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Tuesday, 25 November, 2025
होमदेशअर्थजगतUP में बढ़ा निवेश: 12 लाख करोड़ के प्रोजेक्ट लागू, नई GBC में 5 लाख करोड़ की तैयारी

UP में बढ़ा निवेश: 12 लाख करोड़ के प्रोजेक्ट लागू, नई GBC में 5 लाख करोड़ की तैयारी

यूपी सरकार को 2018 में इन्वेस्टर्स समिट के दौरान 4.28 लाख करोड़ रुपये और 2023 में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के दौरान 33.5 लाख करोड़ रुपये के इन्वेस्टमेंट कमिटमेंट मिले थे.

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लखनऊ: 2017 में यूपी में पहली बार बीजेपी सरकार बनने के बाद से राज्य को मिली प्राइवेट निवेश प्रतिबद्धताओं में से लगभग एक-तिहाई या तो शुरू हो चुकी हैं या अलग-अलग चरणों में पूरी हो रही हैं. दिप्रिंट को मिले सरकारी डेटा से यह बात पता चलती है.

2018 के इन्वेस्टर्स समिट और 2023 के ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के बीच, यूपी सरकार ने निवेशकों के साथ 37.78 लाख करोड़ रुपये के एमओयू साइन किए. इनमें से लगभग 12.10 लाख करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट्स के लिए ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी (GBC) हो चुकी है. दिप्रिंट को मिले सरकारी डेटा के मुताबिक, 2018 की पहली GBC के बाद 61,792 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट्स पर काम शुरू हुआ.

दूसरी GBC (2019) के लिए यह संख्या बढ़कर 67,202 करोड़ रुपये हो गई. तीसरी GBC (2022) में यह 80,224 करोड़ रुपये तक पहुंची. वहीं सबसे बड़ा उछाल चौथी GBC (2024) में आया, जिसके बाद लगभग 1,00,105.6 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट्स पर काम शुरू हुआ.

2018 की इन्वेस्टर्स समिट में यूपी सरकार को 4.28 लाख करोड़ रुपये के निवेश कमिटमेंट मिले थे. 2023 की ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में यह रकम 33.5 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई.

अब, यूपी सरकार ने पांचवीं GBC के लिए लगभग 5 लाख करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट्स लाइन-अप किए हैं, जिसमें अगले दो महीनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शामिल होने की संभावना है. यूपी इन्वेस्ट के सीईओ विजय किरण आनंद ने दप्रिंट को बताया, “अगली GBC की तैयारियां चल रही हैं. अब तक 12 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा के प्रोजेक्ट्स जमीन पर लागू किए जा चुके हैं.”

उन्होंने आगे कहा, “आने वाली GBC के लिए हमने जिलों को टारगेट दिए हैं और उनकी परफॉर्मेंस की कड़ी मॉनिटरिंग कर रहे हैं. हमारा फोकस निवेश एमओयू को जमीन पर हकीकत में बदलने पर है.”

लखनऊ की शकुंतला मिश्रा नेशनल रिहैबिलिटेशन यूनिवर्सिटी के पूर्व अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रोफेसर ए.पी. तिवारी ने कहा कि कुल निवेश कमिटमेंट्स का एक-तिहाई जमीन पर उतर जाना “बुरा कन्वर्ज़न रेट नहीं है, हालांकि इस प्रक्रिया को और तेज़ होने की ज़रूरत है.”

उन्होंने कहा, “इन्वेस्टर्स समिट में कई कंपनियां एमओयू साइन करती हैं, लेकिन असली काम शुरू होने में समय लगता है क्योंकि कई तरह के NOC और सरकारी प्रक्रियाएं शामिल होती हैं. कई बार कंपनियां लोकल चुनौतियों की वजह से पीछे हट जाती हैं. इसलिए GBC बहुत ज़रूरी है, क्योंकि वही बताती है कि जमीन पर असली प्रगति क्या है.”

टाटा, अडानी जैसे बड़े निवेशक

इन्वेस्ट यूपी विभाग के डेटा के मुताबिक, कई बड़ी कंपनियों ने अलग-अलग GBC में अपने एमओयू को जमीन पर उतारा है. पहली GBC में प्रमुख निवेशकों में अडानी पावर (लगभग 2,500 करोड़ रुपये), मोबाइल ओपन एक्सचेंज क्लस्टर (10,000 करोड़ रुपये), टेग्ना इलेक्ट्रॉनिक्स (5,000 करोड़ रुपये) और वन97 कम्युनिकेशंस (3,500 करोड़ रुपये) शामिल थे.

दूसरी GBC में विवो मोबाईल्स ने सबसे ज्यादा (लगभग 7,429 करोड़ रुपये) निवेश कमिटमेंट दिए. इसके अलावा हायर इंडिया (2,804 करोड़ रुपये) और टॉरेंट गैस (2,751 करोड़ रुपये) प्रमुख निवेशक थे.

तीसरी GBC में बड़े निवेशकों में NIDP डेवलपर्स (9,100 करोड़ रुपये), सिफ़ी टेक्नोलॉजीज (2,692 करोड़ रुपये) और अडानी एंटरप्राइजेज (2,416 करोड़ रुपये) शामिल रहे.

चौथी GBC में टाटा टेक्नोलॉजीज (4,174 करोड़ रुपये), हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (3,450 करोड़ रुपये) और उर्वशी इंफ्राटेक (3,400 करोड़ रुपये) प्रमुख निवेशक थे.

एक वरिष्ठ इन्वेस्ट यूपी अधिकारी के अनुसार, पांचवीं GBC के लिए राज्य की रणनीति सिर्फ़ NCR तक सीमित नहीं है. पूर्वी यूपी के सोनभद्र को लगभग 20,000 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट दिए गए हैं, जबकि मिर्ज़ापुर को 26,000 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट मिले हैं. पश्चिमी यूपी के गाज़ियाबाद को लगभग 20,000 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट सौंपे गए हैं.

अधिकारी ने यह भी बताया कि पिछली GBC में अंबेडकर नगर ने 17 प्रोजेक्ट्स के साथ लगभग 1,800 करोड़ रुपये का प्रदर्शन किया था. छोटे ज़िले अपने टारगेट आसानी से पूरे कर लेते हैं, जबकि NCR के ज़िलों को ज़्यादा समय लगता है क्योंकि वहां निवेश प्रस्तावों की संख्या बहुत ज़्यादा होती है.

बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की तैयारी

अगस्त में यूपी सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को साथ लाने के लिए एक आर्थिक सलाहकार समूह बनाया. इसका लक्ष्य 2029 तक यूपी को एक ट्रिलियन-डॉलर अर्थव्यवस्था बनाना है.

सितंबर में, अपने गृह ज़िले गोरखपुर में, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, “आज देश और दुनिया के सबसे अच्छे निवेश यूपी में आ रहे हैं. इसका नतीजा है कि नए निवेशों के ज़रिए हमने प्राइवेट सेक्टर में 60 लाख से ज़्यादा युवाओं को रोजगार दिया है.”

राज्य सरकार के अधिकारी दावा करते हैं कि 2017 से अब तक हुए प्राइवेट निवेशों ने 60 लाख से ज़्यादा नौकरियां पैदा की हैं. लेकिन यह जानकारी अभी साझा नहीं की गई है कि किस सेक्टर में कितनी नौकरियां बनीं.

मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राज्य ने उद्यमियों के लिए 33 सेक्टर-विशिष्ट नीतियां लागू की हैं और निवेशकों की मदद के लिए ‘निवेश मित्र’ जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म बनाए हैं.

उन्होंने कहा, “नए टेक्सटाइल, लेदर, प्लास्टिक, परफ्यूम, केमिकल और फार्मा पार्क तेजी से यूपी में बन रहे हैं. हारदोई-कानपुर लेदर हब, गोरखपुर प्लास्टिक पार्क और कन्नौज परफ्यूम पार्क जैसे क्लस्टर यूपी को एक बड़ा इंडस्ट्रियल हब बना रहे हैं.”

डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर, जिसकी घोषणा 2018 में पीएम मोदी ने की थी, उसके छह नोड— आगरा, अलीगढ़, लखनऊ, कानपुर, झांसी और चित्रकूट — में काम तेज़ी से चल रहा है. अब तक 170 से ज़्यादा एमओयू साइन हो चुके हैं, जिनमें 28,000 करोड़ रुपये से ज़्यादा निवेश कमिटमेंट और 4,600 नौकरियां बनाने की क्षमता है.

एक अन्य अधिकारी ने बताया कि अडानी ग्रुप, वेरीविन डिफेंस, एआर पॉलिमर और ब्रह्मोस जैसी बड़ी रक्षा कंपनियों ने राज्य में काम शुरू कर दिया है. कानपुर में बुलेटप्रूफ जैकेट और आधुनिक सैन्य उपकरण बन रहे हैं, जबकि अलीगढ़ में छोटे हथियार और रडार सिस्टम विकसित हो रहे हैं. लखनऊ में ब्रह्मोस मिसाइल उत्पादन सुविधा एक और बड़ा प्रोजेक्ट है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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