नई दिल्ली: बिहार में विधानसभा चुनाव दो चरणों में 6 और 11 नवंबर को होंगे. भारत निर्वाचन आयोग ने सोमवार को यह घोषणा की. मतों की गिनती 14 नवंबर को की जाएगी.
मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि अब बिहार में 7.42 करोड़ मतदाता हैं. इनमें 14 लाख पहली बार वोट डालने वाले मतदाता शामिल हैं.
यह घोषणा उस समय हुई है जब मतदाता सूची के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) को लेकर काफी राजनीतिक विवाद चल रहा है. विपक्ष ने इस प्रक्रिया को “वोट चोरी” बताया है. वहीं बीजेपी ने विपक्ष पर “घुसपैठियों” को वोट देने की अनुमति देने का आरोप लगाया है.
विवादित प्रक्रिया में करीब 50 लाख नाम हटाए जाने के बाद अब मतदाताओं की संख्या 7.42 करोड़ रह गई है. यह संख्या एसआईआर से पहले की 7.89 करोड़ मतदाताओं की तुलना में लगभग छह प्रतिशत कम है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार बीजेपी के साथ मिलकर दोबारा सत्ता में आने की उम्मीद कर रही है. 243 सीटों वाली विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर को खत्म हो रहा है.
एनडीए फिलहाल अपने सहयोगियों लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) यानी एलजेपी, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) यानी हम, और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (उपेंद्र कुशवाहा) समेत अन्य दलों के साथ सीट बंटवारे पर चर्चा में व्यस्त है.
2020 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव, जब कोविड-19 प्रतिबंध लागू थे, में एनडीए ने 117 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी. जबकि राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) 75 सीटों के साथ पीछे रहा था.
आगामी बिहार चुनाव में एक नया दल मैदान में होगा—प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी (जेपीएस). इस पार्टी के लिए यह पहला बड़ा चुनावी इम्तिहान होगा. प्रशांत किशोर अपनी पार्टी के लिए आक्रामक रूप से प्रचार कर रहे हैं और बीजेपी व जद(यू) नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं.
इस बार मुकाबला त्रिकोणीय माना जा रहा है—एनडीए, इंडिया गठबंधन और प्रशांत किशोर की जेपीएस, तीनों ही सरकार बनाने की कोशिश में हैं.
वर्तमान में एनडीए के पास 131 सीटें हैं. इनमें बीजेपी की 80, जद(यू) की 45, हम की चार और दो सीटें निर्दलीय विधायकों की हैं. विपक्ष के पास 111 सीटें हैं. इनमें आरजेडी की 77, कांग्रेस की 19, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) की 11, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की दो और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की दो सीटें हैं.
2020 के चुनाव में बीजेपी को 20 प्रतिशत, आरजेडी को 23 प्रतिशत, कांग्रेस को 10 प्रतिशत, जद(यू) को 16 प्रतिशत और लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) को छह प्रतिशत वोट मिले थे.
आगामी विधानसभा चुनाव में एनडीए विकास कार्यों और कल्याणकारी योजनाओं पर भरोसा कर रही है. चुनाव की तारीखों की घोषणा से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना की शुरुआत की. यह बिहार सरकार की योजना है जिसके तहत 75 लाख महिलाओं को अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए 10,000 रुपये दिए जाएंगे. बीजेपी को उम्मीद है कि महिलाएं इस बार भी बड़ी संख्या में उसे वोट देंगी.
आरजेडी सरकार विरोधी लहर पर भरोसा कर रही है और अपने नेता व पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को उम्मीद की किरण के रूप में पेश कर रही है. तेजस्वी यादव ने ‘बिहार अधिकार यात्रा’ निकाली है ताकि बेरोजगारी, महंगाई और महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के मुद्दों पर जनता को जोड़ सकें.
राजनीतिक रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर, जो खुद को “तीसरा विकल्प” बनाने की कोशिश कर रहे हैं, ने बिहार के मतदाताओं से जातिगत राजनीति से ऊपर उठकर “ईमानदार” सरकार चुनने की अपील की है.
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