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Thursday, 20 November, 2025
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हिंसा का रास्ता छोड़कर विकास की मुख्यधारा में शामिल हो रहे हैं नक्सली: राष्ट्रपति मुर्मू

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि छत्तीसगढ़ में लगभग एक तिहाई जनसंख्या जनजातीय समुदाय की है और राज्य एवं देश का विकास व जनजातीय समाज का विकास एक दूसरे के पूरक हैं.

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अंबिकापुर: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बृहस्पतिवार को कहा कि देश भर के नक्सली हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में शामिल हो रहे हैं तथा केंद्र और राज्य सरकारों के प्रयासों से निकट भविष्य में ही वामपंथी उग्रवाद का उन्मूलन संभव हो जाएगा.

छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के मुख्यालय अंबिकापुर में जनजातीय गौरव दिवस समारोह को संबोधित करते हुए मुर्मू ने कहा कि आदिवासी समाज को दूसरे अन्य समाजों के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘‘छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश में वामपंथी उग्रवाद का रास्ता छोड़कर लोग विकास की मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं. केंद्र और राज्य सरकारों के सुविचारित और सुसंगठित प्रयासों से निकट भविष्य में ही वामपंथी उग्रवाद का उन्मूलन संभव हो जाएगा. यह एक बहुत ही संतोषजनक बदलाव है.”

राष्ट्रपति ने कहा कि 1.65 लाख से अधिक प्रतिभागियों ने हाल ही में आयोजित ‘बस्तर ओलंपिक’ में हिस्सा लिया. यह बहुत खुशी की बात है.

उन्होंने कहा, “मुझे विश्वास है जनजातीय महानायकों के आदर्शों पर चलते हुए, छत्तीसगढ़ के निवासी सशक्त, आत्मनिर्भर और विकसित भारत के निर्माण में अमूल्य योगदान देंगे.”

मुर्मू ने कहा, ‘‘महिलाएं समाज की धरोहर हैं और जब महिलाएं आगे बढ़ती हैं तो समाज आगे बढ़ता है.’

मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में भारतीय महिला विश्व कप जीतने वाली क्रिकेट टीम के साथ हाल ही में हुई मुलाकात को याद करते हुए आदिवासी महिला क्रिकेटर क्रांति गौड़ की तारीफ की.

उन्होंने कहा, “मातृ-शक्ति या महिला-शक्ति के स्मरण से मुझे विश्व विजेता भारतीय महिला क्रिकेट टीम की याद आई. उन सभी बेटियों से मैं हाल ही में राष्ट्रपति भवन में मिली थी. जनजातीय समाज की बेटी क्रांति गौड़ ने उस टीम में अपना विशेष स्थान बनाया है. मुझे जानकारी मिली कि भारत की टीम तक पहुंचने की यात्रा में उस बेटी को बहुत ही विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ा था.”

राष्ट्रपति ने कहा, “मैं कहना चाहूंगी कि क्रांति गौड़ ने सारे देश की बेटियों, विशेषकर जनजातीय समाज की बेटियों के लिए धीरज, हिम्मत और परिश्रम का क्रांतिकारी उदाहरण प्रस्तुत किया है.”

उन्होंने कहा कि पारंपरिक खेलों को खत्म होने के बजाय बचाया जाना चाहिए और बढ़ावा दिया जाना चाहिए.

राष्ट्रपति ने कहा कि आदिवासी समुदायों ने हमेशा खेलों में गहरी दिलचस्पी और प्राकृतिक प्रतिभा दिखायी है तथा उन्हें आने वाली पीढ़ियों के लिए इस ताकत को बढ़ाते रहना चाहिए.

मुर्मू ने कहा, “छत्तीसगढ़ में आज के इस आयोजन की तरह, विभिन्न राज्यों तथा संघ राज्य-क्षेत्रों की अपनी यात्राओं के दौरान, मैं वहां के जनजातीय समुदायों पर केन्द्रित कार्यक्रमों में शामिल होती हूं. मैं उन समुदायों से बातचीत करती हूं. जनजातीय बहनों से भेंट करने को मैं विशेष महत्व देती हूं, क्योंकि महिलाएं समाज की धरोहर हैं. कहा जाता है कि अगर महिलाएं आगे बढ़ेंगी, तो समाज भी आगे बढ़ेगा. महिलाएं समाज की ‘जननी’ (मां) हैं.”

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि छत्तीसगढ़ में लगभग एक तिहाई जनसंख्या जनजातीय समुदाय की है और राज्य एवं देश का विकास व जनजातीय समाज का विकास एक दूसरे के पूरक हैं.

उन्होंने कहा, “जनजातीय समुदाय का योगदान भारत के इतिहास का गौरवशाली अध्याय है. भारत लोकतंत्र की जननी है. इसके उदाहरण, प्राचीन गणराज्यों के साथ-साथ बस्तर की ‘मुरिया दरबार’ नाम के आदिम जन-संसद जैसी अनेक जनजातीय परम्पराओं में देखे जा सकते हैं.”

राष्ट्रपति ने कहा, “जनजातीय समुदायों से मेरा विशेष लगाव होना स्वाभाविक है, क्योंकि मैं इसी समाज की बेटी हूं. महिला होने और आदिवासी समाज में जन्म लेने पर मुझे गर्व है. इस समुदाय के जीवन को मैं गहराई से महसूस करती हूं. मुझे इस बात का संतोष है कि मेरे कार्यकाल के दौरान राष्ट्रपति भवन में ‘जनजातीय दर्पण’ नामक संग्रहालय विकसित किया गया है.”

मुर्मू ने कहा, “मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि केंद्र सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा ‘अनुसूचित जनजातियों के लिए विकास कार्य योजना’ के तहत बजट-राशि के आवंटन और उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए गंभीरता से प्रयास किए जा रहे हैं.”

इस दौरान राज्यपाल रमेन डेका, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और उनके मंत्रिमंडल के सदस्य मौजूद रहे.

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