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Monday, 13 October, 2025
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बिहार राजनीति में स्टार पावर: रितेश पांडेय आगे, अक्षरा, मैथिली और खेसारी पर सबकी नज़र

जन सूरज ने गायक रितेश पांडे को बिहार चुनाव उम्मीदवार के रूप में चुना है, जबकि अभिनेता पवन सिंह भी चुनाव मैदान में उतरने के इच्छुक थे, लेकिन अब पीछे हट गए हैं. अन्य सितारों के भी चुनावी मैदान में उतरने की उम्मीद है.

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लखनऊ/नई दिल्ली: दो भोजपुरी सितारों ने इस महीने अलग-अलग कारणों से सुर्खियां बटोरी हैं, लेकिन दोनों का एक ही लक्ष्य है — बिहार की राजनीति में बड़ा नाम बनना.

गुरुवार को प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने मशहूर भोजपुरी गायक और अभिनेता रितेश पांडे को आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में काराकट (कारगहर) सीट से उम्मीदवार घोषित किया. वहीं, एक और गायक-अभिनेता पवन सिंह, जिन्होंने पिछले साल बीजेपी जॉइन करने के बाद पार्टी छोड़ दी थी और इस महीने फिर से पार्टी में वापसी की, अपनी पत्नी के साथ विवाद को लेकर चर्चा में हैं.

जहां पवन सिंह को लेकर कयास लगाए जा रहे थे कि उन्हें बीजेपी से टिकट मिल सकता है, वहीं शनिवार को उन्होंने घोषणा की कि वे चुनाव नहीं लड़ेंगे बल्कि “पार्टी के सच्चे सिपाही” बने रहेंगे. यह बयान उनकी पत्नी ज्योति द्वारा लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उन पर उत्पीड़न के आरोप लगाने और यह इशारा करने के बाद आया कि अगर पवन चुनाव मैदान में उतरते हैं तो वह उनके खिलाफ चुनाव लड़ सकती हैं. ज्योति ने शुक्रवार को प्रशांत किशोर से भी मुलाकात की थी.

रितेश और पवन के अलावा, कम से कम आधा दर्जन भोजपुरी फिल्म और संगीत जगत के सितारे भी बिहार में पार्टी टिकट की कोशिश में हैं, जिनमें खेसारी लाल यादव, अक्षरा सिंह और मैथिली ठाकुर शामिल हैं.

दिप्रिंट से बात करते हुए 34 वर्षीय रितेश ने कहा कि वे “अपने जिले (रोहतास) के लिए कुछ करना चाहते हैं.”

उन्होंने कहा, “मैं कुछ समय से सामाजिक कार्यों में शामिल हूं और बिहार की छवि बदलना चाहता हूं. जब मैं पहली बार मुंबई गया, तो देखा कि बिहारी लोगों के साथ भेदभाव किया जाता है. तभी से मैंने तय किया कि प्रवास की समस्या पर लोगों को जागरूक करूंगा. अगर हमें अपने राज्य में अच्छे अवसर मिलें, तो हमें बाहर क्यों जाना पड़े?”

अपने चुनाव प्रचार में रितेश “शिक्षा बहुत जरूरी बा” का नारा दे रहे हैं. हर चुनावी सभा में वे शिक्षा और प्रवास के मुद्दों पर बात करते हैं.

बिहार के राजनीतिक विश्लेषक भोजपुरी सितारों के राजनीति में उतरने के इस रुझान पर कड़ी नज़र रख रहे हैं.

पटना स्थित कॉलेज ऑफ कॉमर्स, आर्ट्स एंड साइंस के समाजशास्त्री प्रोफेसर ज्ञानेंद्र यादव ने दिप्रिंट से कहा, “भोजपुरी फिल्म सितारों की बिहार में बहुत लोकप्रियता है, खासकर निम्न-मध्यवर्ग और श्रमिक वर्ग के बीच. लेकिन उनकी लोकप्रियता का मतलब यह नहीं कि वह वोट में भी बदल जाए.”

उन्होंने कहा, “दक्षिण भारत के विपरीत, जहां फिल्म स्टार्स का राजनीति में स्थायी प्रभाव होता है, बिहार में अनुभव अलग रहा है. शत्रुघ्न सिन्हा को छोड़कर यहां कोई फिल्म स्टार लंबा राजनीतिक करियर नहीं बना सका.”

उन्होंने आगे कहा, “यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले चुनावों में इन क्षेत्रीय सिनेमा सितारों का प्रभाव कितना दिखता है, क्योंकि सभी बड़ी पार्टियाँ उनके असर पर दांव लगा रही हैं.”

रितेश पांडे और पवन सिंह

रितेश पांडे एक साधारण परिवार से आते हैं. इंटरमीडिएट परीक्षा में 72 प्रतिशत अंक प्राप्त करने के बाद, उनके माता-पिता चाहते थे कि वे मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए कोटा जाएं. लेकिन रितेश की असली रुचि संगीत में थी. परिवार की उम्मीदों के खिलाफ जाकर, उन्होंने गायकी को अपना करियर चुना और छोटे-छोटे स्थानीय आयोजनों में गाना शुरू किया, ऐसा उनके करीबियों का कहना है.

उनकी असली पहचान संगीत से बनी। उनका सुपरहिट गाना हेलो कौन एक सनसनी बन गया, जिसे यूट्यूब पर 900 मिलियन से ज़्यादा बार देखा गया. यह अब तक का सबसे ज़्यादा देखा गया भोजपुरी गीत बन गया. उनका एक और लोकप्रिय गाना पियावा से पहिले हमार रहलु भी लोगों के दिलों में गहराई तक उतरा.

जन सुराज पार्टी के पदाधिकारियों के अनुसार, पार्टी को भरोसा है कि भोजपुरी जगत में रितेश की लोकप्रियता और जनता से उनका जुड़ाव उन्हें एक मज़बूत उम्मीदवार बनाएगा.

दूसरी ओर, पवन सिंह पहले भी चुनावी मैदान में उतर चुके हैं. पिछले साल उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव में करकट सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था. बीजेपी ने उन्हें आधिकारिक उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव लड़ने के कारण पार्टी से निकाल दिया था. वह सीपीआई-एमएल लिबरेशन के राजा राम सिंह कुशवाहा से मामूली अंतर से हार गए थे.

इस साल भी वह विधानसभा चुनाव के लिए टिकट की उम्मीद कर रहे थे. उन्होंने इस साल की शुरुआत में कहा था, “मैं लोकसभा चुनाव लड़ चुका हूं. अब बिहार विधानसभा चुनाव लड़ूंगा.”

30 सितंबर को उन्होंने केंद्रीय मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जे. पी. नड्डा से मुलाकात की और घोषणा की कि वे फिर से पार्टी में शामिल हो गए हैं. उन्होंने एनडीए सहयोगी और राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा से भी मुलाकात की, जिन्होंने करकट से लोकसभा चुनाव आंशिक रूप से पवन की स्वतंत्र उम्मीदवारी के कारण हार गए थे.

इन बैठकों में पवन के साथ बीजेपी नेता विनोद तावड़े (महामंत्री) और ऋतुराज सिन्हा (राष्ट्रीय सचिव) मौजूद थे.

अन्य भोजपुरी सितारे भी राजनीतिक हलचल मचा रहे हैं

भोजपुरी अभिनेत्री अक्षरा सिंह इस हफ्ते केंद्रीय मंत्री और बीजेपी सांसद गिरिराज सिंह से मुलाकात के बाद बिहार की राजनीति में चर्चा का विषय बन गई हैं.

अक्षरा ने इस मुलाकात की एक तस्वीर एक्स पर साझा की और इसे “शिष्टाचार भेंट” बताया. उन्होंने लिखा कि उन्हें मंत्री का आशीर्वाद मिला.

अक्षरा भोजपुरी फिल्मों की सबसे मशहूर और सबसे ज़्यादा पैसे लेने वाली अभिनेत्रियों में से एक हैं. उन्होंने अपने अभिनय के लिए कई पुरस्कार जीते हैं और उन्हें तबादला जैसी एक्शन फिल्म, सरकार राज जैसी राजनीतिक ड्रामा और सत्य जैसी एक्शन-रोमांस फिल्मों में भूमिकाओं के लिए जाना जाता है.

बिहार के मिथिला क्षेत्र की लोकगायिका मैथिली ठाकुर भी चर्चा में हैं. अटकलें हैं कि वे अपने गृह क्षेत्र मधुबनी से बिहार विधानसभा चुनाव लड़ सकती हैं.

इन अटकलों को बल तब मिला जब बीजेपी के बिहार प्रभारी विनोद तावड़े ने नई दिल्ली में मैथिली ठाकुर और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय की मुलाकात की तस्वीरें एक्स पर साझा कीं.

तावड़े ने पोस्ट में मैथिली को “बिहार की बेटी” कहा और लिखा कि वह राज्य में लौट रही हैं.

राजद पर तंज कसते हुए तावड़े ने लिखा, “1995 में जब लालू (प्रसाद) सत्ता में आए तो कई परिवार बिहार छोड़ गए थे. अब उसी परिवार की बेटी, मशहूर गायिका मैथिली ठाकुर, राज्य के परिवर्तन से प्रेरित होकर बिहार लौटना चाहती हैं.”

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए मैथिली ने लिखा, “जो लोग बिहार के बेहतर भविष्य का सपना देखते हैं, उनसे हर बातचीत मुझे दूरदृष्टि और सेवा की शक्ति की याद दिलाती है. मैं बहुत सम्मानित और आभारी महसूस करती हूं.”

गायिका मैथिली क्षेत्र से आती हैं, जिसमें मधुबनी और दरभंगा शामिल हैं.

सूत्रों के अनुसार, बीजेपी उन्हें मधुबनी या दरभंगा के अलीनगर सीट में से किसी एक से चुनाव लड़ाने पर विचार कर रही है, और मैथिली ने भी इसमें रुचि दिखाई है.

वहीं भोजपुरी स्टार खेसारी लाल यादव विपक्षी खेमे में चर्चा का केंद्र बने हुए हैं. यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि वे या उनकी पत्नी राजद के टिकट पर बिहार चुनाव लड़ सकते हैं.

राजद के सूत्रों के मुताबिक, इनमें से कोई एक मंजही सीट से चुनाव लड़ सकता है. अगर खेसारी की पत्नी चुनाव लड़ती हैं, तो खेसारी पार्टी के स्टार प्रचारक के रूप में काम करेंगे.

मीडिया से बात करते हुए खेसारी ने कहा, “तेजस्वी यादव (राजद) और अखिलेश यादव (सपा) मेरे बड़े भाई जैसे हैं. अगर वे चाहेंगे तो मेरी पत्नी चंदा चुनाव लड़ेंगी. वह समाजसेवा में सक्रिय रही हैं, और अब जब हमारे बच्चे बड़े हो गए हैं, तो वह ज़िम्मेदारी उठाने के लिए तैयार हैं.”

बातचीत के दौरान खेसारी ने बिना नाम लिए अपने साथी भोजपुरी कलाकारों पर भी तंज कसा.

उन्होंने कहा कि कुछ लोग अपनी शोहरत के दम पर चुनाव जीत सकते हैं, लेकिन असली नेतृत्व वही है जो जनता के बीच रहकर उनकी समस्याएं सुने. उन्होंने कहा, “अगर वे लोगों के बीच नहीं रहेंगे, तो उनकी बातें कौन सुनेगा?” उन्होंने जोड़ा कि चुनाव उन्हें लड़ना चाहिए जो समाज की सेवा के लिए तैयार हों.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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