नई दिल्ली: प्रतिष्ठा की बड़ी लड़ाई लड़ रहे बिहार के डिप्टी मुख्यमंत्री और भाजपा उम्मीदवार सम्राट चौधरी तारापुर सीट से 11वें राउंड की गिनती के बाद 12,000 से भी ज़्यादा वोटों से आगे चल रहे हैं.
दोपहर 1 बजे तक सम्राट चौधरी को 45,762 वोट मिले हैं, जबकि आरजेडी के अरुण कुमार 33,053 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर हैं.
सम्राट चौधरी एमएलसी हैं और इससे पहले वे अपने गृह ज़िले मुंगेर से चुनाव लड़ चुके हैं. तारापुर में इस बार उनका मुकाबला तीन तरफा है—आरजेडी के अरुण शाह और जन सुराज पार्टी के डॉ. संतोष सिंह से.
ओबीसी नेता सम्राट चौधरी इससे पहले बिहार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं. उन्होंने राजनीति की शुरुआत 1999 में आरजेडी से की, फिर 2014 में जेडी(यू) में आए और 2017 में बीजेपी में शामिल हो गए. वे राबड़ी देवी की सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं.
उनके पिता शकुनी चौधरी समता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक रहे हैं और कई बार एमएलए व एमपी भी रहे. उनकी मां पार्वती देवी भी एक समय तरापुर सीट से विधायक रही थीं. सम्राट चौधरी 2000 और 2010 में विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं, जबकि 2005 और 2015 में हार का सामना करना पड़ा.
तारापुर सीट पर अभी जेडी(यू) के मेवा लाल चौधरी विधायक हैं, जिन्होंने 2015 और 2020 दोनों चुनाव जीते थे. यह सीट जेडी(यू) का गढ़ मानी जाती है.
सम्राट चौधरी की शैक्षणिक योग्यता और हत्या के एक पुराने मामले को लेकर भी विवाद रहे हैं. वे खगड़िया ज़िले की परबत्ता सीट से दो बार एमएलए रह चुके हैं.
जन सुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर ने उन पर गंभीर आरोप लगाए—उम्र और शैक्षणिक योग्यता में गड़बड़ी, और उन्हें दशकों पुराने शिल्पी-गौतम मर्डर केस से जोड़ना. पीके ने दावा किया कि सम्राट चौधरी ने मैट्रिक भी पास नहीं की और उनका “असली नाम राकेश कुमार” है.
प्रशांत किशोर के आरोप के मुताबिक, कोर्ट ने फर्जी एफिडेविट के चलते उनकी विधानसभा सदस्यता भी रद्द की थी. उन्होंने यह भी कहा कि पिछले दो चुनावों के एफिडेविट में उनकी उम्र “अचानक 38 साल बढ़ गई”—सातवीं क्लास से सीधे D.Litt. (PhD के बाद की डिग्री) तक पहुंचने तक!
इन आरोपों के बाद बीजेपी ने प्रशांत किशोर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई, यह कहते हुए कि वे सम्राट चौधरी की छवि खराब कर रहे हैं.
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