नई दिल्ली : चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की भारत यात्रा की पुष्टि हो गई है. विदेश मंत्रालय के अनुसार शी चेन्नई में 11 और 12 तारीख को रहेंगे. इस दौरान दोनों देशों के बीच अनौपचारिक शिखर वार्ता होगी. आपको याद होगा कि दोनों देशों के नेता ने पहली अनौपचारिक बैठक चीन के वुहान शहर में 27-28 अप्रैल को हुई थी.
PM Modi&Chinese Pres had their inaugural Informal Summit in Wuhan,China on 27-28 April'18. Chennai Informal Summit will provide them an opportunity to continue discussions on bilateral, regional, global issues&exchange views on deepening India-China Closer Development Partnership https://t.co/D7mcLlgHkm
— ANI (@ANI) October 9, 2019
पिछले कुछ दिनों से ऐतिहासिक शहर ममलापुरम में प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी की मुलाकात और स्वागत की तैयारियां की जा रही थीं.
विदेश मंत्रालय का कहना है, ‘चेन्नई की अनौपचारिक शिखर बैठक दोनों नेताओं को महत्वपूर्ण द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विचारों के आदान-प्रदान का मौकी मिलेगा. साथ ही भारत चीन के बीच विकास साझेदारी को और गहरा करने में मदद मिलेगी.’
इससे पहले अटकलें थीं कि ये बैठक वाराणसी में हो सकती है पर सुरक्षा के मद्देनज़र ये वहां नहीं की जा सकी. हाल में भारत और चीन के बीच संबंधों में आई तल्खी से लग रहा था कि कहीं ये वार्ता खटाई में न पड़ जाए.
चीन के भारत में राजदूत ने एक समाचार एजेंसी को दिए साक्षात्कार में कहा थी कि भारत और चीन को दोनों देशों के बीच मुद्दों को शांतिपूर्ण ढंग से आपसी बातचीत के ज़रिए सुलझाना चाहिए. उनका कहना था कि दोनों देशों को आपसी मुद्दे सुलझाने से आगे बढ़ना चाहिए और केवल अपने बीच के विरोधाभारसों को दूर करने तक सीमित नहीं होना चाहिए बल्कि दोनों देशों को सकारात्मक ऊर्जा से रिश्ते को आगे बढ़ाना चाहिए जिसमें दोनो देशों के बीच और अधिक सहयोग हो.
उनका कहना था कि क दोनों पक्षों को सामरिक संचार बढ़ाना चाहिए, एक दूसरे पर राजनीतिक तौर पर अधिक विश्वास करना चाहिए. दोनों नेताओं की सोच और मार्गदर्शन के ज़रिए रिश्ते बेहतर किए जाने चाहिए.
भारत और चीन के बीच तनाव कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने और कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने के बाद चीन ने संयुक्त राष्ट्र में भारत के निर्णय की आलोचना की थी. वहां के विदेश मंत्री वांग यी ने ये मामला उठाया था. उसके बात पाकिस्तान में चीन के दूत के वक्तव्य को भारत में खासा नापसंद किया गया था. याओ जिंग ने कहा था कि चीन कश्मीरियों के साथ काम करके उनके नागरिक अधिकारों की बहाली में और न्याय दिलाने में मदद करेगा.
आपको याद होगा कि वुहान सम्मिट के पहले भी डोकलाम सीमा पर 73 दिनों तक दोनों देशों की फौजें आमने-सामने थीं और स्थितियां बेहद खराब. इसके बाद हुई बैठक में तय हुआ था कि दोनों देशों की सेनाएं आपसी बातचीत को प्रगाढ़ करेंगी और आपसी समझ और विश्वास बढ़ाएंगी.
ममल्लापुरम की बैठक में भी संबंध मज़बूत बनाने, दोनों देशों के विकास और दोनों देशों के संबंधों को विस्तार देने की चर्चा होगी.