गुरुग्राम: केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने गुरुवार को संविधान निर्माता भीमराव आंबेडकर की भूमिका पर अपनी टिप्पणी को लेकर उठी आलोचना का जवाब दिया और कहा कि उन्होंने कुछ भी विवादास्पद नहीं कहा.
खट्टर, जो इस महीने की शुरुआत में चंडीगढ़ में आत्महत्या करने वाले दलित आईपीएस अधिकारी के परिवार से मिलने गए थे, उन्होंने कहा कि उन्होंने “कुछ भी गलत नहीं कहा” लेकिन “विपक्षी पार्टियों को दोष ढूंढने की आदत है.”
केंद्रीय मंत्री ने पत्रकारों से कहा, “बाबासाहब आंबेडकर एक अत्यंत सम्मानित महापुरुष हैं…उनके बिना संविधान नहीं बन सकता था, लेकिन अफवाहें फैल गईं कि जैसे यह श्रेय उन्हें नहीं दिया गया…संविधान निर्माता केवल डॉ. आंबेडकर थे और अगर किसी ने मेरी बात को तोड़ा-मरोड़ा, तो देश के लोग इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे.”
यह विवाद तब उभरा जब खट्टर का एक वीडियो बुधवार को सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ. वीडियो में खट्टर कहते सुनाई दे रहे हैं, “संविधान किसी एक व्यक्ति ने नहीं लिखा. एक कमेटी थी…डॉ. आंबेडकर उस समिति के अध्यक्ष थे.”
वे आगे कहते हैं कि देश को सरकार चलाती है, लेकिन श्रेय उसके प्रमुख या प्रधानमंत्री को जाता है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा, “सैनिक पूरी सेना के रूप में लड़ते हैं, लेकिन श्रेय चीफ को जाता है. इसी तरह, यह पूरी टीम का काम था, फिर भी श्रेय डॉ. भीम राव आंबेडकर को जाता है…” वीडियो 17 अक्टूबर का बताया जा रहा है, जब खट्टर, जो आवास और शहरी मामलों के केंद्रीय मंत्री हैं, दिल्ली से फरीदाबाद मेट्रो यात्रा पर थे.
‘खट्टर की टिप्पणी शर्मनाक’
कांग्रेस नेताओं ने खट्टर पर हमला करते हुए कहा कि बीजेपी ने न तो आंबेडकर का सम्मान किया और न ही उनके अनुयायियों का.
अंबाला (एससी) से कांग्रेस सांसद वरुण चोधरी ने दिप्रिंट को गुरुवार को कहा, “मनहर लाल खट्टर बीजेपी के वरिष्ठ नेता हैं और केंद्रीय कैबिनेट मंत्री का जिम्मेदार पद संभालते हैं. उनके स्तर के व्यक्ति से ऐसी टिप्पणी बीजेपी की मानसिकता को दर्शाती है.”
हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राव नरेंद्र सिंह ने सार्वजनिक माफी की मांग की और खट्टर की टिप्पणियों को “शर्मनाक” और दुर्भाग्यपूर्ण बताया.
उन्होंने लिखा, “यह केवल संविधान के निर्माता डॉ. आंबेडकर के योगदान का अपमान नहीं है, बल्कि देश और राज्य में दलितों, पिछड़े वर्गों और हाशिए पर रहने वाले समुदायों की भावनाओं को भी गहरी चोट पहुंचाता है. डॉ. आंबेडकर ने न केवल भारत को संविधान दिया, बल्कि समानता, न्याय और अधिकारों की नींव भी रखी.”
उन्होंने कहा कि ऐसे सवाल संविधान और लोकतंत्र की आत्मा पर हमला करने के समान हैं.
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