि यह (चीन) एक ऐसा देश है जिसे आप बहुत दोस्ताना नहीं मानते. वही देश रूस की मदद कर रहा है, जिसे हम बहुत ही गैर-दोस्ताना मानते हैं. इसलिए रिश्ते आगे बढ़ाते समय इसे ध्यान रखें. हमारी चर्चाएँ ईमानदार होती हैं और फैसला भारत को करना है.”

उन्होंने आगे कहा, “चीन के बिना यह युद्ध रुक जाता, क्योंकि चीन रूस को पैसा देता है, तेल और गैस खरीदता है, वह रूस का सबसे बड़ा खरीदार है. चीन तकनीक तक पहुंच देता है, और गोला-बारूद तक पहुंच देता है, भले ही वह चीनी न हो, बल्कि उत्तर कोरियाई हो. और 80 फीसदी ड्यूल-यूज़ प्रॉडक्ट्स, जो आम तौर पर किसी चीनी फ्रिज में होते हैं, वे रूसी मिसाइल में जा रहे हैं. इसलिए हम अपने भारतीय दोस्तों से कहते हैं कि आपका चीन के साथ रिश्ता मुश्किल है.”

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर वी. पुतिन गुरुवार को दो दिन की भारत यात्रा पर आ रहे हैं और भारत-रूस वार्षिक सम्मेलन में भी हिस्सा लेंगे. रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से भारत ने मॉस्को के साथ अपने मजबूत संबंध बनाए रखे हैं.

पोलैंड यूक्रेन का सबसे बड़ा समर्थक रहा है और कीव को 320 टैंक समेत कई सैन्य उपकरण भेजे हैं. बार्तोस्ज़ेव्स्की के अनुसार, यह मदद पोलैंड के कुल GDP का लगभग 4 फीसदी है.

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का अनुमान है कि 2024 में पोलैंड की GDP लगभग 914 अरब डॉलर थी और इस साल एक ट्रिलियन डॉलर पार कर जाएगी.

पोलिश सचिव ने दिप्रिंट को बताया कि रूस पिछले चार साल से जो युद्ध लंबा खींच पा रहा है, उसका कारण सिर्फ चीन है, जो तेल खरीदने से लेकर ड्यूल-यूज़ तकनीक बेचने तक रूस की मदद कर रहा है.

बार्टोस्ज़ेव्स्की ने यह भी कहा कि “प्रधानमंत्री मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की वजह से पुतिन ने यूक्रेन में टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन इस्तेमाल नहीं किया.”

उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी ने दखल दिया और पुतिन उनकी बात सुनते हैं. इसलिए प्रधानमंत्री मोदी के पास बहुत अधिकार है. यह शांति लाने का अच्छा मौका है.”

युद्ध के शुरुआती महीनों में EU, जिसमें पोलैंड भी शामिल है, भारत के रूस के साथ व्यापार को लेकर संदेह में था. पिछले वित्त वर्ष में भारत का रूसी तेल आयात 56 अरब डॉलर तक पहुंच गया.

रूसी तेल का आयात बढ़ना वैश्विक योजना का हिस्सा था, जिसे अमेरिका और G7 देशों ने तैयार किया था ताकि रूसी तेल का दाम सीमित रखा जा सके और रूस की युद्ध अर्थव्यवस्था पर चोट की जा सके, बिना वैश्विक ऊर्जा बाजार को नुकसान पहुंचाए. यह बात अमेरिका के पूर्व भारत राजदूत एरिक गैर्सेटी ने कही थी.

पोलैंड की यूक्रेन से लगी सीमा पर युद्ध का असर पड़ा है. रूसी ड्रोन और लुटरिंग म्यूनिशन 2025 के सितंबर में पोलैंड के पूर्वी हिस्सों में घुसे थे. बार्टोस्ज़ेव्स्की का दावा है कि रूसी सैन्य खुफिया वारसॉ में तोड़फोड़ और साइबर हमलों के पीछे है.

उन्होंने कहा, “हमारे यहां तोड़फोड़ की घटनाएँ हुईं और हाल ही में एक आतंकी हमला टला, जिसमें दो लोग रूसी सैन्य खुफिया द्वारा भेजे गए थे… उन्होंने 100 मील प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही ट्रेन को पटरी से उतारने की कोशिश की.”

युद्ध के चलते पोलैंड ने अपने सैन्य खर्च को बढ़ा दिया है और वह अमेरिकी हथियारों का सबसे बड़ा खरीदार बन गया है. उसका रक्षा बजट इस साल GDP के 5 फीसदी से ऊपर चला गया. पोलैंड अपनी रक्षा उद्योग क्षमता भी बढ़ा रहा है और इस क्षेत्र में भारत के साथ साझेदारी करना चाहता है.

रक्षा और रणनीतिक सहयोग

भारत और पोलैंड ने अगस्त 2024 में प्रधानमंत्री मोदी की वारसॉ यात्रा के दौरान अपने रिश्तों को रणनीतिक साझेदारी के स्तर पर उठाया. रक्षा क्षेत्र दोनों के बीच बढ़ते रिश्तों का बड़ा हिस्सा है. WB Group जैसी पोलिश कंपनियां भारत को ड्रोन और लुटरिंग म्यूनिशन बेचना चाहती हैं.

बार्टोस्ज़ेव्स्की ने कहा, “हम सुरक्षा और सैन्य सहयोग पर सहमत हुए हैं. हम उम्मीद करते हैं कि भारतीय सेना हमारे यहां दौरा करेगी. हम पहले से हथियार सप्लाई कर रहे हैं, ड्रोन भी भेज रहे हैं. लेकिन हम सहयोग को साइबर डिफेंस सहित कई क्षेत्रों में बढ़ाना चाहते हैं.”

पोलैंड खनन क्षेत्र में भी भारत के साथ साझेदारी बढ़ाना चाहता है. पोलिश सचिव ने बताया कि दोनों देशों के बीच कोयला खनन का एक संयुक्त प्रोजेक्ट शुरू हुआ है, जिसमें साफ-सुथरी कोयला तकनीक पर फोकस है.

उन्होंने कहा, “हम उच्च-स्तरीय संपर्क बढ़ा रहे हैं. हमारा रिश्ता अच्छा है, लेकिन अब हम चाहते हैं कि ठोस बिजनेस समझौते भी हों – सांस्कृतिक, शैक्षणिक, सैन्य और व्यापारिक सहयोग. क्योंकि रणनीतिक साझेदारी का मतलब होना चाहिए.”

भारत-ईयू के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) भी आगे बढ़ रहा है और अगले महीने ईयू-इंडिया शिखर सम्मेलन से पहले इसके साइन होने की उम्मीद है.

स्टील, CBAM और ऑटोमोबाइल जैसे मुद्दों पर बातचीत अभी बाकी है. लेकिन दोनों पक्षों ने इसे एक साल के भीतर पूरा करने की प्रतिबद्धता जताई है.

बार्टोस्ज़ेव्स्की ने कहा, “ऐसे समझौतों में मुश्किल मुद्दे होते हैं, क्योंकि हर देश अपने कुछ क्षेत्रों की रक्षा करना चाहता है. भारत में कृषि क्षेत्र बहुत महत्वपूर्ण है. लेकिन मुझे लगता है कि FTA अगले साल जनवरी में पूरा हो सकता है.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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