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Thursday, 9 October, 2025
होमदेश‘यह आत्महत्या का मामला नहीं’ — IPS अधिकारी की पत्नी ने की हरियाणा DGP, रोहतक SP की गिरफ्तारी की मांग

‘यह आत्महत्या का मामला नहीं’ — IPS अधिकारी की पत्नी ने की हरियाणा DGP, रोहतक SP की गिरफ्तारी की मांग

पत्नी का आरोप है कि डीजीपी शत्रुजीत कपूर और रोहतक एसपी नरेंद्र बिजारनिया ने उनके पति को आत्महत्या के लिए उकसाया, पब्लिक में अपमानित और परेशान किया और झूठे मामलों में फंसाने की साजिश रची.

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गुरुग्राम: भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की अधिकारी अमनीत पी. कुमार ने अपने पति वी. पूरन कुमार की आत्महत्या के मामले में हरियाणा पुलिस प्रमुख और रोहतक पुलिस प्रमुख के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग करते हुए शिकायत दी है.

चार पन्नों की इस शिकायत पर उनके हस्ताक्षर हैं. इसमें आईपीएस अधिकारी की पत्नी ने हरियाणा के पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत कपूर और रोहतक के पुलिस अधीक्षक नरेंद्र बिजारनिया को तुरंत गिरफ्तार करने की मांग की है.

आईएएस अधिकारी ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि दोनों अधिकारियों ने उनके पति को आत्महत्या के लिए उकसाया, पब्लिक में अपमानित और परेशान किया और झूठे मामलों में फंसाने की साजिश रची.

उन्होंने चंडीगढ़ पुलिस से तुरंत एफआईआर दर्ज करने की अपील की है. उनका कहना है कि अगर दोनों आरोपियों को जल्द गिरफ्तार नहीं किया गया, तो वे सबूत नष्ट कर सकते हैं या जांच को प्रभावित कर सकते हैं.

शिकायत में लिखा है, “मैं, अमनीत पी. कुमार, आईएएस (2001 बैच, हरियाणा), यह शिकायत न सिर्फ एक सरकारी अधिकारी के रूप में लिख रही हूं बल्कि एक दुखी पत्नी और मां के रूप में भी, जिसने अपने जीवन की सबसे बड़ी त्रासदी झेली है. मेरे पति, आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार को डीजीपी शत्रुजीत सिंह कपूर और रोहतक एसपी नरेंद्र बिजारनिया ने आत्महत्या के लिए मजबूर किया. इनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 108 (पहले आईपीसी की धारा 306 – आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला) और एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज होना चाहिए. इनकी तत्काल गिरफ्तारी ज़रूरी है क्योंकि इनकी उत्पीड़न और उकसावे की वजह से ही मेरे पति की मौत हुई.”

शिकायत की एक प्रति दिप्रिंट के पास मौजूद है, जो बुधवार देर शाम चंडीगढ़ के सेक्टर 11 थाने में जमा कराई गई थी.

दिप्रिंट ने शत्रुजीत कपूर और नरेंद्र बिजारनिया से व्हाट्सऐप और मैसेज के ज़रिए संपर्क करने की कोशिश की है. उनके जवाब मिलने पर खबर को अपडेट किया जाएगा.

मंगलवार को कुमार ने कथित तौर पर चंडीगढ़ के सेक्टर 11 स्थित अपने घर में खुद को गोली मार ली थी. 2001 बैच के इस आईपीएस अधिकारी ने नौ पन्नों का सुसाइड नोट छोड़ा था, जिसमें कुछ वरिष्ठ अधिकारियों का ज़िक्र था और अपनी गहरी शिकायतों के संकेत दिए थे.

शिकायत में आईएएस अधिकारी ने बताया कि उन्हें सुसाइड नोट की एक प्रति कुमार के लैपटॉप बैग में मिली. लैपटॉप चेक करने पर उन्होंने देखा कि वही नोट उस पर टाइप भी था, जिसे उन्होंने लैपटॉप के साथ पुलिस को सौंप दिया.

‘पति के साथ भेदभाव हुआ’

आईएएस अधिकारी ने बताया कि जब यह घटना हुई, तब वे जापान के एक आधिकारिक दौरे पर थीं. जैसे ही उन्हें खबर मिली, वे तुरंत भारत लौट आईं.

उन्होंने अपने पति को “निर्दोष ईमानदारी और सार्वजनिक सेवा के प्रति समर्पण रखने वाला व्यक्ति” बताया.

उन्होंने आरोप लगाया, “सालों तक उन्हें वरिष्ठ अधिकारियों, जिनमें डीजीपी भी शामिल हैं, द्वारा अपमानित और परेशान किया गया. उनकी पीड़ा उन कई शिकायतों में झलकती है जो उन्होंने दी थीं जिनका ज़िक्र उन्होंने अपने सुसाइड नोट में भी किया है जो साबित करता है कि उनके साथ जातीय भेदभाव हुआ.”

अधिकारी ने बताया कि उनके पति ने उन्हें बताया था कि डीजीपी के निर्देश पर उनके खिलाफ एक साजिश रची जा रही है — “झूठे सबूत तैयार कर उन्हें एक मामूली और निराधार मामले में फंसाने की योजना बन रही थी.”

कुमार की मौत से एक दिन पहले रोहतक के अर्बन एस्टेट थाने में उनके स्टाफ सदस्य सुशील के खिलाफ डीजीपी के निर्देश पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 308(3) के तहत जबरन वसूली का केस दर्ज किया गया था.

अमनीत ने आरोप लगाया कि उनके पति को फंसाने के लिए “एक सोची-समझी साजिश” चल रही थी और इसी मानसिक दबाव ने उन्हें आत्महत्या के लिए मजबूर किया. उन्होंने बताया कि उनके पति ने डीजीपी से संपर्क करने की कोशिश की थी और बिजारनिया को भी फोन किया था, लेकिन रोहतक एसपी ने जानबूझकर कॉल रिसीव नहीं की.

आईएएस अधिकारी ने आगे बताया कि सुसाइड नोट में कुमार ने कई अधिकारियों के नाम लिखे हैं जो उनके उत्पीड़न के ज़िम्मेदार थे. उन्होंने कहा, “वे अक्सर मुझसे इस मानसिक प्रताड़ना के बारे में बात करते थे. मेरे बच्चों और मेरे लिए यह नुकसान शब्दों में बयान नहीं की जा सकती — एक पति, पिता और ऐसे व्यक्ति की जो अपनी ईमानदारी के सिवा किसी और चीज़ का दोषी नहीं था. एक ऐसे अधिकारी के रूप में जिसने पूरी ज़िंदगी कानून का पालन किया, अब मैं उसी सिस्टम से न्याय की उम्मीद कर रही हूं.”

उन्होंने लिखा कि कुमार को जातिसूचक अपशब्द कहे जाते थे, पुलिस परिसर में मंदिर की प्रार्थनाओं से दूर रखा जाता था और खासकर डीजीपी उन्हें सार्वजनिक रूप से मानसिक रूप से परेशान और अपमानित करते थे.

उन्होंने कहा कि लगातार होता यह उत्पीड़न और अपमान आत्महत्या के लिए उकसाने के बराबर है. केवल घटना ही नहीं, बल्कि पूरी परिस्थितियों की जांच होनी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि प्रशासनिक उत्पीड़न किसी को आत्महत्या की ओर धकेल सकता है.

आईएएस अधिकारी ने कहा कि उनके पति को उनकी अनुसूचित जाति की पहचान के कारण जो उत्पीड़न झेलना पड़ा, वह एससी/एसटी एक्ट के तहत एक गंभीर अपराध है. उन्होंने कहा, “यह कोई साधारण आत्महत्या का मामला नहीं है, बल्कि शक्तिशाली वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा अपनी पद का दुरुपयोग कर की गई व्यवस्थित प्रताड़ना का नतीजा है. मैं न्याय सिर्फ अपने परिवार के लिए नहीं, बल्कि हर ईमानदार अधिकारी के लिए मांग रही हूं जो निष्ठा से सेवा करता है.”

अमनीत ने एफआईआर दर्ज करने और दोनों पुलिस अधिकारियों को तुरंत गिरफ्तार करने की मांग की. उन्होंने कहा, “वे ऊंचे पदों पर हैं और जांच को प्रभावित कर सकते हैं, सबूत नष्ट कर सकते हैं या गवाहों से छेड़छाड़ कर सकते हैं. न्याय केवल होना ही नहीं चाहिए, बल्कि होते हुए दिखना भी चाहिए. मेरे बच्चों को जवाब चाहिए और मेरे पति की वर्षों की सार्वजनिक सेवा को चुप्पी नहीं, सम्मान मिलना चाहिए.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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