नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने मंगलवार को केंद्र के संचार साथी साइबर सुरक्षा ऐप को नागरिकों के मोबाइल फोन की “जासूसी” करने वाला उपकरण बताया और इसे भारत को तानाशाही की ओर ले जाने वाला कदम कहा.
उनकी टिप्पणी एक दिन बाद आई जब संचार मंत्रालय ने स्मार्टफोन निर्माताओं को निर्देश दिया कि अगले तीन महीनों में बेचे जाने वाले सभी उपकरणों में यह ऐप पहले से इंस्टॉल होना चाहिए.
“संचार साथी एक जासूसी ऐप है और यह साफ तौर पर हास्यास्पद है. नागरिकों को गोपनीयता का अधिकार है. हर किसी को यह हक होना चाहिए कि वे अपने परिवार और दोस्तों को संदेश भेज सकें बिना इस डर के कि सरकार उनकी हर बात देख रही है,” वाड्रा ने संसद भवन के बाहर पत्रकारों से कहा.
#WATCH | Delhi | On the debate around Sanchar Saathi app, Union Minister for Communications Jyotiraditya Scindia says, "When the opposition has no issues, and they are trying to find some, we cannot help them. Our duty is to help the consumers and ensure their safety. The Sanchar… https://t.co/Kr3juNrGFq pic.twitter.com/npwm9R1Kf2
— ANI (@ANI) December 2, 2025
विपक्षी नेताओं के अलावा, प्राइवेसी के पक्ष में काम करने वाले लोगों ने भी सरकार के इस निर्देश पर चिंता जताई है कि मोबाइल निर्माता यह सुनिश्चित करें कि ऐप “पहली बार इस्तेमाल या डिवाइस सेटअप के समय आसानी से दिखे और उसकी किसी भी सुविधा को बंद या सीमित न किया जा सके.”
इसे व्यापक रूप से इस तरह समझा गया कि ऐप को हटाया नहीं जा सकेगा. हालांकि, केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि उपयोगकर्ता चाहें तो ही ऐप को सक्रिय करेंगे और वे इसे हटाने के लिए भी स्वतंत्र होंगे.
“यह ऐप जासूसी या कॉल की निगरानी नहीं करता. आप इसे अपनी इच्छा के अनुसार चालू या बंद कर सकते हैं… अगर आप संचार साथी नहीं चाहते तो इसे हटा सकते हैं. यह वैकल्पिक है… यह उपभोक्ता सुरक्षा के बारे में है. मैं सभी गलतफहमियां दूर करना चाहता हूं… हमारा काम है कि इस ऐप को सभी तक पहुंचाएं. इसे रखना या न रखना उपयोगकर्ता पर निर्भर है… इसे किसी भी दूसरे ऐप की तरह मोबाइल फोन से हटाया जा सकता है…” सिंधिया ने कहा.
सिंधिया की सफाई से पहले बोलते हुए, वाड्रा ने कहा कि साइबर सुरक्षा जरूरी है, लेकिन इससे सरकार को नागरिकों की निजी ज़िंदगी में दखल देने का लाइसेंस नहीं मिल जाता.
उन्होंने कहा, “धोखाधड़ी की रिपोर्ट करने और हर नागरिक अपने फोन पर क्या कर रहा है, उसकी निगरानी करने के बीच एक बहुत महीन रेखा है. ऐसा काम नहीं होना चाहिए. धोखाधड़ी रिपोर्ट करने के लिए एक प्रभावी सिस्टम होना चाहिए. हमने इस पर लंबी चर्चा की है, साइबर सुरक्षा की जरूरत है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आपको हर नागरिक के फोन में घुसने का बहाना मिल जाए. मुझे नहीं लगता कि कोई नागरिक यह पसंद करेगा.”
सीपीआई(एम) के राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास ने भी इस कदम की आलोचना की और पेगासस जासूसी मामले का जिक्र किया. उन्होंने 2023 में कई विपक्षी नेताओं द्वारा लगाए गए इन आरोपों की जांच कर रही CERT-In (इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम) की स्थिति पर भी सवाल उठाया कि उन्हें एप्पल की ओर से “राज्य प्रायोजित हमलों” की चेतावनी मिली थी.
ब्रिटास ने X पर लिखा, “क्या किसी ने यह सुना है कि राज्य प्रायोजित iPhone हैक की CERT-In जांच का क्या हुआ? इस पर संसद में पूछे गए सवाल लगातार खारिज किए गए… अगला कदम, जाहिर है: 1.4 अरब लोगों के लिए एंकल मॉनिटर, कॉलर और ब्रेन इम्प्लांट. तभी सरकार आखिरकार जान पाएगी कि हम वास्तव में क्या सोचते और करते हैं.”
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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