नई दिल्ली: महाराष्ट्र के 24 वर्षीय प्रदीप विजय को लगा था कि उन्हें म्यांमार में डेटा एंट्री की नौकरी मिली है. लेकिन वहां पहुंचते ही वह म्यावाडी के एक संदिग्ध परिसर में फंस गए, जहां बॉर्डर गार्ड फोर्सेज, यानी सेना-समर्थित मिलिशिया, की कड़ी निगरानी में उन्हें तीन साल तक भारतीय प्रवासियों को निशाना बनाकर फर्जी क्रिप्टो स्कीम चलाने के लिए मजबूर किया गया.
उनके साथ मारपीट हुई, मानसिक प्रताड़ना दी गई और बेहद लंबे काम के घंटे झेलने पड़े. परिवार ने उनकी रिहाई के लिए 10 लाख रुपये का फिरौती दी, लेकिन असल में एक सैन्य छापे के दौरान उनकी और कई अन्य लोगों की जान बची. पिछले हफ्ते वह उन 270 भारतीयों में शामिल थे जिन्हें भारतीय वायु सेना के दो विशेष विमानों से वापस लाया गया.
Embassy of India, Bangkok and Consulate of India in Chiang Mai in close coordination with various agencies of the Royal Thai Government have facilitated repatriation of 270 Indian nationals, including 26 women, from Mae Sot, Thailand to India by two special flights operated by… pic.twitter.com/aRPJPf9Gu7
— India in Thailand (@IndiainThailand) November 6, 2025
सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों के अनुसार जनवरी 2022 से मई 2024 के बीच कम से कम 29,466 भारतीय कंबोडिया, थाईलैंड, म्यांमार और वियतनाम टूरिस्ट वीज़ा पर गए और वापस नहीं लौटे. अप्रैल 2025 में 60 और उससे पहले वाले महीने में 549 लोगों को बचाया गया.
सूत्रों का कहना है कि इन लोगों को शुरू में टेलीग्राम, फेसबुक या व्हाट्सऐप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आईटी, डेटा एंट्री या डिजिटल मार्केटिंग की आकर्षक नौकरी के झांसे देकर बुलाया जाता है. एजेंट नकली कंपनी प्रोफाइल, फर्जी टेस्टीमोनियल दिखाते हैं और वीज़ा-टिकट का इंतज़ाम करने का वादा करते हैं.
कामगारों से 1 से 1.5 लाख रुपये तक कमीशन लिया जाता है. एजेंट वीज़ा-फ्लाइट की व्यवस्था करके उन्हें थाईलैंड या म्यावाडी में अगले गिरोह के हवाले कर देते हैं. इन्हें टूरिस्ट वीज़ा पर बैंकॉक ले जाकर म्यांमार सीमा पार कराने के बाद उन परिसरों में ठूंस दिया जाता है जिन्हें संगठित गिरोह या मिलिशिया चलाते हैं. अंदर जाने का रास्ता होता है, निकलने का नहीं.
अंदर पहुंचते ही पासपोर्ट और फोन छीन लिए जाते हैं. पीड़ित बताते हैं कि उन्हें निवेश धोखाधड़ी, “डिजिटल अरेस्ट” और प्रतिरूपण घोटालों में जबरन लगाया जाता है. 18 घंटे से ज्यादा की ड्यूटी, कोई छुट्टी नहीं और हर समय हथियारबंद निगरानी.
जो विरोध करें उन्हें बुरी तरह प्रताड़ित किया जाता है—नाखून उखाड़ना, कई दिनों तक बिना खाने के बंद रखना, बिजली के झटके देना जैसी यातनाएं. रिपोर्ट में तीन लोगों के बयान शामिल हैं.
महाराष्ट्र के रेस्टोरेंट मैनेजर सतीश ने बताया कि उन्हें जिस परिसर में बेचा गया, वहां पैर पर पैर रखने पर भी मार दी जाती थी, तनख्वाह काट ली जाती थी और नाखून तक उखाड़ लिए गए. “हमें 5,000 डॉलर में बेचा गया… मना करने पर पिटाई होती थी,” उन्होंने बताया.
जैसा कि दिप्रिंट ने पहले रिपोर्ट किया था, म्यांमार सीमा क्षेत्रों में ऐसे कई स्कैम हब चल रहे हैं, जहां हजारों लोग फंसे हैं. चीन ने अपनी सीमा के पास ऐसे हब पर कार्रवाई की है, लेकिन थाईलैंड-म्यांमार सीमा पर अभी भी कई ऑपरेशन चलते रहे. चीन और थाई नेताओं के दबाव में थाईलैंड ने बिजली-कम्युनिकेशन काटे, बैंकिंग रोक दी और कुछ मिलिशिया नेताओं पर वारंट जारी किए, जिसके बाद कुछ परिसरों ने लोगों को बाहर निकाला.
बचाए गए लोगों को बैंकॉक के कैंपों में ले जाया गया, जहाँ से उन्होंने अपने परिवारों से संपर्क किया.
घोटालों का सिंडिकेट
म्यांमार के म्यावाडी के बाहर स्थित “केके पार्क” ऐसा ही एक बड़ा साइबर फ्रॉड परिसर था, जहां अक्टूबर के मध्य सैन्य छापे के बाद 28 देशों के 1,500 से अधिक लोग भागकर थाईलैंड के मे सोत पहुंचे. इनमें 465 भारतीय भी शामिल बताए गए.
भारतीयों को अवैध रूप से सीमा पार करने पर हिरासत में लिया गया.
पिछले साल जुलाई में भारत के विदेश मंत्रालय ने म्यांमार सरकार से भारतीयों की शीघ्र वापसी और साइबर स्कैम नेटवर्क पर कार्रवाई की मांग उठाई थी. एस. जयशंकर ने कहा था कि भारत ने ऐसी नौकरी वाली वेबसाइटें ब्लॉक करने और दोषियों पर कार्रवाई की सिफारिश की है.
बैंकॉक स्थित भारतीय दूतावास ने कहा है कि वह थाई और म्यांमार अधिकारियों के साथ समन्वय कर रहा है ताकि बाकी भारतीयों को भी जल्द छुड़ाया जा सके. दूतावास ने नागरिकों को सलाह दी है कि विदेश में नौकरी स्वीकार करने से पहले नियोक्ता और एजेंट की पूरी जांच करें. साथ ही चेतावनी दी कि थाईलैंड में भारतीय पासपोर्ट पर वीज़ा-फ्री एंट्री सिर्फ पर्यटन या छोटे बिज़नेस दौरे के लिए है, नौकरी के लिए नहीं.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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