नई दिल्ली: पहली बार, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने अपने सभी संबद्ध स्कूलों का मूल्यांकन किया और शुक्रवार को उन्हें उनकी व्यक्तिगत स्कूल अकादमिक परफॉर्मेंस रिपोर्ट कार्ड सौंपे. इन रिपोर्ट कार्ड में बोर्ड परीक्षा परिणाम, लड़कियों-लड़कों का प्रदर्शन, विषय-वार प्रदर्शन, और खेलों व गतिविधियों में भागीदारी जैसे प्रमुख पैमानों को शामिल किया गया है.
एक बयान में, CBSE के सचिव हिमांशु गुप्ता ने कहा कि इस पहल के माध्यम से बोर्ड का उद्देश्य स्कूलों को ऐसी महत्वपूर्ण जानकारी देना है जिससे वे लगातार सुधार कर सकें और छात्रों के सीखने के परिणाम बेहतर हों. उन्होंने कहा, “स्कूलों को सलाह दी जाती है कि वे अपने रिपोर्ट कार्ड को ध्यान से देखें, प्रमुख क्षेत्रों की पहचान करें और इन निष्कर्षों को अपनी वार्षिक शिक्षण योजनाओं में शामिल करें.”
गुप्ता ने कहा कि यह पहल CBSE की “पारदर्शिता, जवाबदेही और समग्र उत्कृष्टता” को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को दिखाती है, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 की दृष्टि के अनुरूप है.
यह पहला मूल्यांकन 2024–25 शैक्षणिक वर्ष के लिए किया गया है. हालांकि, बोर्ड अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि इस प्रदर्शन डेटा का उद्देश्य स्कूलों की रैंकिंग करना नहीं है.
एक वरिष्ठ CBSE अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, “स्कूल सिर्फ अपना प्रदर्शन देख सकते हैं और इसका उपयोग सुधार की योजना बनाने में कर सकते हैं. यह एक अनोखी पहल है जिसका लक्ष्य छात्रों के सीखने के परिणाम बेहतर करना है.”
स्कूल प्रिंसिपल्स ने इस कदम की सराहना की और इसे शिक्षा में पारदर्शिता और डेटा-आधारित सुधार को बढ़ावा देने वाला बड़ा कदम बताया.
माउंट आबू स्कूल की प्रिंसिपल ज्योति अरोड़ा ने दिप्रिंट को बताया, “यह पहल तुलनात्मक जानकारी और समग्र संकेतक प्रदान करती है, जिससे स्कूल अपनी ताकत और सुधार के क्षेत्रों को बेहतर ढंग से पहचान सकते हैं. एक स्कूल प्रमुख और शिक्षक के रूप में, हम इस पहल को महत्व देते हैं क्योंकि यह शिक्षकों को प्रमाण-आधारित परिणामों के अनुरूप अपनी शिक्षण रणनीतियां बनाने में सक्षम बनाती है और अकादमिक उत्कृष्टता के साथ-साथ समग्र विकास को भी प्रोत्साहित करती है.”
दिप्रिंट बता रहा है कि यह प्रदर्शन किस तरह आंका गया है.
तुलनात्मक शैक्षणिक प्रदर्शन विश्लेषण
बोर्ड के अनुसार, यह रिपोर्ट स्कूलों के अकादमिक परिणामों की तुलना राज्य स्तर के प्रदर्शन और समग्र CBSE स्कूल औसत से करती है.
उदाहरण के लिए, अगर कोई स्कूल राजस्थान में स्थित है, तो उसकी बोर्ड परीक्षा का प्रदर्शन राज्य के औसत और CBSE के कुल औसत से तुलना किया गया है, कक्षा 10 और 12 दोनों के लिए. इसी तरह, लड़कियों और लड़कों तथा विषय-वार प्रदर्शन का भी विश्लेषण किया गया है.
बोर्ड का कहना है, “इससे स्कूलों को अपनी ताकत और सुधार के क्षेत्रों की पहचान करने में मदद मिलेगी. यह लड़कों और लड़कियों के प्रदर्शन के रुझान भी दिखाता है, जिससे स्कूल सीखने के परिणामों में लैंगिक समानता सुनिश्चित करने के लिए सही कदम उठा सकें.”
प्रदर्शन का पैमाना
बोर्ड के अनुसार, यह रिपोर्ट स्कूलों के अकादमिक परिणामों की तुलना राज्य स्तर के प्रदर्शन और समग्र CBSE स्कूल औसत से करती है.
उदाहरण के लिए, अगर कोई स्कूल राजस्थान में स्थित है, तो उसकी बोर्ड परीक्षा का प्रदर्शन राज्य के औसत और CBSE के कुल औसत से तुलना किया गया है, कक्षा 10 और 12 दोनों के लिए. इसी तरह, लड़कियों और लड़कों तथा विषय-वार प्रदर्शन का भी विश्लेषण किया गया है.
बोर्ड का कहना है, “इससे स्कूलों को अपनी ताकत और सुधार के क्षेत्रों की पहचान करने में मदद मिलेगी. यह लड़कों और लड़कियों के प्रदर्शन के रुझान भी दिखाता है, जिससे स्कूल सीखने के परिणामों में लैंगिक समानता सुनिश्चित करने के लिए सही कदम उठा सकें.”
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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